पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५४६

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देवपत्र का काम । दातन करने की क्रिया। २ दतौन । दातुन । ३ दतमूल-मशा पुं० [सं० पन्तमूल] १. दांत की जा। २. चीत का खेर का पेरा खदिर क्ष। ४. करज का पेरा ५ मौलसिरी। एक रोग। दंतपत्र-सज्ञा ई० स० दन्तपत्र] कान का एक गहना। दतमूलिका-~-समा बी• [सं० दन्तमलिका ] दती । जमालगोटे विशेष---संभवत जो हापी दौत का वनता रहा हो। का पेड़। देवपत्रक-मा पु० [८० दन्तपत्रक] १. कुंद पुष्प । २. फान का एक दंतमूलीय-वि० [सं० पन्तमूलीय] यतमूल से उच्चारण किया जानेप्रानपण। दवपत्र (को०)। वाला (वर्ण) । जैसे, तवर्ग । दंतपत्रिका-बसा खौ० [सं० पन्तपत्रिका] १ कान का एक मामपण। विशेष-व्याकरण के अनुसार स्वर वर्ण लू मोर त, पद, २. कुछ फा पुष्प । ३. कंघी [को०] । न तथा ल भौर स व्यजन दतमूलीय कहे जाते हैं। देवपवन-संश [सं० दन्तपवन दांत शख करने की किया। दवलेखक-या . १० दन्तलेखक] दांतों को रंगने का व्यवसाय करके मपनी जीविका मजित करनेवासा व्यक्ति को __ दंतधावन । २. दतुवन । दावन । दंवपांचालिका-सया श्री० [सं० दन्तपाञ्चालिका ] हागीदांत की द र दतलेखन-सधा कुं० [सं. दन्तवेखन] एक पल जिससे दांत की बनी पुतली [को०] । जड़ के पास मसूडों को चीरकर मवाद मादि निकालते हैं देवपाद-सा . [वि० वन्ठपात] दांतों का गिरना [को०] । जिससे दांत की पीड़ा दूर होती है। दतशर्करा नामक रोग में दंतपार--सा स्त्री० [हि. दंत+उपारना 1 बात की पीड़ा। इस मस्त्र का प्रयोजन होता है। दांत का दर्द। दंतषक-समा पु० [सं० दन्तवक] करुष देश का राजा, जो वृद्धशर्मा दंतपालि-सशाखौ. [सं० दन्तपालि] तलवार की मूठ। तलवार का ___ का पुत्र था। यह शिशुपाल का भाई लगता पा मोर श्रीकृष्ण फे हाप से मारा गया था। कम्मा या दस्ता (को०)। दंतपानी-सका श्री• [सं० इन्सपासी] दात की जड़ । मसुदा [को०] । दंतवर्ण-वि० [सं० दन्तवणं] 'चमकदार । भोपदार । दंतवल्क-सपा पुं० [सं० वन्तवल्का दांत की षटके ऊपर का मांस। देवपुप्पुट-सा पुं० [सं० दन्तपुप्पुट] मसूड़ों का एक रोग, जिसमें चे सूज आते हैं और दर्द करते हैं। दंतधन-सका ५० [सं० दन्तवस्त्र] पोष्ठ । मोंठ । दंगपुर-ममा पु० [सं० पन्तपुर] प्राचीन कलिंग राज्य का एक नगर दंववीज-सभा पुं० [सं० दन्तवीज] प्रनार । जहा पर राजा ब्रह्मदत ने बुरदेव का एक दत स्थापित करके उसके ऊपर एक बा मविर बनवाया था। दतवीणा-सद्या स्त्री० [सं० दन्तवीणा] १ वाद्यविशेष। एक प्रकार विशेष-यह दतपुर कहा था, इसके सत्र में मतभेद है। डाक्टर का बाजा । २. (शीतादि के कारण) दांतों का बजना [को०] । राजेंद्रलाल का मत है कि मेदिनीपुर जिले में जलेश्वर से यौ०-दतवीणोपदेशाचार्य - शीत या ठवक जिसके कारण दांत बह कोस दक्सिन जो दासन नामक स्थान है वही बौद्धों का रजने लगते हैं। प्राचीन दतपुर है। सिहली बौदों के 'काठाव' नामक अप ५ दतवेष्ट-सपा पुं० [सं० दन्तवेट] १. हाथी के दांत के ऊपर का मढ़ा में वतपुर सबष में बहुत सा वृत्तात दिया हुपा है। हुमा छल्ला। २ मसूड़ा। ३ दांतों में होनेवाला एक रोग देवपुष्प-सम० [सं० दन्तपुष्प ] १ तक 1 निर्मली। २ कुद [को०)। दंतवैदर्भ-सहा पुं० [१० दन्तवैदम का फूल। दांत का एक रोग। किसी बाहरी प्राघात से दांत का हिलना या टूटना। दंतप्रक्षालन-सका पुं० [सं० दन्तप्रक्षालन] दे० 'दवपवन' [को०] । दंतप्रवेष्ट-सा पुं० [सं० दन्तप्रवेष्ट हाथी के दांत का प्रावरण (को०। दंतशंकु-सधा पुं० [सं० दन्तशङ्क] चीर फाड का एक मौजार जो जौ के पत्तों के पाकार का होता था (सुषत)। दांत को दंतफाव--सपा पुं० [सं० दन्तफल] १. कतक फल । निर्मलो। २ उखाडने का यत्र। कपित्य । कैप। दतशठ-सा पु. [सं० दन्तशठ] १ वे वृक्ष जिनके फल खाने से दतफला--सपा ती• [सं० दन्तफला] पिप्पली । खटाई के कारण दांत गुठले हो जाय। बैठे, कैथ, कमरख, देवबीज-सपा ० [सं० दन्तबीज] वह जिसके बीज दौत के सध्य छोटी नारगी, जभीरी नीव, इत्यादि। २ खट्टापन । खुटाई। हों। दाहिम । धनार [फो०] । दतशठा-सचा स्त्री० [सं० दन्तशठा खट्री नोमिया। प्रमलोनी। दंवयीजक-सक पु० [सं० दन्तबीजक] दे० 'दतबीज' (को०) । २ चुक। चूक। दवभाग-सज्ञा० [सं० दन्तभाग] १ हापी के सिर का वह मर दंतशकरा - वधा की० [सं० दत्तशर्करा दांतों का एक रोग जो भाग जहां से उसके दस निकलते हैं। २ दांतों का मेल जमकर बैठ जाने के कारण होता है। हिस्सा [को०)। दतशाण-सधा पुं० [सं० दन्तशाण मिस्सी। स्त्रियों के दांत पर दवमध्य- पुं० [सं० दन्तमध्य] ३. बतातर' [को०)। लगाने का रगीन मजन । दंवमांस-सा पुं० [सं० दन्दमांस] मसूत्रा। दत्तशूल-सपा पुं॰ [सं• दन्तशूल] दात की पोड़ा।