पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/६४

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- जरासिंघ - - जरूरी कर लिया था, किंतु जरासघ ने नहीं माना। अंतत भीम के जरीनाल-सद्या स्त्री० [हि. जरी+नाल (= ठोकर)]-कहारों की साथ युद्ध करने की मांग म्वीकार कर सी। कहते हैं कई बोलचाल में वह स्थान जहाँ ईंटें और रो पड़े हो। दिनों तक मल्ल युद्ध होने के बाद मो जव यह पराजित जरीफ वि० मि० जरीफा परिहास करनेवाला । मसखरा । ठ- नहीं हुप्रा तब एक दिन कृष्ण का सफेत पाकर भीम ने इंट वाज । मखौलिया। युद्ध में जरा राक्षसी द्वारा जोडे गए प्रग के दोनों विमागो को जरीव-संज्ञा स्त्री० [फा०] माप जिससे गृमि नापी जाती है। चीरकर इसे मार डाला था। विशेष-हिंदुस्तानी जरीब ५५ गंज की भौर प्रग्रेजी जरीव ६० जरासिंघ -समा पुं० [हिं०] दे॰ 'जरामघ । - गज की होती है । एक जरीब में २० ग8 होते हैं। जरासुतु-संज्ञा पुं० [सं०] जरासंध । यो०-जरीवका । जरीवकशी = (१) जरीव द्वारा खेतो की यौ०-जरासुजित् = चरा राक्षसी के पुत्र जरासंध को. पैमाइश । (२) जरीव खीचने का काम । - बीतनेवाला । भीम। मुहा०—जरीव डालना = भूमि को जरीव से नापना । जराह-सत्रा ० [अ० जहि] दे० 'जहि । -२ लाठी। छड़ी। जरिणी-वि० सी० [स्रो जरिन् ] वृद्धा । बूढी (को०] . जरीवकश-संधा पुं० [फा०] वह मनुष्य जो भूमि नापने के समय जरित'-वि० [सं०] १ बृद्ध । जईफ । २. क्षीण। दुर्बल । जरीय खींचने का काम करता है। शो ! नरना. जरित- किहि नरना1. जमिनी जराषफ्ता -सबा पुं० [फा० वरपफ्त] दे० 'जरबपतन जरीवक्त पी मोढे तासे, साहि समुझि के धरना । —संह 7.-पहुंषी करनि कंठ कठुला बन्यो, केहरि नख मनि जरिव" दरिया०, पृ० १४५ । । नराए। -तुलसी प्र०, पृ० २८६ । -- लचा प्र॰, पृ० २८६ ___ जरीवाना-सका पुं० [हिं०] दे० 'जुरमाना' । उ०-प्रागे वो जरी-... जरिमा-सा की [ म० बरिमन् ] वुढापा । जरा । वृद्धावस्था । - पाना, फेर ' जहसखाना रे हरी :--प्रेमघन॰, भा॰ २, जरिया -- साहि० जरिया] दे० 'जदिया।-3. ग . पृ. ३५६ । कर मरम सो जरिया जाना । जरे जो प्रस नग हीर पखाना ! जरीवी-वि० [फा०] (भूमि) नो जरीब से नापी हुई हो। - . . -जायसी प्र० (गुप्त), पृ० २४१ । नरीमाना-सचा पुं० [हिं०] दे० 'जुरमाना' । , . . ‘जरिया-वि० [हि. जरना ] जो जलाने से उत्पन्न हो । जलाकर . बनाया पा तैयार किया हमा । जैसे, जरिया शोरा, जरिया जराला--वि० स्त्री० [हि० जना + ईला. (प्रत्य॰)] सोने के तारों निर्मित । जहावदार । जिमपर जड़ाव का काम हो । उ०- नमक। फ प्रभा श्यामल इद्रनीली । मोती छ चौ०-जारिया शोरा-एक प्रकार का शोरा जो माफ सहाकर र ही जरीली। बनाया जाता है। जरिया नमक = वह खारा नमक जो प्राच से तैयार किया जाता है। जरुमा-सचा पुं० [सं० जरा जरावस्था। वृद्धावस्था । बुढापा । 10.-जीवन बाल वृद्ध पवस्ता। जोवन हारिमा जरुमा जरिया'..सधा पुं० [प्र. जरियह. या जरीग्रह ] १ सबध । 'लगाव । नो द्वार । जैसे,- उनके यहाँ अगर मापका कोई जरिपा हो तो जित्ता -प्राण, पृ०२४२ 1-. .... बहत जल्दी काम हो जायगा। २. हैतु । कारण । सव। जल्थ-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मांस । गोपत । ३ पाय ! साधन । तदधीर । ८०-सौ पाई जरिया सिर ७. जरूथ'-वि० कटुवादी । कटुभाषी 1 - --:: : '... ".- - रिया, विष ऊपरिया तन तिरिया। -सुदर० , जरूर'-कि० वि० स्र] वि० जरूरी। सनी जरूरत अवश्य ।। भा. १, पृ०२३१। नि सदेह । निश्चय करके। जरिएक-सचा पुं० [फा.जनिक ] दाबहलदी। यो०--जरूर जर - प्रवश्यमेव । ... . - तरी'-वि० पुं० [सं० जरिन् ] [वि० श्री. जरिणी] बुढा । वृद्ध। जरुर -संज्ञा पुं० [4. पर दवा की दुकनी जो जस्म या घाख जरी -सदा मी० [ म० जडी] जरी । बूटी। उ०-तब सो बरी . में छोड़ी जाय [को०)। " अमृत लेइ पाया । जो मरे हुन तिन्ह छिरिफि जियावा ।- जरूरत-संवा स्त्री० [प० जसरस] 'पावश्यकता । प्रयोजन । जायसी (शब्द॰) । क्रि० प्र०-पडना-होमा। . . जरी-सहा त्री० [फा० बगै] १ ताश नामक कपडा जो बादले से . यो०-जरुरतमद = (१) इच्छुक " दुना जाता है। २ सोने के तारों मादि से बना हमा काम :- पाकांक्षी। (२) दीन । ___ दरिद्र । मुंहताज-1-(३) भिक्षक । भिखारी। लरी'-वि० सोने का ! स्वर्णिम । स्वर्णमय 11 , जगेद-सष्ठ पु० मि०1१. पत्रवाहका कासिद । २ जासूस । गमचरं । जरूरतम्-० वि० [अ० जहरतन धावण्यता [को०] -" -"- ' - जरूरत स . जरीदा-सा . [प. जरीदह ] १ एकाकी व्यक्ति, पफेला मादमी जरूरियाव-सहा बी० [म० जरूरी का महया पावश्यक चीजें। २. समाचारपत्र । अखबार [को०] । जरूरी-वि० [फा. जरूरी] १ जिसकी जरूरत हो। जिसके बिना –श्मामा०, पृ० ३८१ .... .. "