पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/७२

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प्रिय । पतंग कामात] ३० जलजो जल में बलमक्षिका जललोहित जलमतिका-सह पुं० [सं०] जलनिवासी एक कोट [को०। जलमोद-मज्ञा पुं० [सं०] उशीर । खस । जममग्न-वि० [ म० ].जल मे डूबा हुमा । जल में निमग्न [को०]। जलयंत्र--सना पुं० [सं० जलयन्त्र ]१ वह यत्र ( रहट, चरखी जलमदुगु-सझा पुं० [सं०] एक जलपक्षी । मछरग । फोडिल्ला। मादि ) जिससे कुएं प्रादि नीचे स्थानों से पानी ऊपर निकाला जसमधूक-मशा ० [सं०] दे॰ 'जलमहना' । या उठाया जाता है। २. जलघडी । ३ फुहारा । फौधारा। जलमय-सहा पु. [सं०] १. चद्रमा। २ शिव की एक मूति । यौ०-लयत्रगृह - फुहारा घर। वह घर जिसमे फुहारे लगे हो । जलयप्रमदिर= दे० 'जलयात्रगृह । जलमय-वि० जत्न से पूर्ण या जलनिर्मित [कोल। जलमर्कटसमा पु० [सं०] दे॰ 'जलकपि'। जलयात्रा-सपा सी० [सं०] १. वह यात्रा जो अभिषेक माधि के निमित्त पवित्र जल लाने के लिये की जाती है । २. राजपुताने जलमल-सका पुं० [सं०] फेन । झाग । में प्रचलित एक उत्सव । जलमसि-सबा पुं० [सं०] १ बादल । मेघ । २ एक प्रकार का कपूर । विशेष-यह देवोत्थापिनी एकादशी के बाद चतुर्दशी को होता । है। उस दिन उदयपुर के राणा मपने सरदारों के साथ सज- जलमहथा-सका पुं० [सं० जलमधूक ] एक प्रकार का महमा जो कर बड़े समारोह से किसी हद के पास जाकर जल की पूजा दक्षिण में कोंकण की पोर जलाशयों के निकट होता है। करते हैं। विशेष-इसकी पत्तियाँ उत्तरी भारत के महए की पत्तियों से ३ वैष्णवों का एक उत्सव जो ज्येष्ठ की पूर्णिमा को होता है।' बड़ी होती हैं और फूल छोटे होते हैं। वैद्यक में यह ठढा, नाशक, बलवीर्यवर्धक तथा रसायन और वमन को दूर इस दिन विष्णु की मूर्ति को खूष ठढे जल से स्नान कराया करनेवाला माना गया है। जाता है। जलयान-सना पु० [सं०] सवारी जो जल में काम पाती है। पर्या०-दीर्घपत्रक । ह्रस्वपुष्पक । स्वादु । गौलिका। मधूलिका । से, नाव, जहाज प्रादि । खोदप्रिय । पतंग कीरेष्ठ । गौरिकाक्ष । मागल्य । मधुपुष्प । जलयुद्ध-सम्झा पुं० [सं० जल+युद्ध ] पानी में होनेवाली लड़ाई। जलमातंग-सहा पुं० [सं० पलमातङ्ग] दे॰ जलहस्ती [को०] । जलपोतों द्वारा युद्ध । जलमातृका-सा श्री० [सं०] एक प्रकार की देवियां जो जल मे जलरक-सा पुं० [सं० जलरक] दक । बगुला । रहनेवाली मानी गई है। ये गिनती में सात हैं। इनके नाम है-(१) मस्सी, (२) कुर्मी, (३) वाराही, (४) दुर्दुरी, जलरंकु-मता पुं० जलरङ्क ] बनमुर्गी । जलकुदकुट । मुर्गाषी । (५) मकरी, (६) जलूका पोर (७) जतुफा। जलरंज-सज्ञा पुं० [सं० जलरज ] एक प्रकार का बगुला । जलमानुप-सहा . [सं०] [श्री जनमानुषी] परीरू नामक जलरंड-सञ्ज्ञा पुं० [सं० जलरएट] १. आवर्त । भवर । २ पानी एक कल्पित जलजतु जिसकी नाभि से ऊपर का भाग मनुष्य की यूँद । जलकए। ३ साप । सर्प। का सा पौर नीचे का मधशी के ऐसा होता है। उ०-- जलरख@-सक्षा पुं० [सं० जल+हि. रस] यक्ष । जल के रखवारे । तुरत तुरगम देव चढ़ाई'। जलमानुप प्रगुणा संग लाई।- वरुण के सिपाही । उ०—तुझ तुरगा दान रा हिमगिर जलमार्ग-सदा पु० [सं०] दे० 'जलपथ' [को०] , तलहटियांह। गाने गीत तुरगमुख जलरख जल बटियाह । जलमार्जार-पचा स्त्री० [सं०] ऊदबिलाव । -बाँकी० प्र०, मा०३, पृ०६ । जलमाला-सबा खी० [सं०] मेघमामा । बादलों का समूह । उ०- जलरस-संशा पुं० [सं०] १. समुद्री या सौमर ममक । २ ममक । मादल काला घरसिया प्रत जलमाला पाए । काम लगों जलराक्षसी-महा खो [सं०] जल मे रहनेवाली राक्षसी जिसका चामा करश मतवाना रंग माण।-घाँकी• ग्र०, भा०२, नाम सिंहिका था और जो पाकाशमामी जीवों की छाया से उन्हें पपनी पोर खीच लेती थी। जलमूक -सहा पुं० [सं० अलमुक, जलमुच्] मेष । बादल । जलराशि-सपा पु०सं०] १ ज्योतिष शास्त्र के प्रनमार - दे० 'जलमुच्'। उ०-नीरद छीरद मधुबह वारिद जलमुक मकर, कुम पार मीन राशियो। २. समुद्र। नौट।-पने कार्य०, पृ० १२ । जलरास --सक्षा पुं० [सं० जमगशि ] समुद्र । जल का पुजीभूत जलमुच-सना पुं० [सं०] १ बादल । मेघ । २ एक प्रकार रूप। सागर। To--जैसे नदी समुद्र समावे वैत भाव तजि का कपूर । हजलरास 1-सुंदर० प्र० भा० १, पृ० १५६ । जलमुर्गा-सधा पु० [हिं० ] जलकुक्कुट । मुर्गाची। जलरुह-सज्ञा पुं० [सं० जलाएर ] दे० 'अलर'। जलमुलेठी-सबा श्री० [सं० जनयष्टि ] जलाशय के तट पर पैदा जलरुह-सा पुं० [सं०] कमल । होनेवाली मुलेठी। जलरूप-सझा पुं० [सं०] १ मकर राशि। २ नक । मकर (को॰) । जलमूर्ति-समा पु० [t० ] शिन । जललवा-सहा स्त्री॰ [ मं० ] पानी की लहर । तरग । जलमर्विका-सबा नी० [सं०] फरका । पोला । जललोहित-संशा पुं० [सं०] एक राक्षस का नाम ।