पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

की २१६० दरपासक विध्य पर्वत से लेकर गोदावरी के किनारे तक फैला था। इस मारा गया या। ४ पापालवंशीय एक योवा जो पांडवों की वन में श्रीरामपा वनवास के काल में बहुत दिनों तक रहे थे। मोर से लड़ा था पौर कणं के हाथ से मारा गया था। यही शूर्पणखा नाक कान कटे थे भौर सीताहरण हुमा था। दंडधारण-सहा बी.[सं० दण्डपारण] कौटिल्य के अनुसार वह भूमि दसकी-सबा बी•[सं० दएडकी ] ढोलक। या प्रदेश जहाँ प्रबंध और शासन के सिये सेना रखनी पड़े। दंडखेदी-सक पुं० [सं० दररसेविन ] वह मनुष्य जो राज्य से दंडधारी-वि० सका . [सं० वराडपारिन] दे दंपर को०] । दंड पाने के कारण कष्ट में हो । दह से दुखी व्यक्ति। दंडन-सा पुं० [सं० दएडन][वि. दंडनीय, दखित, दय दर देने विशेष-प्राचीन काल मे भिन्न भिन्न अपराधों के लिये हाथ पैर की क्रिया । शासन । काटने, अग जलाने मादि का दह दिया जाता था जिसके दंडना -कि. स. [सं०दएडन] दंड देना । शासित करना। सजा कारण दडित व्यकि बहुत दिनों तक कष्ट में रहते थे। देना । उ०--मुशल मुग्दर हुनत, विविध कर्मनि गनत, मोहि कौटिल्य ने ऐसे व्यक्तियों के कष्ट का उपाय करने की भी दडत धर्मदूत हारे ।-सुर (शब्द॰) । व्यवस्था की थी। दंडनायक-सषा पु० [सं० दण्डनायक ] १. सेनापति। २.बंडसगौरी-सधा स्त्री॰ [सं० दएडगौरी] एक मप्सरा का नाम । विधान करनेवाला राजा या हाकिम । ३. सूर्य के एक अनुपर दंग्रहण-संवा [• दण्डग्रहण ] सन्यास पाश्रम जिसमें दह का नाम। ग्रहण करने का विधान है। दंडनीति-सहा स्त्री० [सं० दण्डनीति ] १ दड देकर पति पीड़ित दंडन-सहा . [सं० एएसन ] 1. डडे से मारनेवाला। दूसरे के करके शासन में रखने को राजामों की नीति । सेना मादिके शरीर पर माघात पहुंचानेवाला । २ दंठ को न माननेवासा । द्वारा बलप्रयोग करने की विधि । २. दुर्गा का एक रूप (को०) रावा या शासन जिस दंड की व्यवस्था करे उसका भग दंडनीय-वि० [सं० दण्डनीय] दड देने योग्य । करनेवाला। दडनेता-सज्ञा पुं॰ [सं० वएडनेतृ ] १. तुप । राजा । २. यमराज । विशेष--मनुस्मृति में लिखा है कि चोर, परस्त्रीगामी, दुष्ट वचन ३. हाकिम [को०)। बोसनेवाले, साहसिक, पडघ्न इत्यादि जिस राजा के पुर में दडप सज्ञा पुं० [स. एडप] नरेश । राजा [को०] । न हों वह इंद्रलोक को पाता है। दंडपांशुल-सज्ञा पुं० [स० दण्डपाशुल ] दग्घर छली बरदार। देशचारी-सचा पुं० [सं०] १. सेनापति (कौटि.)। २ सेना का द्वारपाल [को०] । एक विभाग (को०)। दंडपांसुल-सज्ञा पुं० [सं० दण्डपासुल] दे० 'दापाशुल' । देउछदन- पुं० [सं०] वह कमरा जिसमें विभिन्न प्रकार के बर्तन दडपाणि-सज्ञा पुं० [सं० दण्डपाणि] १ यमराज। २ काशी में रखे जाते है [को०। भैरव की एक मूर्ति । दंडढक्का-सा ० [सं० दएडढपका] दमामा । मगाड़ा। धौंसा । विशेष-काशीखड में लिखा है कि पूर्णभद्र नामक एक यक्ष को दखताम्री-संज्ञा स्त्री॰ [सं० दण्डताम्रो ] वह जलतरण बाजा जिसमें हरिकेश नाम का एक पुत्र था जो महादेव का बड़ा भक्त था। सावे की कटोरियां काम में लाई जाती हैं। , एक बार जब इसने घोर तप किया सब महादेव पार्वती सहित दुखदास-संज्ञा पुं० [सं० दएण्वास] वह जो दंड का उपया न दे सकने इसके पास पाए और बोले तुम काची के दडघर हो। वहाँ के के कारण दास हुमा हो। वह जो जुरमाने का उपया नौकरी दुओं का शासन और साधुमों का पालन करो। सभ्रम मोर ___ करके चुकाता हो। उद्मम नाम के मेरे दो गण तुम्हारी सहायता के लिये सदा दंडदेवकुल-संशा पुं० [सं० दसहदेवकुल] न्यायालय । मदालत [को०] । तुम्हारे पास रहेगे। बिना तुम्हारी पूजा किए कोई काशी में दंडदेवार-वि० [सं० दए+ हिं० देवार = देनेवाला] दड देनेवाला । मुक्ति नहीं पा सकेगा। क्षमताशाली। १०-समर सिंघ मेवार दडदेवार भजर ३ पुलिस । नगररक्षक कर्मचारी (को०)। जर। दीली पत्ति मनंग लरन मही सुलोह लरि।-पु. दंडपात-सच्चा पुं० [सं० दण्डपात ] एक प्रकार का सन्निपात जिसमें रा., ७।२४। रोगी को चीद नहीं पाती और वह इधर उधर पागल की दंशधर-वि० [सं० दण्डपर] उडा रखनेवाला। तरह घूमता है। दंघर-सज्ञा पुं०१ यमराज । २ शासनकर्ता । ३. सन्यासी।४ दंडपारुष्य-सबा पुं० [ स० वएडपारुष्य ] १ मनुस्मृति के टीकाकार छसी घरवार । द्वाररक्षक । उ०-जहाँ बूढे करणिक, दहधर, कुल्लूक भट्ट के मतानुसार दूसरे शरीर पर हाथ, दंडे पादि कंचुकी पौर वाहक तत्परता से इधर उधर घूमते ।-१० न० से मापात करने, धूल मैला मादि फेंकने का दुष्ट कार्य । मार पीट । २ राजामों के सात व्यसनों में से एक । दंराधार'-वि० [सं० दए उधार] डडा रखनेवाला । दंडपाल--सज्ञा पुं॰ [स० दण्डपाल] दे० 'दडपालक' । दंगधार-संच पु.१ यमराज । २ राजा। ३ एक राजा का नाम दंडपालक-सक्षा पुं० [स. दण्डपालम] १ ड्योढ़ीदार। दरवान । पो महाभारत में दुर्योधन की भोर था भौर पर्जुन से लड़कर द्वारपाल । २ पक प्रकार की मछली । दौडिका मखली। T