पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५८८

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देशागुन २२३४ दशा दशा दशांगल-वि० को संबाई मे दस प्रगल का हो । दस मंगुन के परि की १० महीने की, मगल की ५ महीने की, बुध की महीने माणवाला [को०)। २० दिन की, शनि को ६ महीने २० दिन की, बृहस्पति दशांत--सा पु० [सं० दशान्त] बुढापा । की १ वर्ष २० दिन की, राह की ८ महीने को, शुक्रकी दशांतर-मंशा पुं० [सं० दशान्तरा ] शरीर अथवा जीव की विभिन्न १वर्ष २ महीने को है। इन मतदंशाों के फल भी मलग भलग निरूपित है-जैसे, सूर्य की दशा में सूर्य को मतदंशा दशा [को०] । दशा- श्री० [सं०] १ अवस्था । स्थिति या प्रकार । हालत। का फल राजदह, मनस्ताप, विदेशगमन इस्पादि, सूर्य की दशा जैसे,—(क) रोगी को दशा मच्छो नहीं है। (ख) पहले में चद्र की प्रतर्दशा का फल शत्रुनाश, रोगशाति, वितलाभ मैंने इस मकान को पच्छी दशा में देखा था। २ मनुष्य के इत्यादि। जीवन की अवस्था। ऊपर जो हिसार बनलाया गया है वह नाक्षत्रिकी दशा का है। इसके अतिरित्ता योगिनी, वापिकी, माग्निको, मुकुंदा, पताकी, विशेष-मानव जीवन की इस दवाएं मानी गई है-(१) गर्भवास, हरगौरी इत्याद मौर मी दशाएं है पर ऐसा लिखा है कि (२) जन्म, (३) बाल्प, (४) कौमार, (५) पोगह, (६) फलियुग में नामानि की दशा ही प्रधान है। पोवन, (७) स्थावियं, () जरा, (९) प्राणरोष पोर ५ दीए की रत्ती ६ पित्त । ७. कपड़े का छोर । बलात। (१०)नाया ३. साहित्य में रस के मतगत विरही की भवस्था । दशाकर्ष-सया पुं० [३०] १ कपड़े का घोर या प्रवल । २. दीपक । विराम विशेष-ये भवस्थाएँ दस हैं-(१) ममिलाप, (२) चिंता, (३) दशाक-सा पुं० [सं० दशापिन् ] ३० दशाक [को॰] । स्मरण, (४) गुणकथन, (५) उग, (६) प्रलाप, (७) सन्माव, (0) व्याधि, (8) जडता मौर (१०) मरण दशाक्षर-सा. [Ho Jएक वणिक वृत्त कोना ४ फलित ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के जीवन में प्रत्येक ग्रह दशाधिपात-समा ५० [स] १. दशाधिपति--सपा पुं० [सं०] १. फलित ज्योतिष में दमामों के का नियत भोगकाल । मधिपति ग्रह । २ दस सनिकों या सिपाहियों का मफसर । विशेष-दशा निकालने में कोई मनुष्य की पूरी पायु १२० वर्ष जमादार । ( महाभारत)। की मानकर चलते हैं पर कोई १०६ वर्षकी। पहली दशानन-मया पुं० [सं०] रावण । रीति नुसार निर्धारित पथा विशोत्तरी और दूसरी मनु- दशानिफ-सा पुं० [ ] जमालगोटा। निर्धारित मष्टोत्तरी कहलाती है। मायु के पूरे काल में प्रत्येक दशापवित्र-मया पु० [सं०] बाद प्रादि में दान किए जानेवाले महके भोग के लिये वर्षों की अलग अलग सख्या नियत वस्तखड। है-जैसे, अष्टोतरी रोति के अनुसार सूर्य की दथा ६ वर्ष, दशापासा पु० [सं०] भाग्य का परिपाक । भाग्यफल का पूर्ण चंद्रमा की १५ वर्ष, मंगल को ८ वर्ष, बुष की १७ वर्ष, होना कि शनि की १० वर्षे, बृहस्पति की १६ वर्षे, राहकी १२ वर्ष दशामय- ० [सं०] रुद्र। पौर शुक की २१ वर्ष मानी नई है। दया जन्मकाल के । दुशारुहा-समा श्री. [सं०] कैत्तिका नाम की लता जो मासका में नक्षत्र के अनुसार मानी जाती है। जैसे, यदि जन्म कृत्तिका, होती है और जिससे कपणे रंगे जाते हैं। रोहिणी या प्रगशिरा नक्षत्र में होगा तो सूर्य की दशा होगी, दशा- पु.[सं०] १. विध्य पर्वत के पूर्व दक्षिण की मोर स्थित भद्रा, पुनर्वसु, पुष्य या मरलेखा नक्षत्र में होगा तो चंद्रमा उस प्रदेश का प्राचीन नाम जिससे होकर धसान नदी बहती है। की पक्षा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी मे होगा तो मंगल की दशा, हस्त, चित्रा, स्वाती या विशाखा में होगा तो विशेष-मेघदूत से पता पलता है कि विदिशा (माधुनिक बुष की दशा, पनुरापा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्र में होगा तो मिलसा) सी प्रदेश की राजधानी पी। टातमी ने इस प्रदेश अनि की दया पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, मभिजित या भवण फा नाम दोसारन (Dosaron) लिखा है। नक्षत्र में होगा तो वृहस्पति की दशा, धनिष्ठा, शतभिषा या २ उक्त देश का निवासी या राजा।३ ताका एक शाक्षर पूर्व भाद्रपद में होगा तो राह की दशा मौर उत्तर भाद्रपद, मत्र । ३ जैन पुराण के अनुसार एक राया। रेवती, पश्विनी या भरणी नक्षत्र होगा तो शुक्रकी दया विशेष-इस राजा ने तीर्थकर के दर्शन के निमित्त जाकर होगी। प्रत्येक ग्रह की दशा का फल मलग अलग निश्चित मभिमान किया था। तीर्थकर के प्रताप से उसे वहां है--से, सूर्य की रक्षा में पित्त को उग, धनहानि, क्लेश, १६.७७,७२,१६,००० इद्र मोर १३,३७,०५,७२,००,००,.. विदेशगमन, बपन, राजपीड़ा हरयादि। चद्रमा की दशा में ००० इद्राणियों दिखाई पड़ी और उसका गर्ष पूर्ण हो गया। ऐश्वयं, राजसम्मान, रस्तवाहन की प्राप्ति इत्यादि। दशा-- श्री० [सं० सान नदी जो विध्याचल से निकल: प्रत्येक ग्रह के नियत भोगकाम या दशा के मतगंस भी एक कर बुदेलखा के कुछ भाग में बहती ई कालपीके पास एक प्रहका भोगकाल नियत है जिसे मतदधा कहते हैं। बमुना में मिल जाती है। रविको पता को लीजिए जो ६ वर्ष की है। अब म दशा, दशार्ध-सा पुं० [सं०] १ दस का माथा । २. बाबीष सूर्य की अपनी वसा ४ महीने की, चंद्रमा बुखदेव। जो दसबलो से युक्त है।