पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५८९

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दशाह २२३५ दसता दशाई-सहा पुं० [सं०] १ कोप्ट्रवंशीय घृष्ट राजा का पुत्र । २ दशेरुक-समा पुं० [सं०] दे० 'दशेरक [को०] 1, राजा पुष्णि का पौत्र । ३. वृष्णिवधीय पुरुष । ४. वृष्णि- दशेश-सक्षा पु० से दस गावों का पधिपति । दयी [को०] 1 वंशियों का अधिकृत देश । दश्त-सष्ठा पुं० [फा०] जंगल | बियापान । वन । उ०—फिरते दशावतार-संज्ञा पुं० [सं०] भगवान् विष्णु के दश अवतार जो इस ही फिरते दश्त दिवाने किधर गए। वे माशिकी के हाय प्रकार हैं,-(१) मत्स्य, (२) कच्छप, (३) वाराह, (४) जमाने किधर गए।-कविता को, भा०४,पृ.१५ नृसिंह, (५) वामन, (६) परशराम, (७) राम, (क) कृष्ण पिन -सहा . [सं० दक्षिण ] दे० 'पक्षिण'। (९) बुद्ध और (१०) कल्फि । दविना-सचा, प्री० [सं० दक्षिणा ] दे दक्षिणा'। उ०-पुनु दशावरा--सस बी० [सं०] दस सभ्यो की शासक समा। दस पों विहि पपिना करि दीन्हा । देपत ताहि नेन हरि लीन्हाकी राजसभा। हिंदी प्रेमगाया०, पू०२१२। विशेष-ऐसी समा जो व्यवस्था दे, उसका पालन मनु ने दृष्ट-वि० [स०] जिसे किसे ने डसा हो या काट लिया हो। मावश्यक लिखा है। गौतम ने दशावरा के दस सभ्यों का काटा हमा। १०-चेतनाहीन मन मानता स्वार्थ धन । दष्ट विभाग इस प्रकार बताया है कि चार तो भिन्न भिन्न वेदों ज्यों हो सुमन छिद्र शत तनु पान |-गीतिफा, पु.५८ । के, तीन भिन्न भिन्न प्राथमों के पोर तीन मिन्न भिन्न धर्मों के प्रतिनिधि हो । यौवायन ने धमौकीन ज्ञातामों के स्थान दसना -सहा पु.1.दशन 1 दे० 'दान' । उ०-परमानंद ठगी नंदनदन, दसैन, कुंद मुसकावत ।-पोद्दार पमिक , पर मीमासक, धर्मपाठक और ज्योतिषी रखे हैं। पु० २३५। दशाविपाक--सका पुं० [सं०] ३० दशापाक'। दस-वि० [सं० दश] १ पांच का दूना। जो गिनती में नौ से दशाश्व-बापुं० [स] चद्रमा निसके रथ में दस घोहे लगते हैं। एक अधिक हो। २. कई । बहुत से । बेसे,—(क) दस पादमी दशाश्वमेध–सचा पुं० [सं०] १ काची के प्रतर्गत एक तीर्थ । जो कहें उसे मानना चाहिए। (ख) वहाँ दस तरह की विशेष-काशीखड में लिखा है कि राजवि दिवोदास की सहायता चीजे देखने को मिलेंगी। से ब्रह्मा ने इस स्थान पर दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। पहले दस-सञ्ज्ञा पुं०१ पाच को दूनी सख्या। २ उक्त सस्या का यह तीर्थ रुद्रसरोवर के नाम से प्रसिद्ध था। ब्रह्मा के यज्ञ सुचक अक जो इस प्रकार लिखा जाता है---१०॥ के पीछे दशाश्वमेष कहा जाने लगा। ब्रह्मा ने इस स्यान दसा–संडा सी० [सं० दिश, प्रा०दिस, राज. दस] पोर । तरफ। पर दशाश्वमेघेश्वर नामक शिवलिंग भी स्थापित किया था। दिशा । उ०-पाज धरा दस कनम्पउ, फाली धड़ सखरोह । जो लोग इस तीर्य में स्नान करके उक्त शिवलिंग का दर्शन उवा घण देसी मोलबा, कर कर लांबी चाह । --होला, करते हैं उनके सब पाप छूट जाते हैं। दू० २७१। २ प्रयाग के अंतर्गत त्रिवेणी के पास वह घाट या तीर्थस्थान दसई-वि० [सं० दशम ] दशम । दसवा । दस की सस्यावाला। जहाँ यात्री जल भरते हैं। लोगों का विश्वास है कि इस उ.-दराई द्वार न खोलत कोई। तब खोले जव मरमी होई। स्थान का जल विगढ़ता नहीं। दशास्य-संशा पुं० [सं०] दशमुख 1 रावण । दसकंधा -सञ्ज्ञा पुं० [सं० दशस्कन्ध, हि० दशकप] रावण । उ०दशाह-सज्ञा पुं० [सं०] १, दस दिन । २. मृतक के कृत्य का मसकरूप दसकधपुर निसि कपि घर घर देखि ।-तुलसी., पं. दसवा दिन। पु०८६ विशेष-गृह्यसूत्रो में मृतक कर्म तीन ही दिनो का माना गया । यौ०-दसकंधपुर = शंका। है। पहले दिन श्मशान कृत्य और पस्थिसचय, दूसरे दिन दसखत-सका पुं० [ फर• दस्तखत ] दे० 'दस्तखत'। रुद्रयाग, क्षौर प्रादि मौर तीसरे दिन सपिडीकरण । स्मृतियो दसगुना-वि० [सं० दशगुरिणत ] किसी संख्या या परिमाण का दस ने पहले दिन के कृत्य का दस दिनों तक विस्तार किया है प्रतिशत अधिक । १०-होत दसगुनो भंकु है दिएँ एक ज्यो जिनमें प्रत्येक दिन एक एक पिंड एक एक मंग की पूर्ति के पिंदु । दिए दिठोना यो बढ़ी मानन भामा इदु। मतिः लिये दिया जाता है। पर ग्यारहवें दिन के कृत्य में अब भी म., पृ० ४५३ ॥ द्वितीयाहसकल्प का पाठ होता है। दसगून -वि० [हि. दसगुना] दे० 'दसगुना' । उ -राम नाम दशी---सधा पुं० [सं० दखिन] दस गांवों का शासक । उ०-दश ग्रामो को भक है, सब साधन है सून । मंक गए कछु हाथ नहि प्रक के शासक को 'दशी' कहा जाता था।--मादि०, पृ० १११ । रहे दग्गु ।-सतवाणी०, पृ०७१। दशेधन-सा पुं० [सं० दशा (-दीप की बत्ती )+ इन्पन] प्रदीप। दसटौन-सा पुं० [१० दश+ स्थान ] बच्चा जनने के समय की दीपक दीया [को०] । एक रीति, जिससे मनुसार प्रसूता स्ली दसवें दिन नहाकर दशेर--सना पुं० [सं०] हिंसक जीव। हिल प्राणी [को०] 1 सौरी के घर से दूसरे घर में जाती है। दशेरक-सहा पुं० [सं०] १ मा प्रदेश । म देश । २ मरु देश का सता-सा पुं० [फा० दस्तानह, ] हाथ के पंजों की रक्षा के निवासी। ३ । ऊँट । युवा ऊँट । ४ गर्दभ । गदहा [फो। लिये बना हुपा लोह कवच । 3.-माये टोप सनाह तन, कर