पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/७१

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जलप्रपा जलम जलप्रपा-सया पुं० [सं०] वह स्थान जहा सर्वसाधारण को पानी केकड़ा। ३ कच्छप। कछुप्रा (को०)। ४ चौकोर झील मा पिलाया जाता हो। पौसरा । सबील । प्याऊ । तालाव (को०)। जलप्रपात-साझा प्र० [सं०] १ किसी नदी मादि का 'चे पहाड जलवुवुद-सचा पुं० [सं० ] पानी का बुल्ला । बुलबुला । पर से नीचे स्थान पर गिरना । २ वह स्थान जहाँ किसी जलबेत-सपा पुं० [सं० जलवेतस् या जलवेत्र जलाशयों के निकट ऊँचे पहाड़ पर से नदी नीचे गिरती हो। ३ वर्षाकाल । की भूमि में पैदा होनेवाला एक प्रकार का बेत । प्राट् ऋतु । जलदागम (को०)। विशेष-इस वेन का पेड लता के प्राकार का होता है । इसके जलप्रलय-सधा पुं० [सं० ] दे० 'जलप्लावन'! पत्ते बांस के पत्तो की तरह होते हैं और इसमे फल फूल भाते जलप्रेषाह-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. पानी का बहाव । २०-भरत दसा ही नही । कुरसियाँ, ३, इत्यादि इसी वैत के छिलके से बुनी तेहि अवसर कैसी । जल प्रवाह जलअलि गति जैसी।-मानस, पाती हैं। ३१२३३ । २ किसी के शव को नदी मादि में बहा देने की जालबेली-सहा स्त्री० [सं० जलयल्ली ] जल में या बल के कारण क्रिया या भाव। ३ किसी पदार्थ को बहते हुए जल में उत्पन्न होनेवाली लताएं। उ०-भय दिवाह पाहट्ट दुति छोड देना। तपसरनी को कोप । जलबेली विह नागविप ते जिन भए क्रि० प्र०—करना ।—होना । प्रलोप-पृ० रा०,१॥ ४६५ । जलप्रांत-समा पुं० [सं०] नदी या जलाशय के पासपास का स्थान ।। जलब्रह्मी-सक्षा सी० [सं०] हिलमोची या हरहर का साग । जलप्राय-सहा . [सं०] वह प्रदेश या स्थान जहाँ जल अधिकता जलवाह्मी--मक्षा त्री० [40] दे० 'जलब्रह्मो। से हो । मनूप देश । जलभेंगरा-समापुं० [हिं० जल मंगरा ] एक प्रकार का मंगरा जलप्रिय-सक्षा पुं० [सं०] १ मछली । २ चातक । पपीहा । जो पानी में या पानी के किनारे होता है। जलप्रिया-सच्चा सी० [सं०] १ चातकी । २ पार्वती। दुर्गा । जलभँवरा-सपा पुं० [हिं० जल+भंवरा ] काले रग का एक दाक्षायणी । [को०] । कीडा जो पानी पर बड़ी शीघ्रता से दौडता है। इसे भंवरा जलप्रेत-संशा पुं० [सं०] वह व्यक्ति जो जल में डूबकर मरने से भी कहते हैं। प्रेत योनि प्राप्त करे। जलभाजन-सा पु० [सं०] दे० 'जलपान'। जलप्लष-सखा पु० [सं०] ऊदबिलाव । जलभालू-सज्ञा पुं० [हिं० जल+माल ] सील की जाति का एक जलप्लावन-सचा पुं० [सं०] १ पानी की बाढ़ जिससे पास पास जतु। की भूमि जल में डूब जाय। २. पुराणानुसार एक प्रकार विशेष-यह प्राकार मे माठ नौ हाप लवा होता है और इसके का प्रलय जिसमे सब देश डूब जाते हैं। सारे शरीर मे बडे बडे वाल होते हैं। यह सुहौ मे रहता है विशेष-इस प्रकार के प्लावन का वर्णन अनेक जातियो के धर्म- और इसको सत्तर से प्रस्सी तक मादानो के भर मे एक ही प्रों में पाया जाता है। हमारे यहाँ के शतपथ ब्राह्मण, नर रहता है। यह पूर्व तथा उत्तरपूर्व एशिया भोर प्रथात महाभारत तथा अनेक पुराणों में परिणत, वैवस्वत मनु का महासागर के उत्तरी भागों में अधिकता से पाया जाता है। प्लावन तथा मुसलमानों पौर ईसाइयों के हजरत नूह का जलभोवि-सया पु० [सं०] दे० 'जलपास। तूफान इसी कोटि का है। जलभू-सहा पुं० [सं०] १. मेघ । २ एक प्रकार का कपूर । ३. जलचीलाई। ४ वह स्थान जहाँ जल एकत्र कर रखा जाता अलफल-सा पु० [सं०] सिंघाडा । है (को०)। जलबंध-सका पुं० [सं० जलवन्ध ] मछली। जलभू-सक्षा स्त्री० वह भूमि जहाँ जल प्रषिक हो। जलप्राय भूमि । जनबधक-सशा पुं० [सं०. जलवन्धक ] पत्थर मिट्टी मादि का कन्छ। मनूप । बाप जो किसी जलाराय का जल रोक रखने के लिये बनाया जलभु'+-वि० जलीय । जल में उत्पन्न [को०। जाता है। जलभूषण - सना पुं० [सं०] वायु । हवा । जलबंधु-सहा पुं० [सं० जलबन्धु ] मछली। जलभृत् -सक्षा पुं० [सं०] १ मेघ । बादल । २ एक प्रकार का जलबालक-सचा पं० [सं०] विध्याचल पर्वत। कपूर 1 ३ जल रखने का पात्र या बरतन । जलवालिका-समा स्त्री० [सं०] विद्युत् । चिजली। जलमडल-- सझा पु० [सं० जलमण्डल ] एक प्रकार की बड़ी मकड़ी जलविंदुजा-सबा खी० [सं० जलविन्दुजा ] यावनाल शर्करा नाम जिसके विप के ससर्ग से मनुष्य मर जा सकता है। चिरैया की दस्तावर पोषधि जिसे फारसी में शीरखिश्त कहते हैं। बुदकर । जलबि-सा पुं० [सं० जलविम्व ] पानी का बुलबुला । जलमदृक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० जलमण्डूक ] प्राचीन काल का एक जलचिवाल-सचा पुं० [सं०] कदबिलाव । प्रकार का वाजा। जलदर्दुर। जलविल्व-सज्ञा पुं० [सं०] १ वह देश जहाँ जल कम हो। २. जलम -सचा पुं० [ से जन्म, पु. हि० जनम ] दे० 'जन्म'।