पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५४९

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२९४७ कणं जब परशुराम से प्रशिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब एक दंष्ट्राल'-वि० [सं०] बडे बड़े दांतोंवाला! बिन कणं जपे पर सिर रखकर परशुराम सो गए । ठीक दंष्ट्रान--सा पुं० १. एक राक्षस का नाम । २. शूकर । वाराह । उसी समय वध कीड़ा पाकर कर्ण की जांच में फाटने लगा। ' दंष्ट्राविप-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का सर्प । साँप (को॰] । करणं ने गुरु का निद्रा भंग होने के डर से बांध नहीं हटाई। जब जांच में से रक्त की धारा निकली तब परशुराम की नीय दंष्ट्राविया-सका स्त्री० [सं०] एक तरह की मकरी [को॰] । टूटी पोर न्होंने उस कोडे की प्रोर ताका । उन तातो दृष्ट्रास्त्र-सका पु० [सं०] दे॰ 'दंष्ट्रायुष [को०] । उप्प कीड़े ने उसी रक्तवीप अपना कोट शरीर छोरा और दष्ट्रिक-वि० [सं०] दष्ट्रावाला । दष्ट्राल [को०] । अपने पूर्व रूप में मा गया। दष्ट्रिका-सका सी• [सं०] दे० 'दष्ट्रा' [को०] | दशक'--सना ० [सं०] १. वह जो काठ बाय । वांत काटने- दंष्ट्री'-वि० [सं० दष्ट्रिन्] १.बड़े से बोवाला। २. दांतो से वासा । २. डांस नाम को मक्खी को बड़े जोर से काटती काटनेवाला (को०)। ३. मांसमक्षक । मामाहारी । (को०)। है। ३. श्वान । कुत्ता (को०)। ४. मयमा मच्छा (को०)। २.-सका १ सूमर । २. सौप । ३. लकानग्या (को०)। ४, दशक-वि० दशन करनेवाला। । वह जंतु जिसके दांत बरे हो। बनेपातोंवाला फतु (को०)। दंशन-सबा पुं० [सं०] [वि. दंचित, दशी ] 1. पति से काटना । इंस -सहा पुं० [सं० दब] दे० 'दश'। उसना । जैसे, सर्पदशन।०-ौर पीठ पर हो पुरंत देशनों दरववधु-संक नी[सं० बरस्वत] दे० 'दंग्वत्। 30-पदमावती का वास ।-बहर, पु. ५६ । परसन मासा। देवत कीन्छ मंडप पढ़ पासा । —जायसी फि० प्र०करना। पं० पू० २१२। २. वर्म।बकतर। दंतना .प्र. [हिं. डटना] बटना। समीप होचा । सरना । दशना-क्रि० स० [सं० दंश + हि. ना (प्रत्य॰)] काटना। सिया-सका हौ• [ सं० पन्त, वि. दात + इया (प्रत्य॰)] छोटे डसना। छोटे वात। पूष दाँत। उ.-मरुन पपर वियर की दंशनाशिनी-सका सी० [सं०] एक प्रकार का कोट [ो । जोती। वपाकुसुम गधि जनु विवि मोती। -न०४०, पृ० २४।। दंशभीर-सका पु० [सं० ] महिष । भैसा । दतील...-सक पुं०1०दाती] हापी। दतौ।.--तट्टि तंतं प्रती, विशेष-भैसों को मच्छर पोर डांस बहुत लगते हैं। गज्जनीय देती।---पु. रा०,१।१५।। देशभोरुक-संज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'दयभीम' [को०] । दंतुरच्छद-सका पुं० [सं० वन्तुरच्छ५] विजौरा नीबू । दशमूल-सका पुं० [सं०] सहजन का पेड़ । शोभाजन । दंतुरियाँ, दंतुरी -संज्ञा श्री• [हिं० बीत ] बच्चों के छोटे दंशवदन-सबा पुं० [सं०] पस प्रकार का बगुला । बक [को० । छोटे पांत । दंशित-वि० [सं०] १. दांत से काटा हमा। २ वर्म से मान्धावित। दैतला-वि०० यातुर] वि० श्री.दंतुली 1 जिसको दांव पाये बकतर से ढका हमा। निफले हों। बडे बडे वातावाला। दंशो'-वि० [सं० दशिन वि०बी.दथिनी बात से काटनेवामा । दैतुनी-संक बी. [सं० दन्त ] बच्चे का धोठा पात। 10-बाजउसनेवाला। २ माक्षेप वचन कहनेवाला। भक्ति कहने कमा छोटे छोटे नप पूष बातों लिये वृष की दंतमौका वाला । ३. देषो । वैर या कसर रखनेवाला। प्रयोग फितचा सुपर है।-पोद्वार भमि०६०, पृ० १०२ ! दंशी-साखोसं०] बोठा दश । छोटासा दग--शा सं० दवाव। यग्नि । भाग। उ०-दय वाधी दंशूक-वि० [सं०] उसनेवासा । संक मारनेवामा । दवणूक। मालति सुनव, पति वाघ्यो विहिठाई-हिंदी प्रेमगाथा दशेर-वि० [सं०] १ दे० 'दशुक' । २. हानिकारक [को॰] । पू. २१५॥ दंष्ट्र-सबा पुं० [सं०] दांत । दंबरी-सबा औ• [सं० दमन, हिं दविना] पनाज* सूखे ठमों मे दंष्ट्रा-सा स्त्री० [सं०] १ मोटे दांत । स्थूल वातावाद चौधर। पदाना कालने के लिये उसे गो रौववाने का काम । बिछुपा नाम का पौधा जिसमें रोईदार फल जगते। क्रि० प्र०-नापना। वृश्चिकाली। दवारि -सबा की [देश॰] दे० 'दावाग्नि'। यौ०-दष्ट्राकराल = भयकर दांतवासा । दष्ट्रादंव = पाराह या देंगल-सा पु० [देश॰] एक छोटे प्राकार को गानेवाली पिक्षिया शूकर का दौत । दष्ट्रानविष । दष्ट्रा विष । दष्ट्राविषा। उ.-सवेरे सबेरे नही प्रादी बुल-वुध, श्यामा सुरीली, र वंष्ट्रानखबिष-सबा पु. [सं०] वह पातु जिसके नव पौर बात में विष फुदकी, न दंगल।-हरी पास., पृ० ३६ । हो। वैसे, बिल्ली, कुत्ता, मदर, मेढक, छिपकली इत्यादि। द-वि० [सं०] १ उत्पन्न करनेवाला । २. देनेवाला । दाता! दंष्ट्रायुध-सदा ५० [सं०]वह जिसका मस्त्र दौत हो । शूकर ! सूपर । विशेष—इस अयं में इसका व्यवहार स्वतत्र रूप से नहीं पता उ० ४-६८