पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५७७

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दमिया २२२५ दर्शन कर्मियों-कि० वि० [फा० दरमियान] दे० 'दरमियान'। उ०-दहन दर्वट---सधा पु००] १ गाँव का चौकीदार। गोदइव। २.द्वार पर हैं उनके गुमा कैरे कैसे । फलाम पाते हैं दर्मियो कैसे कैसे। रक्षक । द्वारपाल [को०] । प्रेमपन, मा०२,१.४.७॥ दवरीक-सपा पु० [सं०] १ इद्र । २. वायु । ३ एक प्रका दर्मियान-संज्ञा पुं० [फा. दरमियान दे० 'दरमियान'। का वाजा। दर्मियानी-वि०, सा पु० [फा० दरयामिनी] दे० 'दरमियानी हर्वा---प्रथा मो• [सं०] उशीनर की पत्नी का नाम । दया-सहा फा. दरिया] दे. 'दरिया। उ०-एक मछली सारे दर्वि-सहा स्त्री [सं०] दे० 'दर्वी' [फो । र्या को गदा कर डालती है।---थीनिवास प्र०, पृ० ११७। दर्वि२--वि० [मं० पं] दपंयुक्त। गरब ली। गवंयुक्त। उ०दोर--सका पुं० [हिं०. दरियाव] दे० 'दरिया -कुहं ज र वह दवि लरिव गुमान | सावत लखि परिवान।-५० रामो कहर दर्यात मैं ।--पद्माकर ग्र., पृ० १४ । पु० ५२। दयोदिल्ली--सबा खी० [फा० दरियादिली] उदारता । हृदय की विशा- दावक-सज्ञा पुं० [सं०]ओमा । चमचा । कलछल । दर्वी को०)। लहा। उ०-और दादिली खुदा के घर से इसी को मिली दक्षिका-सपा औ० [सं०] १ पांख में लगाने का वह काजल को हैं।--प्रेमघन०, भा. १, पृ० ८६ । घी से भरे दीये में पत्ती जलाकर जमाया या पारा जाता है। २ बनगोभी। गोजिया । ३. चमचा। डौमा (को०)। दर्यापत-वि० [फा० दरियाफ्त] भात । मालूम । दरियापत । उ-- इस वक्त मुझसे यहाँ आने का सबव दर्याफ्त करेगा तो मैं इससे द:--सच्चा स्त्री० [सं०] करछी 1 चमचा व गैडा । २ साप का फन । ममा जवाब दूंगा!-श्रीनिवासन, पृ० ३२ । यौ०-दर्वीकर । क्रि० प्र० करन।। होना। दर्वीकर- सझा पुं० [सं०] फनवाला साप । दर्वसा-नश पुं० [फा० दरवेशा] ३. 'दरवेश' । उ०-जोगी जंगम मोर दर्याव- स० [फा० दरिया दे० 'दरिया। सन्यासी, डीगदर दर्वेस ।-कवीर.श., भा० १.पु.६।। दरों-सपा पु.[फा०1..पहाड़ी रास्ता । वह संकरा मार्ग जो पहाडो दर्श-सक्षा पुं० [१०] १ दर्शन। मवलोकन । २ तू पौर चद्रमा के बीच से होकर जाता हो । घाटी। २.दरार । दरज। का संगम काल । ममावस्या तिथि । ३ द्वितीया तिथि। दर्रा-च पुं० [सं० दरना] १ मोटा पाटा । २ करीली मिट्टी यौ०-दशंपति। षो सरकों या बगीचों को रविणो पर डाली जाती है। ३ ३ वह यश या कृत्य जो ममावस्या के दिन किया जाय । , दरार । शिगाफ । दरज। यौ०-दर्शपौर्णमास। दर्राज-सहा औ० फादराज ( = लंदा) लकड़ी का एक ___४ प्रत्यक्ष प्रमाण । चाक्षुप प्रमाण (को०) । ५ दृश्य (को०)। मौजार बिससे लकड़ी सीधी की जाती है। दर्शक-वि०, सधा पुं० [सं०] १ जो देखे। दर्शन करनेवासा। दरोना-कि. म. (मनु. दर दह, धड धड] धडधडाना। वेधड़क ५ देखनेवाला। २ दिखानेवाला। लखानेवाला। पतानेवाला। पला जाना। बिना रुकावट या उर के चला जाना। बैसे, मार्गदर्शक । ३. द्वाररक्षक | द्वारपाल (पो लोगों को विशेष-इस क्रिया के उन्ही रूपो का प्रयोग होता है जिनसे राजा के पास ले जाकर उसके दर्शन फराता है)। ४ क्रि० वि० का भाव प्रकट होता है, जैसे, दर्शकर - घर निरीक्षक निगरानी रखनेवाला। प्रधान । घड़ाकर । देधड़क । दर्राता हमा- घडपड़ाता हुमा । वेधडक । दर्शन-सक्षा पुं० [सं०] १ वह वोघ जो दृष्टि के द्वारा हो। पाथप उ.-वह दर्राता हपा दरबार मे जा पहुंधा । दर्शना - ज्ञान । देखादेखी। साक्षात्कार । मवलोकन । धड़ाता हमा। बेघड़क। उ०--द्वारपालो की बात सुनी कि प्र-करना।-होना। भनसुनी फर हरि सब समेत दरनि वहाँ पले गए, जहाँ तीन ताट लंबा पति मोटा महादेव का धनुष घरा था !-लल्लू मुहा०--दर्शन देना = देखने मे पाना। अपने को दिवाना। (शब्द०)। प्रत्यक्ष होना । दर्शन पाना% (फिसी फा) साक्षात्कार होना। दवकुर--संशपुं० [सं० द्रव्य] द्रध्य । धन । सपत्ति। उ०-सहस विशेष-हिंदी काव्य में नायक नायिका का परस्पर दर्शन पार धेनु कपन यह हीरा। अगनित वं दियौ नृप वीरा। प्रकार का माना गया है-प्रत्यक्ष, चित्र, स्वप्न भौर श्रवण । रसरवन, पृ०१६। २ भेंट । मुलाकात । जैसे,-चार महीने पीछे फिर भापके दर्शन करूंगा। दय-सण पु० [सं०] १ हिंसा करनेवाला मनुष्य । २ राक्षस । विशेष-प्राय पडो के ही प्रति इस प्र में इस पत्र का प्रयोग ३ एक जाति जिसका नाम दरद, किरात प्रादि के साथ होता है। महानारत में आया है। इस जाति का निवासस्थान पजाव ३ वह पास्त्र जिससे तत्वज्ञान हो। वह विद्या जिससे तत्वज्ञान के उत्तर का प्रदेश था। ४. वह देश जहाँ उक्त जाति वसती हो। वह विद्या जिससे पदार्थों के एम, कार्य-कारण संबप: यो।-५ सर्प का फण (को०)।६ प्राघात! घोट । क्षति भादि का वोध हो। (को०)। ७ करछल । दर्षी [को०] !