पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/७९

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जवनाल २७१२ 'जीन' प्रयवा 'जिस' 1 30-जवन विधि मनुषा मरे सोई भौति जवादि-सा [घ. जब्बाद, जबाद, तुल० सं० जवादि एक सम्हारो हो।-घरम०, पृ०६। सुगधित द्रव्य जो गघमार्जार से निकाला जाता है। 30- जवनाल-मा पु०[ मे० यवनाल ] जौ का उठल 1 दे० 'यवनाल'। पहिले तजि प्रारम प्रारमी देखि घरीक धसे घनसारहिले। जवनिका-समा श्री० [सं०] १ पर्दा । दे० 'यवनिका' उ.-(क) पुनि पोछि गुलाब तिलौछि फुलेल अगोचे में भोछे अंगोछन के। कहि केशव भेद जवादि सो माजि इते पर मौजे में मजन है। मोहन काहं न उगिलो माटी। वही वार भई लोचन उधरे बहरे हरि देखी तो देखों कहा सनि लाज ते लोचन लागे पहें। भरम जवनिका फोटो। सूर निरखि नंदरानि भ्रमित भई कहति न मीठी खाटी ।-सूर०,१०१२५४ (ख) द्वार झरो- --केशव (शब्द०)। खनि जवनिका रुचि ले छुटकाऊँ ।-घनानद, पु. ३१३ । विशेष -राजनिघद में इसके गुणो का वर्णन प्राप्त होता है। यह २ कनात । घेरा (को०) । ३ नाव की पाल (को०)। पाले ग मी एक चिकनी लसदार चीज है जो कस्तूरी की तरह महको है। इसे गोरासार, मृगधर्मज मादि भी कहते हैं। जवनिमा-सचा स्त्री० [सं० जवनिमन् ] गति । वेग । क्षिमता [को० . वि० दे० 'गविलाव'। जवनी-सशस्त्री० [सं०] १ जवाइन । मजवायन । २ तेजी। वेग।. जवादि कस्तूरी-सहा की० [म. या सं०] दे॰ 'जवदि । जवनी--सज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'जवनिका' [को०] । जवाधिक-सम्रा पु०सं०] बहत तेज दौडनेवाला धोड़ा। अपनी-सका सी० [सं० यवनी] यवनी । यवन स्पी। मुसलमान ली। जवान'-वि० [फा.1१. युवा । तरुण । उ०-भूषत यो भवनी जवनी कहैं ।-कोऊ कहै सरजा सो यौ०-जवामद। जामदी । हहारे । तू सबको प्रतिपालन हार विचारे भतार न मारु २ बीर । वहादुर । पराक्रमी । हमारे ।-भूषण ग्र०, पृ० ५१ । जवान --माझा पुं०१ मनुष्य । पुरुप २ । सिपाही । ३ बीर पुरुष ।' जवसु-सहा पुं० [सं०] वेग । जपानिल-सहा पुं० । [ सं०] तीव्रगामी वायु । तेज हवा । माधी ।। जवस-सचा पुं० [सं०] घास । . तूफान [को०] । . जवाँ–सझा पुं० [फा० जवान का यौगिक रूप ] युवक । युवा । यौ०-जवामद । जामर्दी। जवाबख्त = भाग्यवान् । सौभाग्य- जवानी'--सञ्ज्ञा श्री० [म.] जवाइन । अजवायन । शाली । जवासाल = युवक । नई उमर का । जवानी'-सक्षा श्री० [फा०] १ यौवन । तरुणाई। पुवावस्था। जाँमर्द-वि० [फा०] [ सषा जवामी ] १ शूरवीर। बहादुर । २ मस्ती । मद। २ स्वेच्छापूर्वक सेना में भरती होनेवाला सिपाही । वालेंटियर। मुहा०---जवानी उठना या जवानी उमडना=यौवन का प्रारम जवाँमर्दी-साझा बी [फा०] पोरता । बहादुरी । मर्दानगी । होना । तरुणाई का पारम होना। जवानी उतरना= उमर ढलना । बुढापा पाना । जवानी चढ़ना %3(1) यौवन का जवा'- सझा स्री० [सं०] दे० 'जपा'। भागमन होना । तरुणाई का प्रारम होना । (२) मद पर जवामिमा पुं० [सं० यब ] १ एक प्रकार की सिलाई जिसमे तीन माना । मदमत्त होना। जवानी ढलना-ठमर खसकना । बखिया लगाते हैं और इस प्रकार सिलाई करके दर्ज को चीर- जवानी उतरना । बुढ़ापा प्राना । जवानी पर पाना = मस्ती कर दोनों पोर तुरप देते हैं । २ लहसुन का एक दाना। में पाना । यौवन के मद से मत्त होना । जवानी फटीपाना- जवाइन-सहा स्त्री० [सं० यवानिका, यवानी, हि. अजवाइन ] मज जवानी का पूर्ण विकास पाना । उठती जवानीपौवनारम । वाइन । जवाइन । चढती जवानी । उतरती जवानी - यौवनावसान । उमर जवाई-मन्ना स्त्री [हिं० जानावह जावना ] १ यह धन जो जाने खसकने की प्रवरा ढ़तो जवानी - यौवनारम । जवानी के उपलक्ष में दिया जाय । २. जाने की क्रिया । गमन । ३ का प्रारम होना। उठती जयानी। पढ़ती जवानी माझा जाने का भाव । ढोला भरी जगनी में उत्साह की जगह मशक्तता या कम- यौ०-प्रवाई जवाई - पावागमन । माना जाना। जोरी दिखाना। जवाखार-समा पु० [सं० यवक्षार ] एक प्रकार का नमक जो जो जवाब-सबा पु० [१०] १ किमी प्रपन या बात को सुन मथवा पढ़- के क्षार से वनता है । वैद्यक मे यह पाचक माना गया है। फर उसके समाधान के लिये कही गा लिखी हुई बात । उत्तर। जवाद'-शा पुं० [अ० जबाद ] दे॰ 'जवादि' । २०-मृग नद यौ०-जवावयावा । जवाबदारी | जबावदेही । जवाद सब चरचि मग। कसमीर मगर र रहिय भ्रग। क्रि० प्र०-देना ।---पाना ।-मांगना।--मिलना-लिखना । पु. रा०, ६।११२। महा०-जपान तलब करना किसी घटना का कारण पूछना। जवाद-वि० [म.] मुक्तहस्त । दानी । यशस्वी । वदान्य । फैयाज । कैफियत मांगना । जवाब मिनना या फोग जबाब मिलना = . उ.-पुनि कूरम सौं विरचियो छोति देखि प्रजाद । बचन निपेषात्मक उत्तर मिलना । जीत तासौं भयो सूरज प्रापु जवाद-सुजान०, पृ. ३३ । २ वह जो कुछ किसी के परिणाम स्वरूप या बदले में किया जषादानी-सा स्त्री० [सं० यव-हि. जवा+दाना 1 चपाकली जाय । कार्यरूप में दिया गृपा उत्तर । पदला । जैसे,- जब नामक गहना जो गले में पहना जाता है। उपर से गोलियो की बौछार मारभ हई, तब इधर से भी . निपक्षा