पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५८७

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२१५ दशांगुन बो०-पचमुखांतक = राम । दशरूपक-सक्षा पुं० [सं०] संस्कृत में नाटयचारल पर प्राचार्य दशमख-सा पुं० [सं० दस+ मुख] १. दसों दिशाएँ। २ त्रिदेव धनजय का लिखा हुमा लक्षणप्रथ। (ब्रह्मा के ४ मुख; विष्णु का १ौर महेश के ५ मुख)। दशरूपभृत्-मन पुं० [सं०] विष्णु जिन्होंने दस अवतार धारण उ.-दशमुख मुख जोवें गजमुख मुख को!-राम चं०, पृ०११ किया था [को०] । शमत्र-सहा पुं० [सं०] दे० 'दशमूत्रक'। दशवक्त्र-सचा पुं० [सं० दशवक्य] दे० 'दशमुख'। शमत्रक-सं ० [सं०] इन दस जीवों का मन जो वैद्यक में काम दशवदन-संधा पुं० [सं०] दणमुख। माता है--१.हायो, २. मेंस, ३ केंट, ४. गाय, ५ बकरा, शवाजी-मधा पुं० [सं० दशवाजिन ] चद्रमा । १. मेढा. ७. घोड़ा, ८ गदहा, ९ पुरुष, और १० स्त्री। दशवाहु-सथा पुं० [सं०] महादेव । यशमल-संश पुं० [सं०] दस पेड़ों की छाल या पड़ जो दवा के दशवीर-सक्षा पुं० [सं०] एक सत्र या यज्ञ का नाम । पास काम पाती है। दशशिर--सहा पुं० [सं० दश+शिरस] रावण । विशेष-सरिवन (शासपी), पिठवन (पृश्निपूर्णी ), छोटी दशशीर्ष-सज्ञा पुं० [सं०] १ रावण। २. चलाए हुए मस्त्रो में कटाई, बडी कटाई, पौर गोखरू ये लघुमूल मोर बेल, सोना- निष्फल करने का एक मस्य। पाठा (श्योनाक), गमारी, गनियारी पोर पाठा वृहन्मूल दशशीश कहलाते हैं। इन दोनों के योग को दशमूल कहते हैं। दशमूल । -सधा पुं० [सं० दशाशीपं] दे० 'दशमीयं'। कास, श्वास पौर सन्निपात ज्वर में उपकारी माना जाता है। दशसोसण-सपा पुं० [सं० दशशीर्ष] रावण । दशमुख । दशमल्लीसंग्रह-सा पु० [सं० दशमूलीयसग्रह 1 वे दस चीजें जो दशस्यदन -सबा पुं० [सं० दशस्यन्दन] दशरथ नामक राजा। प्राग से बचने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को घर में रखनी चाहिए। दशहरा'-सा पुं० [सं०] ज्येष्ठ शुक्खा दशमी तियि जिसे गगा दश हरा भी कहते हैं। विशेष--चंद्रगुप्त मौर्य के समय में निम्नलिखित दस चौधों को घर में रखने के लिये प्रत्येक व्यक्ति राबनिमम के द्वारा विशेष-इस तिथि को गंगा का जन्म हुमा था पति गया स्वर्ग से मत्यलोक में भाई पी । इसी से यह प्रत्यंत पुण्य तिथि मानी वाध्य या,-पानी से भरे हुए पांच घदे, (२) पानी से भरा जाती है। कहते हैं, इस तिथि को गगास्नान करने से दसों हमा एक मटका, (३) सीढ़ी, (४) पानी से भरा हुमा बाँस प्रकार के और जन्म जन्मांतर के पाप दूर होते हैं। यदि इस का बरतन, (५) फरसा या कुल्हाड़ी, (६) सूप, (७) अकुश, तिथि में हस्तनक्षत्र का योग हो या यह तिषि मंगलवार को (4) टूटा मादि उखाने का मौजार, (९) मशक मौर पड़े तो यह मौर भी मधिक पुण्यजनक मानी जाती है। दस(१०) हलादि । इन दसो चीजो का नाम दशमूलीसग्रह था। हरे को लोग गगा की प्रतिमा का पूजन करते हैं पोर सोने जो लोग इसके रखने में प्रमाद करते थे उनको १४ पण चांदी के जलजतु बनाकर भी गगा में डालते हैं। पुरमाना देना पड़ता था। २. विजयादशमी। दशमेश-सहा ० [सं०] १. जन्मकुडली में दशाम भाव का मधिपति दशहरा-मक्षा बी• [सं०] गगा, जो दस प्रकार के पापों का हरण (ज्योतिष) । २. सिख सप्रदाय के दसवें गुरु गोविंदसिंह। करती है [को०]। दशमौलिसमा पुं० [सं०] रावण । दशांग-शा पुं० [सं० दशाम पूजन में सुगध के निमित्त जलाने का दशयोगभंग-सबा पुं० [सं० दशयोगमला फलित ज्योतिष में एक । एक धूप जो दस सुगंध द्रव्यों के मेल से बनता है। नक्षयवेध जिसमे विवाह मादि शुभकर्म नहीं किए जाते। विशेष-यह धूप कई प्रकार से भिन्न मिन द्रव्यों के मेल से विशेष-जिश नक्षत्र में सूर्य हो मौर जिस नक्षत्र मे कर्म होने बनता है। एक रीति के अनुसार दस ढव्य ये है-पिलारस, वाला हो, दोनो नक्षत्रों के जो स्थान गणनाक्रम मे हो उन्हें गुग्गुल, चदन, जटामासी, लोबान, राल, खस, नख, भीमसेनी जो हाले । यदि जोड पद्रहचार, ग्यारह, उन्नीस, सत्ताइस, कपूर पोर कस्तूरी । दुसरी रीति के अनुसार मधु, नागरमोथा, महारह या बीस मावे तो दायोगभग होगा। घी, चदन, गुग्गुल, मगर, शिलाजतु, सलई का धूप, गुड़ और दशरथ---सका पुं० [सं०] प्रयोध्या के इक्ष्वाकुवश्चीय एक प्राचीन पीली सरसो। तीसरी रीति गुग्गुल, गंधक, चदन, जटामासी,

राजा जिनके पुन धौरामचन्द्र थे। ये देवतामो की भोर से कई सतारि, सज्जी, खस, घी, कपूर और कस्तुरी।

बार प्रसुरो से लडे थे और उन्हें परास्त किया था। दशाग क्वाथ-सचा पुं० [सं० दशाङ्गक्वाय] दस मोपभियों का काढ़ा। विशेय--इस शब्द के मागे पुत्र वाचक पध्द लगने से 'राम' विशेष-इस काढ़े मे निम्नाकित १० मोपधियां प्रयुक्त होती हैमयं होता है। (१) पडूसा, (२) गुर्ष, (३) पितपापा, (४) चिरायता, दशरयसुत-सधा पुं० [सं०] श्रीरामचंद्र ।। (५) नीम की छाल, (६) जलभग, (७) हड, (८) बहेड़ा, दशरश्मिशत-सा पुं० [सं०] सूर्य प्रशुमाली [को०) ! (8) पविला, मौर (१०) फुलपी। इनके पवाय में मधु डालन पशरात्र--सा पुं० [सं०] १ दराराते। २ एक यज्ञ जो दस कर पिलाने से अम्लपित्त नष्ट होता है। रात्रियों में समाप्त होता था। दशांगुन-सा पुं० [सं० दशाङ्गल] खरबूजा । डंगरा।