पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/६२

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जरनैल -- सो न ल ] दे॰ 'जनल' ।.. . लोमी। जरमन –वि. जर चरनी जरांकुश जरनी -संघा स्त्री० [सं० ज्वलन ] जलन । ताप । पग्नि । उ०—लिय रंड तेगं सुघल्ल जरम्बी। कटे सेन पहुवान मानह ज्वाला । उ.-बिछुरी मी सग ते हिरनी । चितवत करन्ची ! -१० रासो, पृ०६४। रहत पकित चारी दिसि उपजि विरह तन जरनी ।- जरवुलमसल-सहा स्त्री० [म. करचुलमसल] कहायत । लोकोक्ति । सूर०, ६७३। जरमन'-समा पुं० [म.11. जरमनी देश का निवासी । वह जो जरनैल -सस पु.[40]दे० 'जनरल'। __ जरमनी देश का हो। जरनैल-सबा पुं० [अ० जनल ] दे॰ 'जनल'। जरमन-सञ्ज्ञा स्त्री० जरमनी देश की भाषा । जरपरस्त-वि० [फा० वरपरस्त ] श्रथपिशाच । सूम । लोमी। जरमन:-वि० जरमनी देश सवधी। जरमनी का। जैसे, जरमन कजूस [को॰] । माल, जरमन सिलवर। जरपोस-सक पु० [फा. जरपोश ] जरी का कपडा । जरी की जरमन सिलपर-सज्ञा पुं० [म.] एक सफेद मोर चमकीली पोशाक 1 30-सबज पोस जरपोस करि लीनो लाल लुगाइ। यौगिक घातु जो जस्ते, तवे पोर निकल के सयोग से भाह माह फिर भाइ करि करति घाइपर घाइ।-स. सप्तक, वनती है। पृ० ३८३ । विशेष—इसमें माठ भाग तांबा, दो भाग निकल पौर तीन से जरफ-वि० [भ. जरफ ] साफ। स्वच्छ । निर्मल 70--सब पांच माग तक जस्ता पडता है। निफल की मात्रा बढा देने __ सहर नारि शृगार कीन । अप अप्प अड मिलि पलि नवीन । से इसका रग मधिक सफेद भौर पच्छा हो जाता है। इस १ पपि कनक थार मरि द्रव्य दूव । पटकूल जरफ जरकसी घातु वरतन और गहने भादि बनाए जाते हैं। कद -पु. रा०, ११७१३।। जरमनी-सहा पुं० [म.] मध्य यूरोप का एक प्रसिद्ध देश । जरव-सचा मी० [पं. ज़रब ] प्राधात । चोट । जरमुआ-वि० [हिं० जरना मुना [वि.म्ही जरमुई ] जल- यौ०--जरव खफीफ हलकी चोट । जरव शदीद = भारी चोट मरनेवाला। वहत इर्ष्या करनेवाला। महार-जरव देना चोट लगाना। प्राघात करना । पीटना। जरर---सक्षा पु० [म. जरर] १ हानि । नुकसान । क्षति । उ.--- ३०-दगा देत दूतन चुनौती चित्रगुप्त देत जम को जरब देत जब जुल्मो जरर मुल्क सुलेमान में देखा !--कमीर म०, पृ० पापी लेत शिवलोक । -पद्माकर (शब्द॰) । ३८८ । २ प्राधात । चोट । २ सवले पृदग मादि पर का माधात। थाप जो दो तरह की कि० प्र०--पाना । पहुंचना। -पहुँचाना। होती है, एक खुली मौर दूसरी बद। ३. गुणा (गणित)। ३. प्राफत । मुसीवत । कपड़े पर छपी या काढी हुई वेल । जरन--सधा स्त्री॰ [देश॰] एक बारहमासी घास जो मध्य प्रदेश जरवकस-वि० [फा० जर+बल्श ] उदार। दाता । दानी। पोर बुदेलखक मे बहुत होती है । इसे 'सेवाती' भी कहते हैं। धन देनेवाला । जरवाना -क्रि० स० [हिं० जलना ] दे० जलवाना' । उ०- 30-तुम जरवकस पराव मोती हो लाल जवाहिर नहिं गनता। जोगी जोग से घ्यावै । न तपसी देह जरवावै ।-घावीर० श०, -स. दरिया, पृ०६४। भा० ३, पृ०७। जरवक्त-समापुं० [फा. जरवत ] यह रेशमी कपडा जिसकी जरचारा बुनावट में कलावत्त देकर फुल वेल बूटे बनाए जाते हैं। --वि॰ [फ़ा. जर + हि वाला (प्रत्य॰)] रुपए पैसेवाला। । घनी। 10-ते धन जिनकी ऊंची नजर है। फइक बनाय जरवाफ- सापु [फा० जरवाफ़ ] सोने के तारों से कपडे पर दिए जरवारे जिनकी कतई नजर है।-देवस्वामी (शब्द॰) । वेलबूटे बनानेवाला कारीगर । जरदोज । , जरस'-संगा ली० [फा०] घटा। घडियाल 130 जरवाफी-वि० [फा० जरवाफ़ी 1 जरबाफ के काम का। जिस- टॅगाती हैं मैं एका जरस । फिर पाए सफर कर तू जब हो पर जरवाफ का काम बना हो । सरस । -दक्खिनी० पृ०, १४६ 1 जरबाफीर-सपा स्त्री०३० 'जरदोजी'। जरबीलापुर-वि० [फा० जरव+हिं० ईला (प्रत्य॰)][ वि० स्त्री० जरस-सना पु° [देश॰] एक प्रकार की समुद्र की घास । - जरवीली जो देखने में पहत भड़कीला भौर सुदर हो ।-- जरहरिल-सधा सी० [ देश० ] जल का खेल । जलमोहा। उ०-बवरण झुक झुमका प्रति लोल कपोल जरा बरे रुहिरि तरगिणि तीर भूत गण जरहरि सेल्लइ ।-कीति०, जरवीले ।--गुमान (शब्द०)। (ख) भायो तह भावतो पृ० १०८। कई पायो सीर सोरह मे पीठ पीछे चीन्हें पीन्हें पोति जरबोलो जराकुश-सहा पुं० [सं० यज्ञकुश मूज के प्रकार की एक सूगषित को -रघुराज (शब्द०)। घास जिसमें नीबू को सी सुगध पाती है। जरखुलंद--सथा पुं० [फा० अरदुलद] कोफ्त का एक भेद जिसके विशेप-यह कई प्रकार की होती है। ददिरण भारत में यह गुलबूटे, जिनपर सोने या चांदी की कलई होती है, बहुत बहुत प्रषिकता से होती है । इमसे एक प्रकार का तेल निक- उभड़े रहते हैं। लता है जिसे नवू का तेल कहते हैं और जो साबुन तथा जरन्बी..--वि० [म. जरष] घाव करनेवाला । चोट पहुंचानेवाला सुगचित तेस भादि बनाने में काम माता है।