पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/९४

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जानना अपने श्रापको ऐसी स्थिति में डालना जिसमे प्राण तक जाने का जानकोकंत-समा पुं० [सं० जानकी कन्त] राम । २०-द्रवै जानकी- भय हो। जान पर नौवत माना= दे० 'जान पर मा बनना'। कत, तब छूटै संसारदुख। -तुलसी ग्र०, पृ०६६। जान बचना = (१) प्राणरक्षा करना । (२) पीछ। सुडाना। जानकीजानि-सा पुं० [सं०] (जिसकी स्यो जानकी है) रामचद्र । किसी कष्टदायक या अप्रिय वस्तु या व्यक्ति को दूर रखना। उ०-बाहुबल विपुल परिमित पराक्रम अतुल गूढ़ गति निम्तार करना । जैसे,-हम तो जान बचाते फिरते हैं, तुम जानफीजानि जानी। —तुलसी (गन्द०)। वार बार हमें पाकर धैरते हो। जान मारकर काम करना%3 मामीनीत-मता - जानकीजीवन--सज्ञा पुं० [सं० 1 श्रीरामचद्र । उ.-----जानकीजीवन जी तोड़कर काम करना । अत्यंत परिश्रम से काम करना । को जन है जरि जाह सो जीह जो जाँचत औरहि । जान मारना = (१) प्राणहत्या करना। (२) सताना। —तुलसी (शब्द॰) । दुख देना। तग करना । दिक करना। (३) अत्यत परिश्रम जानकीनाथ–सहा पुं० [सं०] जानकी के पति, श्रीराम । उ०.-- कराना। कड़ी मेहनत लेना । जैसे,- उनके यहाँ कोई काम सौ वातन को एकै वात। सब तजि भजी जानकीनाथ ।---- करने क्या जाय, दिन भर जान मार डालते हैं । जान मे सूर (पाब्द०)। जान माना- घेयं बंधना । ढारस होना । चित्त स्थिर होना। . जानकीप्राण-सया पु० [सं०] रामचन्द्र । १०-निज सहज रूप में ध्यग्रता, घबराहट या भय आदि का दूर होना । जान लेना = संयत जानकीप्राण बोले । -~-मनामिका, पृ० १५६ । (१) मार डालना। प्राणघात करना। (२) तंग करना । दुख देना । पीडित करना । जैसे,--यो धूप में दौडाकर जानकीमगल-सझा पुं० [सं०] गोस्वामी तुलसीदास का बनाया उसकी जान लेते हो। जान सी निकलने लगना-कठिन पीडामा एक प्रथ जिसमें श्रीराम जानकी के विवाह का वर्णन है। होना। बहुत दुख होना । जान सूखना- (१) प्राण सुखना। जानकीरमण-सज्ञा पुं० [सं०] जानकी के पति-श्रीरामचद्र । भय के मारे स्तब्ध होना। होश हवाश उडना । जैसे,- शेर जानकीरवन -सझा पुं० [सं. जानकीरमण ] दे॰ 'जानकीरमण'। को देखते ही उसकी तो जान सूख गई। (२) बहुत अधिक जानकीवल्लभ-1 ० [सं० J रामचद्र [को०)। कष्ट होना। (३) बहुत बुरा लगना। खलना । जैसे,-किसी जानदार -वि० [फा०]१ जिस में जान हो। सजीव । जीवधारी।। को कुछ देते देख तुम्हारी क्यों जान सूखती है। जान से २ उत्कृष्ट । घोपदार । जैसे, जानदार मोती। जानदार - जाना-प्रारण खोना । मरना । जान से मारना-मार चीज या वस्तु । डालना । प्रारण ले लेना। जान से जाना । जान हलाकान जानदार-सञ्चा ० जानवर । प्राणी। करना =सताना। तंग करना । दिक करना । हैरान करना। जाननहार -वि० [हिं० जानना + हार (प्रत्य॰)] जानने या जान हलाकान होना= तग होना । दिक होना। हैरान समझनेवाला। जाननिहार । १०-सुखसागर सुख नीद बस होना । जान होठों पर माना = (१) प्राण कठगत होना । सपने सब करतार । माया मायानाथ की को जग जाननहार । प्राण निकलने पर होना । (२) अत्यत फष्ट होना । घोर —तुलसी प्र०, पृ० १२३ । पीडा होना। जानना-क्रि० स० [सं० ज्ञान] १. किसी वस्तु की स्थिति, गुण, २ बल । शक्ति । बूता 1 सामर्थ्य । जैसे,-प्रद किसी में कुछ जान क्रिया या प्रणाली इत्यादि निर्दिष्ट करनेवाला भाव धारण नहीं है जो तुम्हारा सामना करने पावे। ३ सार। तत्व । करना । ज्ञान प्राप्त करना । बोध प्राप्त करना । अभिश होना। सबसे उत्तम प्रश। जैसे,-यही पद तो उस कविता की जान वाकिफ होना। परिचित होना। अनुभव करना। मालूम है। ४ अच्छा या सु दर करनेवाली वस्तु । शोभा बढ़ाने- करना । जैसे,—(क) वह व्याकरण नही जानता। (ख) वाली वस्तु । मजेदार फरनेवाली चीज। चटकीला करने- तुम तैरना नहीं जानते । (ग) में उसका घर नहीं जानता। वाली चीज । जैसे,—ममाला ही तो तरकारी की जान है। संयो०क्रि०-जाना ।—पाना 1-लेना। महा०-जान पाना =ोप चढना । शोभा बढ़ना । जैसे,—रग यौ०जानना बूमना-जानकारी रखना। ज्ञान रखना। फेर देने से इस तसवीर में जान प्रा गई है। मुहा०---जान पहना%D(१) मालूम पडन!। प्रतीत होना। (२) जान-सज्ञा पु० [ देश या म० यान ] बारात । उ०—(क) कर अनुभव होना । सवेदना होना। जैसे---जिस समय मैं गिरा जोड़े राजा कहर, चाल परासी राय की जान 1-धी० था, उस समय तो कुछ नहीं जान पहा, पर पीछे बड़ा दर्द गसो, पृ० १०। (ख) जान पराई में महमक बच्चे, कपडे उठा । जानकर पनजान = किसी बात के विषय में जानकारी भी फट्टे देह भी दृट्ट। (कहावत)। रखते हुए भी किसी को चिढ़ाने, घोखा देने या अपना मतलब । निकालने के लिये अपनी अनभिज्ञता प्रक्ट करना । जान बूझ जानकार-वि० [हिं० जानना+कार (प्रत्य॰)] १. जाननेवाला' पभिन्न । २. विश। चतुर । कर - मूले से नहीं। पूरे संकल्प के साथ। नीयत के साथ । अनजान में नही । जैसे,—तुमने जान बूझकर यह काम जानकारी-सचा त्री० [हिं० जानकार+ई (प्रत्य॰)] १ प्रभिज्ञता । किया है। जान रखना= समझ रखना । ध्यान में रखना । परिचय । वाकफियत 1 २ विज्ञता । निपुणता। मन में बैठाना। हृदयगम करना । जैसे,—इस बात को खान जानको-सशास्त्री० [म० ] जनक की पुत्री । सीता। रखो कि अब वह नही पाएगा। किसी का कुछ जानना