पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५७

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जयदल विजय को शाप दिया था। उसी से जय को संसार में तीन जयजोवी.-सा [हिं० जय+जी ] एम प्रकार का अभिवादन चार हिरण्याक्ष, रावण पौर शिशुपाल का अवतार तथा जिमका मर्थ है-जय हो और जियो। इसका प्रयोग प्रणाम विजय को हिरण्यकशिपु, कुभकरण और फस का जन्म ग्रहण प्रादि के समान होता था।-30 यहि जयजीव सीस सिन्ह वारना पड़ा था। नाए । भूप मुमगल वचन सुनाए ।---तुलसी (शब्द०)। ४. महाभारत या भारत प्रथ का नाम । ५ जयपी या जैत के जयढक्का--सशा पुं० [म.] प्राचीन काल का एक प्रकार का पेड का नाम । ६ लाग । ७ युधिष्ठिर का उस समय का वडा ढोल । जोत का डका। बनावटी नाम जव वे विराट के यहाँ मज्ञातवास करते थे। ८. जयत्-पच्छा पु० [म. जयेत् ] दे० 'जयति' । ययन 18 वशीकरण । १०. एक नाग का नाम जिसका वर्णन जयतव ल्याण---सशा [10] सपूर्ण जाति का एक सकर राग महाभारत में पाया है। ११ भागवत के अनुसार दसवें जो कल्याए और यतिथी को मिलाकर बनता है। यह रात मन्वतर के एक ऋषि का नाम । १२ विश्वामित्र के एक में पहले पहर में गाया जाता। पुत्र का नाम । १३ घृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । १४ जयतालमा पु. [म.] साल के साठ मुरुप भेदो में से एक। राजा सजय के एक पुत्र का नाम । १५. सर्वपी के गर्भ से विशेष--रह मानताना ताल है और इसमें कम से एक लघु, एक उत्पन्न परुवसु के एक पुत्र फा माम । १६. वह मकान जिसका गुरु, दो लघु, दो दुत पोर एक प्तुत होता है। इसका बोल दरवाजा दक्खिन की तरफ हो । १७ सूर्य । १८. परणी या यह है-ठाई। तत्परि परियाऽ ताहताह । सत था. तत्या अग्निमथ नाम का पेड़। । २० इद्र का पुष बयत । तापरि थरिथोंs। विशेष---पुराणों मादि में और भी बहुत से 'जय' नामक पुरुषों जयति-सपा पुं० [ मे० जयेत् ] एफ सकर राग जो गौरी मौर के वर्णन पाए हैं। ललित के मेल से पनता है। कोई कोई इसे पूरिया पौर जय ---वि० (समास में प्रयुक्त) विजपी। जीतनेवाला। जैसे, कल्याण के योग से पना भी मानते हैं। वि० दे० 'जयेत्'। मृत्यु जय (= मृत्यु को जीतनेवाला)। जयतिश्री-सहा श्री० [सं०] एक रागिनी जो दीपक राग को जयककण- ० [सं० जय+कडूण ] वह ककण जो प्राचीन भार्या मानी जाती है। काल में वीर पुरुषों को किसी युद्ध भादि के विजय करने की जयती--सहा को [ मजयेती] श्री राग की एक रागिनी । दशा में पादरार्थ प्रदान किया जाता था। पिशेप----पह सपूर्ण जाति की रागिनी है और इसमें सब शुद्ध स्वर जयक-वि० [सं०] विजेता । जीतनेवाला (को०] । लगते हैं । कोई कोई इसे टोटो, विमास और सहाना के योग जयकरी-सज्ञा स्त्री० [सं०] चौपाई नामक एक छद का नाम । से बनी हुई बताते हैं । गिनने लोग इसे पूरिया, सामत मौर जयकार-सचा पुं० [सं० जय + कार ] जयघोप। लिागेन से बनी मानते हैं। वि० दे० 'जयेती'। यौ०--जयजयकार । जयतु-क्रि० जय हो (माशीर्वादसूचक)। जयकोलाहल-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] प्राचीन काल का जूमा खेलने का। जयत्सेन--राश 300 भातवास के समय नकूल का नाम (को०। एक प्रकार का पासा। जयदृदुभी-सशा भी० [५० जय+दुन्दुभी ] जीत का डका। जयचंद-सज्ञा पुं० [हिं० जय+चद ] १ कान्यकुब्ज का एक प्रसिद्ध विजय की भरी। राजा । २ देशद्रोही व्यक्ति (लाक्ष०)। जयदुर्गा-सरा स्त्री० [सं०] तत्र के अनुसार दुर्गा की एक मूर्ति । विशेष-यह गहवालवश का पतिम नरेश या। इसका राज्य- जयदेव-सशा. [ मे मस्कृत के प्रसिद्ध काव्य 'गीतगोविंद' के काल सन् १९७० से ११६३ ई. सफ रहा। पपने राज्यकाल रचयिता प्रसिद्ध वैष्णव भक्त एव कयि । के माखिरी वर्ष में यह शहाबुद्दीन गोरी से पराजित होकर विशष-इनका जन्न नाज से प्राय पाठ नौ सौ वर्ष पहले बगाल मारा गया। के वर्तमान धीरभूम जिले के प्रतर्गत फेविल्व नामक ग्राम में जयखाता-श्री पुं० [हिं० जय ( लाम) + साता पनियों हुमा पा । ऐसा प्रसिद्ध है कि ये यौर के महाराज लक्ष्मणसेन की की एक बही जिसमें वे नित्य पपना मुनाफा या साम पादि राषसमी में रहते थे। इनका वर्णन भक्तमान में भी पाया है। लिखा करते हैं।-( क्य०)। जयद्रय-सच्चा पुं० [सं०] महाभारत पनुसार सिंधुसौवीर या जयघोष महा पुं० [20] षय+घोष] षय जय की पावाज मौराष्ट्र का राषा षो दुर्योधर का पहरोई था। उ-पा गया जयघोष प्रगणित पस1-साकेत, पृ० १६५ विशेष-इसने एक बार जगल में द्रौपदी को पडेली पाकर हर जयजयवंती-सका को० [हिं० जय+ जयवती ] सपूर्ण जाति की ले जाने का प्रयल फिया था। उस समय मीम और अर्जुन ने एक सक्कर रागिनी जो धूलश्री, बिलावल और सोरठ के योग इसकी बहुत दुर्दशा की थी। यह महाभारत के युद्ध मे लडा से बनती हैं। था धीर चक्रव्यूह के युद्ध मे मजुन के पुत्र अभिमन्यु का वध विशेष--इसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं और यह रात को ६ दड इसी ने किया था। दूसरे दिन भयकर युद्ध के मनसर सायकाल से १०६ह तक गाई जाती है, पर वर्षा ऋतु में लोग इसे सभी यह अर्जुन के हापो मारा गया। उमय गाते हैं। कुछ लोग इसे मेघ राग की भार्या मानते हैं जयद्वल-सा पुं० [ मं० ] प्रज्ञातवास के समय सहदेव का और कुछ पोग मालकोश का सहचरी भी बताते हैं। नाम [फो०] ।