पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५७१

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दरवारी कान्हड़ा परना-क्रि० स० [सं० दरण] १. दलना । चूर्ण करना । पौसना। दरबहरा-सा पुं० [देश॰] एक प्रकार का मद्य जो कुछ वनस्पतियों २. ध्वस्त करना । नष्ट करना। को सहाकर बनाया जाता है। दरप स मा पुं० [सं० दपं ] दे० 'दर्प'। उ.-तरह मदन रत दरों-सका पुं० [फा० दरबान ] दे० 'दरपान । तणी देखि दिल दरप जाय दट ।-रघु० रू., पृ० दरबा-सा पुं० [फा० घर ] १ मबूतरों, मुरगियों प्रादि के रखने दरपका-सहा पुं० [सं० दपंक दे० 'दपंक'। 30-तोहि पाह कान्ह के लिये काठ का खानेदार सदूक, जिसके एक एक खाने में एक प्यारी होगी विराजमान ऐसे से सीने सग दरपक रति है। एक पक्षी रखा जाता है। २ दीवार, पेट मादि में वह खोंडरा -कवित्त, पृ०५३।। या फोटर जिसमें कोई पक्षी या जीव रहता है। दरपग-- पुं० [सं० दर्पण ] [खो. अल्पा० दरपनी ] मुह देखने दरवान-सधा पुं० [फा.,मि० सं० द्वारवान् योढ़ीदार । द्वारपाल । का धीचा। भाईना। मुकुर । भारसी। दरवानी-सा सी. [फा०] दरबान का काम । पारपाल का कार्य। दरपना-कि. म० [सं० दर्पण] १. ताव में माना । क्रोष करना। दरवार-सका पुं० [फा०] [वि० दरबारी] १ वा स्पान जहाँ २. गवं या महकार करना । घमर करना । राजा या सरदार मुसाहों के साथ बैठते हैं । २. राजसभा । दरपनी-मुक श्री.[हिं० दरपन ] मुह देखने का छोटा शीशा । कचहरी। उ०-करि मज्जन सरयू जल गए भूप परवार। छोटा पाईना। -तुलसी (शब्द०)। दरपरदा- वि० [फ० दरपर्दह. 1 चुपके चुपके। माह मे। यो०-दरबारदार (१) दे० 'दरबारी'। (२) खुशामदी । छिपाकर। चापलूस । दरवारदारी। दरपार पाम । दरवार खास । दरपित-वि० सं० दपित ] दे० 'दपित'। दरवार वृत्ति दरपेश-क्रि.वि.[फा०] पागे । सामने। मुहा०-दरवार करना= राजसभा में बैठना । दरवार खुला दरयार में जाने की माज्ञा मिलना। दरवार वव होना = 'मुहा०-दरपेश होना = उपस्थित होना । सामने माना। जैसे, दरबार में जाने को रोक होना । दरवार धाधना- घूस मामला दपेश होना। बांधना। रिश्वत मुकर्रर करना । मुह मरना । दरवार दरबद-सा ० [फा०] १. दरवाजा। बडा दरवाजा । २ पर लगना = राजसभा के सभासदों का इकठ्ठा होना । कोटा । पारोवारी। ३. वो राणी के मध्य का मंतर [को० । ३ महाराज | राजा ( रखवाओं में प्रयुक्त)। ४. अमृतसर में दरबदी-सुशा की फा०] १. किसी चीज की दर या भाव निश्चित सिक्खों का मदिर जिममे 'नाथ साहब' रखा हुमा है। ५. करने की क्रिया। २. लगान प्रादि की निश्चित की हुई दर। दरवाजा । द्वार। 10-तव वोलि उठ्यो दरवार विलासी। ३. भलग अलग दरख्या विभाग पादि निश्चित करने की क्रिया। द्विजद्वार लसै जमुनातटवासी।-पाव (शब्द०)। दरव-सबा पुं० [सं० द्रव्य ] १ धन । दौलत । २. घातु । ३ मोटी दरवारदारी-पदा पी० [फा०] १.दरयार में हाजरी । राजसमा किनारदार चादर । में उपस्थिति । २ किसी के यहाँ धार बार जाकर वैठने मौर दरबदर-कि० वि० [फा०] द्वार द्वार । दर दर। उ०—उनकी खुशामद करने का काम । प्रसल जाने नहीं । दिल दर वदर हूँढे कुफर।-तुरसी० श०, कि०प्र०-फरना। दरबारविलासी-सा पुं० [फा० दरबार+सं० विलासी ] दरवर'-वि० सं० दर दरदरा । २ऐसा रास्ता जिसमें द्वारपाल । दरबान । 30-तब वोलि उठ्यो दरबारविलासी। ठीकरे पड़े हों (कहारों की बोली)1 द्विजदार लस जमुनातटवासी ।-केशव (शब्द०)। दरपर-संवा स्त्री॰ [ ऐयी दठवड ( ८ शीघ) ] उतावली। हुड- दरवारवृत्ति-सा श्री [ फ० दरबार+सं० वृत्ति ] राजा द्वारा प्राप्त पड़ी। जल्दबाजी। शीघ्रता। उ०-पहो हरि भाए महा होनेवाली वृत्ति । राज्य द्वारा दी हुई जीविका । 10--नित्य हरबर में, कहा पनि प्रावै रहन्न दरबर मैं । साघु सिरोमनि दरपारवृत्ति पानेवाले हिंदी कवियों के मतिरिक्त कुछ अन्य घर में साधन धौले घसे परघर में!-घनानंद, पु० ४४० ! फदिमी प्रकवरी दरवार द्वारा संमानित तथा पुरस्कृत हुए दरवराना--क्रि० स० [विदरवर दरवरा करना । पोहा थे।-प्रकपरी०, पृ. ३२ । पोसना । २ किसी को इस प्रकार डरा देना कि वह किसी दरबार साहब-सया पुं० [फा० दरवार+प्र० साहब ] अमृतसर बात का वजन न कर सके । घबरा देना। ३ दवाना। दवाव स्थित सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल गुरुद्वारा जहाँ उनका घमं. डालना। ग्रप 'गुरुमय साहद' रखा हुमा है। दरपराना२-कि.प्र. देशी दबदहि दरबर १ शीघ्रता दरबारी'-सा पुं० [फा. ] राजसभा का सभासव। घरवार में करना। बड़ी करना ! २ छटपटाना। प्राकुल होना बैठनेवाला आदमी । { लावा.)। उ०-देखन को हरा दरबरात, प्रान मिलन दरबारी-वि० दरवार फा। दरबार के योग्य । दरवार से संबंध परवरात सिथिल होति प्रगनि गतिमति तितही करति गवन । रखनेवाला । जैसे, दरबारी पोशाक। - घनानंद, पू० ४२० । दरवारी कान्हड़ा-सा पुं० [फा०परवारी+हि० कान्हड़ा ] एक