पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५४७

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दशोक २१६५ दवशोफ-सहा पुं० [सं० दन्तरोफ] वात के मसूड़ों में होनेवाला एक दतियाँ-शा नी• [हिं. दात+इया (प्रत्य॰) ] छोटे छोटे दात । प्रकार का फोड़ा। दताईंच। दतिवक्त्र-पा० [सं० दन्तिात्र ] हापो की वरह मुखवामेदंश्लिष्ट-वि० [सं० दन्तश्लिष्ट ] दांतों में उलझा या पिका गजानन । गणेश [को०)। हुमा [को०] । दंती-ममा औ• [सं० दन्ती ] मडी को पाति का एक पेड़। दवहर्ष-सहा पुं० [सं० दन्तहर्ष] दांतों की वह टीस जो अधिक ठढी विशेष-दती दो प्रकार को होती है-एक अघुदती पौर दूसरी या खट्टी वस्तु लगने से होती है। दांतों का खट्टा होना। वृहद्दती । सधुदती के पत्ते गूलर के पों में ऐसे होते हैं और दंगापंक--साका पुं० [सं० दन्तहपंक] जभीरी नौबू । वृहद्दती के एरह या मंडी के से। इसके बीज दस्तावर होते दतहीन--वि० [8. दन्तहीन] बिना दाँत का। जिसके मूह मे दात हैं पीर जमालगोटे के स्थान पर मोषध में काम माते है। न हो [को० । वैद्यक में दती, कट्ट, उष्ण पोर तृपा, शूख, वासीर, फोड़े मादि को दूर करनेवाली मानी जाती है। दती के बोर पधिक दगंतर-सहा पुं० [सं० दन्त + अन्तर] दांतों के बीच का मतर या स्थान [को०]। मात्रा में देने से विप का काम करते हैं। दवाधात-सा पुं० [सं० दन्तापात] १ दांत का पाघात । २ वह पर्या०-शीघ्रा । निकु भी। नागस्फोटा । दतिनी। उपषिता। जिस बात को मापात पहुंचे-नीवू । भद्रा । रक्षा। रेषनी। मनुकूला। निपल्या। विचल्या। मधुपुष्पा । एरठफला । तरणी। एरडपत्रिका । विशोषनी। दंताज-मुबा . [सं० दन्ताज] दौत की जड़ या सधि में पढने कुभो । उदुंबरला । प्रत्यकपरणी। वाले कीड़े। २. दौत का रोग जो इन कोड़ों के कारण दंती-सहा ० [सं० दन्तिन् ] १ हस्ती। हापी। गज। 30दंतादंति-समा श्री० [सं० दन्तादन्ति ] एक दूसरे को दांत से काटने झलते थे श्रुति तालवत दंती रह रहकर साकेत, पृ. की क्रिया या लड़ाई। ४१४ । २. गणेश । गजानन । ३ पर्वत । ४ सोम। चंद्रमा (को०)। ५. पात्र। मृगाधिप (को०)। ६. कोर। मकोर। दंतायुध- सपा पु. [ से० दन्तायुष ] वह जिसका प्रस्त्र दौत हो । सूपर । जगली सूपर। गोद (को०)। ७ श्वान । कुत्ता (को०)। दंतो'-वि. दातवाला। जिसके दांत होको०)। देवार' वि० [हिं० दाँत+मार (प्रत्य॰)] बड़े दांतोवासा । दंतुर-वि० [सं० पन्सुर ] जिसके दात मागे निकले हों। दंतुसा। दतार--सबा पुं० हापी। दाँतू । २. ऊबड़ खाबड । नीचा ऊँचा (को०) 1 ३. सुला हुमा । दंवारा-वि०, सपु.[हि. दतार] दे० 'दतार'। पावरणरहित (को०)। दतार्बुद-सहा . [ सं० दन्ताबुंद ] मसूडों में होनेवाला एक प्रकार दंतुर-सशा पुं०१ हाथी । २. सुपर । का फोड़ा। दंतुरच्छद-सा पु. [ वन्तुरच्छद ] जंघीरी नीबू । विजोरा नीबू ! दंताल-मा पु० [हिं० दन्तार ] हापी। दंतरित-वि० [सं० दन्तुरित ] १ पावेष्टित। ढका हमा। ३. दंतालय-सम पुं० [सं० दन्ता+भालय ] मुख । मुह (को०] । 'दतुर' (को०] 1 दंताक्षि-सा श्री. से.दन्तालि] दातो की पंक्ति। दौठों की दतुल-वि० [सं० दन्तुल ] दे० 'दतुर' [को०] 1 पति [को०] । दंतालिका-सबा बी० [सं० दन्तालिका ] लगाम । दंतोलूखलिक-संशा पुं० [सं० दन्त + उतनलिक ] एक प्रकार के सन्यासी जो मोसप्ती मादि में फूटा मा पन्न नहीं खाते । ये दंताली-सा श्री• [सं० दन्ताली ] लगाम ! या तो फल खाते हैं या छिलके सहित मनाज के दानों को दाँत दंतावल-स . [सं० दन्तावल ] हापी । के नीचे कुचलकर खाते हैं। दंतापली-सहावी. [सं० दन्त+पवली ] होतो की पक्ति । । दंतोलूखली-सपा पुं० [सं० वन्त + उतुसलिन् ] दे० 'दवोलुखलिक'। तोलखतीदतालि' [को०] । दंतोष्ठय-वि० [सं०] (वणं) जिसका उच्चारण दात पोर पोट दंताहन-सा पु० [सं० पन्तावल ] हाथी ।-(हिं०)। दंति-सश० [सं० दन्तिन् ] हापी । उ०-सदा दति के कुम को विशेप-ऐसा वयं 'व' है। जो विधारे।-भारतेंदु प्र., भा. १, पृ० १४२ । दत्य-वि•[७० दन्त्य] १.दत सर्वधी । २ (वणं) जिसका उच्चारण दंतिका-सया सौ. सं० दन्तिका ] दती। जमालगोटा। दौर की सहायता से हो । पैसे, तवर्ग। ३. दातों का हितकारी दंतिजा-सा प्रो० [सं० दन्तिजा ] दती वृक्ष । दती [को०)। { भौषष)। दतिदत-सपा पुं० [सं० दन्तिदन्त ] हाथोषात । दद-सपा श्री.[ बहन, दन्यामान 1 किसी पदार्थ से निकल दतीपीज-सध्यु [सं० दन्तिवीज ] जमालगोटा। हुई गरमी, पैसी सुपी हुई नृमि पर मेप का पानी पड़ने है दंतिमद-संवा [मेदन्तिमद 1 हाथी का मद । हापी गंड निकलती है या सानों के भीतर पाई जाती है। स्थल का स्राव [को॰] । क्रि० प्र०-माना !-निकलना। मात्र