पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/९२

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कुलीन।। जातीय जादूनिगाह जातीय-वि० [सं०] जातिसंबंधी । जाति का । जातिवाला। जादवपति -समा पुं० [सं० यादवपति ] श्रीकृष्णचद्र । जातीयता-सहा श्री० [सं०] १ जाति का भाव। जतिरख । २ जाति जादसंपति:-संज्ञा पुं० [सं० यादसाम्पति ] जलजतुभों का स्वामी। की ममता। ३ जाति । वरुण । जातीरस-सम्रा पुं० [ म०] चीज नामक गषद्रव्य । जादसपतीgt- संघा पुं० [सं० यादसाम्पति] २० 'जादसपति'। जातु-भप. [सं०] १ कदाचित् । कभी। २ संभवत । शायद । जादा -वि० [अ० ज़ियादह, हि० ज्यादा ] ३० 'ज्यादा'। जातुक-सक्षा पु० [सं० ] होग। जादुई---वि० [ फा० जादू ] इद्रजाल सबधी । जादू के प्रभाषघाला। जातुज-संघा पु० [सं०] गर्भवती स्त्री की इच्छा । दोहद । उ.-इन चित्रों में जादुई पाकर्षण है जिसकी सुहानी दीप्ति जातुधान-सहा पुं० [ मे० ] राक्षस । निशाचर । असुर । हमारी चेतना पर छा जाती है। -प्रेम० भौर गोर्की पृ०१। जातप-वि०म०] [वि०सी० जातुपी ] १ जतु या लाख का बना जादू-सज्ञा पुं० [फा०] १ वह पदभुत और पाश्चर्यजनक कृत्य हमा । २ चिपकनेवाला । चिपचिपा । लसदार (को०)। जिसे लोग अलौकिक पौर ममानवी समझते हों। द्रजाल | जातू-संज्ञा पुं० [सं०] वज्र । तिलस्म । जातकर्णी- पु० [सं०] १ उपम्मृति बनानेवाले एक पि का विशेष-प्राचीन काल में संसार की प्राय सभी जातियो के लोग नाम । हरिवण के अनुसार इनका जन्म भट्ठाईसवें द्वापर मे किसी न किसी रूप में जादू पर बहुत विश्वास करते थे। उन हुमा था । २ शिव का एक नाम (को॰) । दिनों रोगों की चिकित्सा, बडी बडी कामनाभो की सिद्धि जातूक -ममा पुं० [सं० ] महाकवि भवभूति के पिता का नाम । और इसी प्रकार की अनेक दूसरी बातों के लिये अच्छे अच्छे जातेष्टि-सना श्री० [सं०] दे॰ 'जातकम'। जादूगरों मोर सयानों से अनेक प्रकार के जादू ही कराए जाते थे। पर मच जादू पर से लोगो का विश्वास बहुत प्रशों में जातोक्ष-सज्ञा पुं० [ मे० ] वह बैल जो बहुत ही छोटी अवस्था में उठ गया है। वधिया कर दिया गया हो। जात्यध-वि० [सं० जात्यग्घ ] जन्माध (को०] । क्रि० प्र०-चलना । —करना । जात्य-वि० [सं०] १ उत्तम कुल में उत्पन्न । कुलीन । २ घेष्ठ । मुहा०-जादू उतरना- जादू का प्रभाव समाप्त होना । जादू ३. जो देखने में बहुत मच्छा हो । सु दर । चलना- जादू का प्रभाव होना। किसी वात का प्रभाव होना। जात्य त्रिभुज-सज्ञा पुं० [सं० ] वह त्रिमुज क्षेत्र जिसमें एक समकोण जादू काम करना-प्रभाव होना । उ०-उसमे न किसी का जादू काम कर रहा है और न किसी का टोना ।---चुभते. हो । जैसे (प्रा.) पृ० ३ । जादू जगाना-प्रयोग प्रारभ करने से पहले जात्यासन-सा पु० [सं० ] तात्रिको का एक भासन । जादू को चैतन्य करना । विशेष-इस प्रासन में हाप पोर पैर जमीन पर रखकर चलते २ वह अद्भुत खेल या कृत्य जो दशकों की दृष्टि और बुद्धि को है। कहते हैं कि इस मासन के सिद्ध हो जाने से पूर्वजन्म की धोखा दे कर किया जाय । ताश, अंगूठी, घडी, छरी पौर सब बातें याद हो माती है। सिक्के ग्रादि के तरह तरह के विलक्षण और बुद्धि को चकराने- जात्युत्तर-सञ्ज्ञा पुं० [F०] न्याय में वह दूपित उत्तर जिसमें व्याप्ति वाले खेल इसी के प्रतर्गत हैं। बाजीगरी का खेल । ३ टोना। स्थिर हो। यह अठारह प्रकार का माना गया है। टोटका । ४ दूसरे को मोहित करने की शक्ति । मोहिनी। जात्यारोह-मझा . [40] स्वगोग्न के मक्षांश की गिनती मे वह जैसे,—उसकी मांखों में जादू है। दूरी जो मेष से पूर्व की मोर प्रथम प्रश मे ली जाती है। मि०प्र०-करना। -डालना। जात्र--सदा श्री० [सं० यात्रा ] नीर्थयात्रा। यात्रा। उ०- जादु -सचा पुं० [ म० यादव ] दे० 'जादो'। 3०-पूरब दिसि हती पाढय तब कियो प्रसद्व्यय करी न ब्रज बन जात्र । गढ गढ़नपति समुद्र सिखर धाति दुग्ग । तहें मु विजय सुर -सुर०, ११२१६ . जात्राई-सझा सौ. [ मं० यात्रा ] दे॰ 'यात्रा'। राजपति जादु फूलह प्रभग्ग |---पृ० रा०, २०। । जात्री-सप पुं० [सं० यात्री ] दे॰ 'यानी' । जादूगर-सा पुं० [फा०] [दा जादूगरनी ] वह जो जादू रता, जायका - मशासी { सं० जूयिका ] ढेरी । ढेर । राशि । हो । तरह तरह के अद्भुत और पाश्चयजनक कृत्य करने- वाला मनुष्य । जादपति -सम पु० [सं० पादवपति] श्रीकृष्ण । विष्णु । 30- कमला पहै जादपति बारी। ताको है मुकता रखवारी 1- जागराता । फा०1१ जादू करने की क्रिया । जादूगर इद्रा०, पृ० १५६ का काम । २ जादू करने का ज्ञान । जार की विद्या । जादरसार@+--सपा पुं० [१] एक प्रकार का वस्त्र । उ०-पाट जादूनजर-सहा पुं० [फा० जादूनकर ] दृष्टि मात्र से मोहिन कर बइठा दुई राजकूमार । पहिरी यस्त्र जादर मार । -बी० लेनेवाला । देखते ही मन लुभानेवाला। जिसके नेत्री मे रासो, पृ० २२॥ जादू हो। जादवा -सया पुं० [१० यादव ] यादव । यदुवशी । जादूनिगाह-वि [फा०] दे॰ 'जादुनजर'। सामधा हो