पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५७६

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दर्दराम्र दर्भपिका दर्दराम्र-सका पुं० [सं०] १ एक पेड़ का नाम । २ एक प्रकार दर्पना-कि. म. [सं० दर्पण ] ताव में माना। दरपना । का व्यषन [को०] . गर्वयुक्त होना। उ०-रन मद मत्त निसापर विस्म दरीक--- पुं० [सं०] १ मेढक । दादर । २ मेघ । पादल। प्रसिहि षनु एहि विधि मा ।-मानस६ । ६६ । ३ वाध । पावा।। १क प्रकार का विशेष वाद्य । जैसे, दमद्य क्रीडा-या श्री० [सं.] रसिकता या रंगीलेपन के सेला वशी [को०] । नाच ग पादि। दर्दवंद-वि० [फा० पदंमद ] दे० 'दर्दमद' । उ०-खटे देवद दर्पहा-सपा पुं० [सं० दर्पहृन् ] विष्णु का एक नाम [को०)। दरवेस दरगाह में खैर पौ मेहर मौजूद मक्का । कबीर० रे०, बर्पित-वि० [सं०] गवित । महकार से मरा हमा। 30पु. ४० । रघुवीर वल दपित विभीषनु घालि नहिं ताकड गने ।दर्दी-वि० [फा०पर्द+हिं०६ (प्रत्य॰)] १. दुसी। पीड़ित । मानस, ६६३ । २ जो दूसरे का दर्द समझे। दयावान् । जैसे, वेदर्दी। पूर्ण-वि० [सं० दपिन् ] [ वि० क्षी० दपिणी ] पमडी । महकारी। दर्दु-मन पुं० [ स०] दाद । दद् [को०] । दर्व -सा ० [सं० द्रव्प] १ द्रव्य । धन । 30-छुदा र-सपा पुं० [सं०] १ मेढक । सधि के, फेरि देह हिंदुवान ।-4. रासो, पृ० १०५। २. यौ०-दर्दुरोदना = यमुना नदी। घातु (सोना, पौदो इस्पादि)। २. बादल । ३ मनकापयरका ४. पश्चिमी घाट पर्वतका दवो-मश पुं० [सं० द्रव्य द्रव्य धन । उ०--पासा पासा मनमा एक भाग । मलय पर्वत से लगा हुमा एक पर्वत। ५ उक्त खाय । पर दर्वा न हरेन पर परि जाय।प्राण०, पृ.१.१। पर्वत निकट का देपा । ६ प्रारीन काल का एक बाजा दोन-सा पुं० [फा० दग्वान] ३० दरवान'। (को०)। ८ एक प्रकार का चावल (को०)। ६. घोंसे की दर्वार-सरा पुं० [फा० दरबार] दे० 'दरवार। ध्वनि । नगादे की पावाज (को०)। १० राक्षस (को०)। ११ दर्वारी-राया पुं० [फा० दरवारी] १. दारी'। प्राम, पिला या प्रातसमूह (को०)। दलि +-सका स्रो० [म प] दे० 'द्रव्य'। उ०--हय गय मानिन ददुरक-सका पुं० [सं०] १ मेढक । दादुर । २ एक वाद्य । ददुर। दवि दिप, मादर बहनुप पिता-परासो, पृ० १३१। ददुरच्छदा-सा त्री० [सं०] ब्राह्मी बूटी। दर्भ-10 [सं०1१ एक प्रकार का करा । अम । डानस । २ दुर्दुरपुट--सबा पुं० [स• ] बंधी प्रादि वाद्यों का मुख [को॰] । कुश। ३ कुश निर्मित मसन । कुशासन । 10--प्रस कहि दर्दुरा, ददुरी-सा स्त्री० [सं० ] दुर्गा का एक नाम [को०] । लवणसिंधु तट जाई। वै कपि सम दर्भ साई।-तुलसी द, दर्दू-सा पुं० [ सं० ] दाद नामक रोग। (शग्द०)। दहण, दण-वि० [सं०] दाद का रोगी। जिसे दद्रु रोग हुमा यो०-दर्भ कुसुम-दर्भपुष्प। एक कीट। दधीर-कुश का हो [को०)। परिधान । दर्भपत्र | दर्भपुस । दमण । दर्मसंस्तर। दर्भगुची = दर्मा कुर। दर्प-सा पुं० [सं०] १. घमंड। महकार । मभिमान । गर्व । ताव। . t. [सं०] कुशध्वज । राजा जनक के भाई का नाम । उ०-कदर्प दुर्गम व वन उमारवन गुन भयन हर। तुलसी (शब्द०)।२ मन । प्रहंकार के लिये किसी के प्रति कोप। [सं०] गुप्त गृह । भीतरी कोठरी । ३ उहता । मपठापन। ४. दवाव । मातक। रोव। दर्भपत्र-सपा पुं० [सं०] स । ५ कस्तुरी। ६ मध्मा। ताप। गर्मी (को०)। ७ उमम। दुर्भपुरप-सहा पुं० [सं०] एक प्रकार का साप । उत्साह (को०)। दर्भलवण-सपा ० [सं०]कुश वा घास काटने का एक भौगार[को०] । यौ०-- दपंफल गयं के कारण मुखर। गवंभरी दात कहने- दर्भसंस्तर-शा ०[सं०] कुरा का मासन या फुश का विद्यौना [को । याला । दाविद गवं को नष्ट करनेवाला । दर्पद % विष्णु दभाकर-सज्ञा पुं० [सं० दांडगाम का गोका जो सुई की तरह का एक नाम । पंहरदे० 'दपंच्छिद' । दपहा-विष्णु । नुकीला होता है को। दर्पक-सबा पु० [सं०] १ दपं करनेवाला व्यक्ति। २ कामदेव । दर्भासन-सया पुं० [सं०] कुशासन । कुश का बना हुपा विधावन ! मनोज । ३. दर्प । महकार (को०)। दर्भाइय-सपा . [सं०] मुक। दर्पण -सा पुं० [सं०] १ माईना । भारसी। मुह मने का दर्भि-in. [+] एक ऋषि का नाम । शीशा । वह कोच जो प्रतिबिंब के द्वारा मुंह देखने के लिये सामने रखा जाता है। २ साल के साउ मुख्य भेदो में से एक विशेप-महामारत अनुसार इन्होंने कृषि प्राह्मणों के उपहार भेद । ३, पक्षु । प्राख । ४ वदीपन । उद्दीपन । उभारने का लिय अकोल नामक एक तीर्थ स्थापित किया था। इनका कार्य । उत्तेजना | ५ एक पर्वत का नाम जो कुवेर का निवास पफ नाम दर्भी भी है। स्थान माना पाता है (को०)। दी~-सा पुं० [सं० दभिन् ] दे० 'दमि'। दपन-सपा पुं० [ म० दपंण ] दे० 'दर्पण'। दर्भपिका-सपा खी० [सं०] कुछ का निचला भाग या डठल [को०] ।