पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/६३

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२००६ जरासंघ जरा'- समा स्त्री० [सं०] १. बुढ़ापा ! वृद्धावस्था । यो०-जराफतपसद = विनोदप्रिय । हसोड । जराफत की पोट- यौ०-जराप्रस्त । जरामरण । - हंसी की पोटली। हंसोड़। २ पुराणानुसार काल की कन्या का नाम । विनसा। ३ एक जराफा–समा पुं० [अ० जराफ] दे० 'जिराफा । । राक्षसी का नाम जो मगध देश की गृहदेवी थी। इसी को पष्ठी 'जराबोध-सज्ञा पुं० [सं.] वह पग्नि जो स्तुति करके प्रज्वलित की भी कहते है। जरा नाम की एक राक्षसी जिसने जरासघ को गई हो। (वैदिक) । जोड़ा था। दे० 'जरासष' । उ०-जरा जरासष की सधि जराबोधोय-सहा पुं० [सं०] एक प्रकार का साम । जोरधौ हुतो भीम ता संघ को चीर डरयौ।- सूर०, जराभीत, जराभीरु-सहा पुं० [सं० ] कामदेव [को०] । १०४२१५। ४ खिरनी का पेड। ५. प्रार्थना । प्रशसा। जरा स-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] कामदेव । श्लाघा। यौ०-जराबोध। जरायणि-सना पुं० [ म० ] जरासघ का एक नाम । ६. पाचन शक्ति (को०)। ७ वृद्धावस्था की शिथिलता (को०)। जराय -वि.हि.] दे० 'जराव' । जरा-सञ्ज्ञा पुं० [ 10 ] एक व्याध का नाम । जरायम ----का पुं० [म. 'जरीमह,' का बहु व• ] पाप । दोष। विशेष- इसी के बाण से भगवान् कृष्णचन्द्र देवलोक सिधारे थे। गुनाह । मपराध (को०)। र जरायमपेशा-वि० [फा० जरायम पेशह ] जो अपराधी स्वभाव जरा--वि० [म. जरह ] थोडा । कम । जैसे,--जरा से काम में जर का हो। अपराधी। दोप या गुनाह करनेवाला । तुमने इतनी देर लगा दी। जुर्म करनेवाला। यौ०-जरा जरा थोडा थोडा । जरामना = फमवेश । पोड़ा । जरायु-सदा पुं० [सं०] [वि. जरायुज ] १. वह मिल्ली जिसमें बहुत । जरा सा। बच्चा बंधा हुमा उत्पन्न होता है। प्रावल । सेदी। उत्व । जरा-क्रि० वि० थोडा । कम । जैसे,--जरा दोडो तो सही। २ गर्भाशय । ३. योनि । ४. जटायु । ५ मग्निजार या समुद्र- मुहा०--चरा चलेगी - जरा बात बढ़ेगी। तकरार होगी। उ०- फल नामक बक्ष। ६. कार्तिकेय के एफ भनुचर का नाम । ७ मैं तो समझी थी कि जरा चलेगी |--सैर० कु०, पृ० २४ । सांप की केचुत (को०)। जराअत-सज्ञा स्त्री० [अ० जिरामत ] ३० जिरामत'। जरायुज-सन्ना पु० [सं०] वह प्राणी जो प्रावल या खेडी में लिपटा जराअत-सना बी० [अ० जराप्रत ] १, रुदन । ऋदन । २ विनती। हुमा अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न हो। पिंडज । मिन्नत [को०)। जरार-वि० [म. जरर ] क्रूर । हानि पहुँचानेवाला । उ०-वडा जराऊ -वि० [हिं० ] दे० 'जड़ाऊ । १०-पांवरि कवम जराक जरार प्रादमी है।--फिसाना०, भा० ३, पृ० १२५ पाऊं। दोन्हि असीस पाइ तेहि ठाऊ।-जायसी (शब्द०)। जराव -वि० [हिं० जडना] जडाक। जिसमें नगीने मादि जडे जराकुमार-सज्ञा पुं० [ पुं० ] जरासष। हो। जहा हुआ। स०-(क) दी जराव लिलार दिए गहि जराग्रस्त-वि० [सं०] बुड्ढा । वृद्ध । होरी दोक पटिया पहिराई। -सुदरीसर्वस्व (शब्द.)। (ख) सुदर सूधी सुगोल रची विषि कोमलता प्रति ही सर- जराजीणें-वि० [सं० जरा+जीणं] बुढापे के कारण दुर्बल । बुड्ढा सात है । त्यो हरिपोध जराव जरे खरे ककन कचन के दरसात वृद्ध । उ०—हो मलते कलेजा पडे, जरा जीणं, निनिमेप है।--अयोध्या० (शब्द०)। नयनों से। -अपरा, पृ० १५२ । जराशोष-सक्षा पुं० [सं०] एक प्रकार का शोप रोग जो लोगों को जराति-समासी० [अ० जिरायत ] खेती। फसल । समृद्धि। वृद्धावस्था में हो जाता है। उ०—रेती बादशाही की जराति उजगा। देवीसिंघ तेरा जोर देषना पडेगा । --शिखर०, पृ. ६४। विशेष-इस शोष रोग में रोगी दुल हो जाता है, उसे भोजन से जराती-सचा पुं० [हि जलना] वह शोरा जो चार बार उसाया अरुचि हो जाती है और वल, वीर्य तथा बुद्धि का क्षय हो जाता है। गया हो। जरातुर-वि० [सं०] जरा से जर्जर । जराग्रस्त । वृद्ध । बूढा (को०] । जरासध-पुं० [सं० जरासन्ध ] महाभारत के अनुसार मगध देश __ का एक राजा । यह वृहद्रथ का पुष और कम का श्वसुर था। जराद-सञ्ज्ञा पुं० [प] टिड्डी। विशेप-पुराणों के अनुसार यह दो टुकडो मे उत्पन्न हुमा मोर जराना@-क्रि० सं० [हि. जरना] दे॰ 'जलाना' । उ.-पयन को 'जरा' नाम की राक्षसोबारा दोनों ट्रकों को जोड़कर सजीव पूत महाबल जोघा पल' मैं लक जराई।-सूर०, ६१४० । किया गया। इसलिये इसका नाम जगसघ, जरास्त भादि जरापुष्ट-सहा पुं० [सं०] जरासघ का एक नाम । पहा । कृष्ण द्वारा अपने श्वसुर कस के मारे जाने पर इसने जराफत-सवा सौ. [अ० जराफत ] जरीफ होने का भाव । मस मथुरा पर अठारह बार प्राक्रमण किया था। युधिष्ठिर के खरापन । परिहासप्रियता। उ०-उसके मिलाज में जराफत राजसूय यज्ञ में अर्जुन और भीम को साथ लेकर कृष्ण इसकी जियादा है। प्रेमघन०, भाग २, पृ० १०२। २. हंसी राजधानी निरिग्रज में ब्राह्मण के वेश मे गए और उन राजाम्रो मजाक । परिहास। को छोड देने के लिये कहा जिन्हें उसने परास्त कर कैद