पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५५८

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दसोपनिषद् २२०६ वधियानो दत्तोपनिषद-सा . [१०] एक उपनिषद का नाम । वन-या [भ]दार रोग। दत्तोलिसचा पुं० [सं०] पुसस्प मुनि का एक नाम। पा--वि• [40] tari दत्र-सपा पुं० [सं०] १ पन । २ सोना। घt-414) पि। दत्तिम-वि० [सं०] दान में प्रासादानस्वरूप मिलाएमा [को०)। बुध'-- पारनेवा11 (20) दन्त्रिम-सया पुं० [सं०] दत्तक पुत्र । वध---HI K० भाग । दिसा | E n दनेय+समा पु. [सं. बताय] ६० दशाय'। 30च्या दघ.*--11-14.11ft.alu] KE 10. जम्य पाय दुख नारद मुगुनीयर ।-सुबान०,१०३ घि ममTum, upaight दीपक वन-सपा पुं० [सं०] पाम । देने की क्रिया । ददनो-मचा बी• [सं० पदन+fg. ६ (१०) दान। 7.- घा:- AMBH 1...furt हरिजन हरि परपा नित बाहिं भान ध्यान की ददनो।-- ant Aधा - भु. . . मीठा००१०१। सूचना कि.. .दन] 48 । दपमर-सपा पुं० [सं०] एक प्रकार का पेड़। सुधसार- itali , पदरा- पु. [देश॰] धानने का सपना । RI साफो। ददरी-प्रक्ष पु० [दरा०] १ पसे हुए पमा परी पर का दाग। २. दे० 'परवन। ३. उत्तर प्रदेश का एक स्पाTaat gों दधि'-- [ ] - MIRC) का मेला लगवाई। ददा-शाहि दादा] 'दादा'। उ.- पिनो देशत पा है। परनीपर मात पिता बसमा ददारे।--गुर (.)। ददिौर, दपिचोरा-राशा पु. [हिं०], निहार Hitrमारे मन ददिता-नि०, या पु० [सं० वक्ति ] देनेवाला । दान पाता। मोग मिसाए --- दाता । मनुमा मायाrinान ददियाल-सा पुं० [हिं०] ३० 'पदिहार' । को जीरा .40 - (....। ददिया ससुर- समा पु. [fr. दादा+पार] सुर का fary पिरोप-1 पENJARE का मौरीति- मसुर फा बाप। 41RI AEI मकरो faitमरार परमपिसोका ददिया सास-सक्षा नी हिदी +पास] साग की दाग। ददिया ससुर फी स्त्री। कोपा होगा। सापिसा- ददिहाल-मा[f६० दादा + मापय] १ मा का मुन। २ I.Jor f बी पाई EIR दादा का पर। मारा। १ घोदा ! घिधिका-na-[. दोड़ा-मना. [हिं०] दे० 'दयोरा'1 .1461464नोवामी रमन सब देना । ददोरा-शा० [हिं० दाद] मन्दर, परें पादिके काटापा विचार- Y..मनो। सुजलाने मादि के कारण पमड़े से ऊपर पोढ़े से मेरे के पीप में पड़ी हुई पो. सो सुजन बो चकती की तरह दिखाई देती दधिजया [. . पिया। है। चकता। पटवर। उ.-सन फटे उगटेमस वि दधिनात'-430 T ददोरे हाय । चिटन सुमन गुलार को मर मम नार पसाय। दधिज्ञान - 1. पि+05 ( 1)] ना! --10 सप्तफ, पु. २६६ । 30- !--[र ( ): दददुर-सपा पु. [६० दर] ३. दादुर'। उ.-कर मोर निल्लो दधिरय-- [ fe4124 पन ददुरगे। सही बाल लीसा करें फॉम बगे। -१० दधित्याय-- पा। रासो, पृ०२०॥ दधिदान-n. H दन होकरीपर पद्र--सपा ० [सं०] | दाद का रोग । २. फयुपा । गोवाला पर। 3-- Matarगोषियों यो०-दछ पिनारा। को पुरन को और दद् क-सधा पुं० [सं०] २० 'द' को०] । में पनको माग है। --पोर नि दगुन-सा पुं० [सं०] पक्रमदं । पर । गुण-वि० [सं०] दगु रोग से पीड़ित (०] । दघिटानी--•ि [8. दषितानिन् ]ी का न रसेनेपाना ।