पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/७३

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जलवरंट जलसा जलवरंट-सफा पुं० [सं० जलवरएट ] जल के अधिक ससर्ग से होने हो जाना, कुएँ में धुआं, ज्वाला भादि देख पठना, उसके पानी पाली एक प्रकार की पिटिका या व्रण [को०] । का खौलने लगना या उसमें से रोने, गाने, गर्जने भादि के जलवत--सचा पुं० [सं०] १. मेघ का एक भेद । उ०--सुनत शब्दों का सुनाई पडना, जल के गष, रस आदि का अचानक मेघवर्तक साजि सैन ले भाये। जलवत, वारिवर्त पवनवर्त, बदल जाना, जलाशय के पानी का विगड जाना, इत्यादि इस वीजूवतं, भागिवर्तक जलद सग ल्याये ।-सूर (शब्द०)। योग मे होते हैं। यह अशुभ माना गया है और इसकी शांति २ दे० 'जलावत'। का कुछ विधान भी उसमे दिया गया है। जलवर्तिका-सशात्री० [सं०] एक प्रकार का जलपक्षी [को०] । जलव्यथ जलव्यध-ली. पुं० [सं०] फकमोट या कौना नाम की मछली। जलवल्कल-सया पुं० [सं०] जलकुभी । जलव्याघ्र-सा पुं० [सं०] [स्त्री० जलयात्री ] सील की जाति का जलवल्ली-सहा स्त्री० [सं०] सिंघाडा । एक जतु जो बडा क्रूर और हिंसक होता हैं। जलवा- सथा [म. जल्वह ] १ शोभा। दीक्षिा तडक भडक । विशेष- हील डौल में यह जलभालू से कुछ ही बडा होता है उ०—पहां देखो वहां मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है। उसी पर इसके शरीर पर के बाल जलभाल के बालों की तरह का सच है जलवा जो जहाँ में माशाकारा है।-भारतेंदु बहुत बडे नहीं होते। इसके शरीर पर चीते की तरह दाग प्र०, मा० २, पृ० ८५१ । २ प्रदर्शतन । नुमाइश । ३. दीदार। या धारियां होती हैं। यह प्राय दक्षिण सागर मे सेटलैंड दर्शन (को०)। नामक टापू के पास होता है। यो०-बलवागर प्रकट । प्रत्यक्ष । २०-हुमा जप प्राइने मे जलव्याल -सक्क पुं० [म.] जलगदं । पानी मे का साँप । जलवागर मैं तब लिया वोसा। जो पाया अपने काबू में तो। जलशय-सहा पुं० [सं०] विष्णु । फिर मुंह देखना क्या है।-कषिता को०, भा०४, पृ० २६ ।। जलशयन-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'जलशय'। जलवाद्य-सहा पुं० [सं०] एक पाजा। उ०—जलाघात, जलवाद, जलशर्करा-सक्षा श्री० [सं०] वर्षोपल । करका । भोला [को०] । चिरयोग्य मालाग्र यन ।---वर्ण, पृ० २० । जलशायी-सज्ञा पुं॰ [ म० जनशायिन् ] विष्णु । जलवाना-क्रि० स० [हिं० जलाना ] जलाने का प्रेरणार्थक रूप । जलशुक्ति-सक्षा स्त्री० [सं०] घोंघा [को०)। जलाने का काम दूसरे से कराना । जलशुनक-सचा पु० [सं०] जल का नकुल । ऊदविलाव (कोग। जलवानीर-सका पुं० [सं०] जलवेत । मबुवेतस् । जलशूक- सना पुं० [ सं० ] स्वार । फाई जलवायस--सपुं० [१०] कोहिल्ला पक्षी। जलशूकर -मश पुं० [स० कु भीर या ना नामक जलजतु । जलवायु-सधा पुं० [सं० जल+ वायु ] मावहवा । मौसम । जलशोष-सज्ञा पुं० [सं० ] सूखा । अनावृष्टि (को०] । जलवालुक-मझा . [सं.] विध्य पर्वत श्रेणी [को०। जलसघ-सज्ञा पुं० [ स०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । जलबास-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ उशीर । खस ! २ विष्णुकद। विशेष-महाभारत मे लिखा है कि इसने सात्यकि के साथ जलवाह-सा पु० [सं०] १ मेघ । वारिवाह । २ वह व्यक्ति जो भीपण युद्ध करके तोमर से उसका बायाँ हाथ तोड दिया ___ जल ढोता हो (को०) । ३ एक प्रकार का कपूर (को०)। था। प्रन मे यह सात्यकि के हाथ से मारा गया था । जलवाहक, जलवाहन-सबा पुं० [सं०] जल ढोनेवाला व्यक्ति। जलसंस्कार-मज्ञा पुं० [म०] १ नहाना। स्नान करना।२ धोना । पनमरा । जलघडिया [को०] । पखारना । ३ मुर्दे को जल में बहा देना। जलविंदुजा-सा चौ० [सं० जलविन्दुजा ] दे० 'जलबिदुजा'। क्रि० प्र०—करना ।- होना। जलषिपुव-सहा पुं० [स० ] ज्योतिष के अनुसार एक योग जो सूर्य जलसमाधि-मक्षा स्त्री० [म.] योग के अनुसार जल में डूबकर ज की कन्या राशि से मिलकर तुला राशि मे सक्रमित होने के प्राणत्याग 1 समय होता है । तुला सक्राति । क्रि० प्र०-लेना। २ शव पाद को जल मे डूबाना या तिरोहित करना । जलवोय-सम पुं० [ से0 ] भरत के पक पुष का नाम । क्रि० प्र०-देना। अलवृश्चिक-सपा पुं० [सं०] झींगा मछली। जलवेत-मुडा . [ सं० ] दे० 'जलवेत' । जलसमुद्र महा पुं० [सं० ] पुराणानुसार सात समुद्रों में से प्रतिम समुद्र। जलदेवस्-स ० [ म० ] दे० 'जलवैत' । जलसपिणी-सज्ञा स्त्री० [ सं०.] जोक । जलवैकृतसमा पुं० [सं० ] एक अशुभ योग । पानी या जलाशय । जलसा - सचा पुं० [म. जलसह ] १ मानद या उत्सव मनाने में पाकस्मिक विकार या मभुत बातो का दिखाई पडन।।। के लिये बहुत से लोगों का एक स्थान पर एकत्र होना, विशेष-बृहत्साहिता के अनुसार नगर के पास से नदी का सरक विशेषत लोगो का वह जमावड़ा जिसमे खाना पीना, जाना, ठालादो फा मचानक एकबारगी सूख जाना, नदी के गाना बजाना, नाच रग पोर मामोद प्रमोद हो। जैसे, - पानी में सेस, रक्त, मास मादि बहना, जल का कारण मैला कल रात को सभी लोग जलसे में गए थे। २ सभा,