पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/२८४

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भीमबल सीरुपत्री -- - बाकी शुद्ध लगते हैं। इसमें चम वादी और मध्यम संवादी पश्चिमी घाट से निकलकर कृष्णा नदी में मिलती है। होता है। कुछ लोग इपे श्रीराम की पुत्रवधू भी मानते हैं। (४) दुर्गा। भीमबल-संज्ञा पुं० [सं०] (१) एक प्रकार की अग्नि । (२) वित्रा भयंकर । भाषण । धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । भीमू-संजा गुरु [दि] भीमसेन । भीममुख-संशा पं. स. ] एक प्रकार का वाण । (रामायण) भीमंत्तर-संशा पु० सं० ] कुम्हड़ा। भीमर-संज्ञा पुं० [सं०] युद्ध । समर । भीमंदरी-संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा ।। भीमरथ-संज्ञा पु० [सं०] (१) पुराणानुपार एक असुर जिसे भीम्राथली-संज्ञा पुं० [ दश० ] घोड़ों की एक जाति । उ०- विष्णु ने अपने कर्म अवतार में मारा था । (२) धृतराष्ट्र के जागनी गर्वती चीनिया भोटी ब्रह्मा देशर । धनी भीम्राथली एक पुत्र का नाम । (३) विकृति के एक पुत्र का नाम । काठिया मारवाड़ मधि देशा --रघुराज। भीमरथी-संक्षा ० [सं० ] (१) पुराणानुसार मह्य पर्वत से भीर-मंगा Fro हिं० भा- 1 (1) दे० "भं"। (२) कष्ट । निकली हुई एक नदी जिसमें स्नान करने का बहुत माहात्म्य दुःस्व । तकलीफ । (३) संकट । वित्ति। आफ़त । उ०- है। (२) वैद्यक के अनुसार मनुष्य की वह अवस्था जो ७७ (क) जय जय भीर परत संतन पर तब तब होत पहाई। वें वर्ष के सातवें मास की यातवीं रात समाप्त होने पर (ख) भीर बाँह पीर का निपट रग्बी महावीर कान के होती है। कहते हैं कि मनुष्य के लिये यह रात बहुत कठिन मकोच तुलसी के सोच भार।। —तुलसी। (ग) अपर नरेश होती है; और जो इसे पार कर जाता है, वह बहुत पुण्यात्मा कर कोउ भीरा । वेगि जनाउब धर्मज तीरा।---मवल। होता है। कि.०प्र०--आना ।—पड़ना। भीमरा-संगा पी० दे० "भीमा"। ( नदी)

  • वि० सं० भारु ] (1) डरा हुआ । भयभीत । उ०-

भीमराज-संशा पुं० [ मे0 भूगरज ] एक प्रसिद्ध चिड़िया जो वामदेव राम को मुभाव पील. जानि जिग्य नातो नेह जानि- काले रंग की होती है । इसकी टाँगें छोटी और पंजे बड़े यत रघुवीर भीर है।-तुटपी। (२) डरपोक । डरनेवाला। होते हैं और इसकी दुम में केवल १० पर होते हैं। यह कायर । माहमहान । उ.-नृपति' प्रान प्रिय तुम प्राय: कामकोड़े खाती है और कभी कभी बड़ी चिड़ियों रघुबीरा । मील सनेह न छाडिहि भीरा ।--तुलसी। पर भी आक्रमण करती है। यह बहुत लड़ाकी होती है और मीरना-मि० अ० {मे भी यानि भर ] उरना। भयभीत छोटी छोटी चिड़ियों को, जिन्हें पकड़ सकती है, निगल, होना । उ०-मुनो एक बात सुन तिया लै करो तगान जाती है । यह बोली की नकल करना बहुत अच्छा जानती चार धीरे भीरे नाहि पीछे उन भापिए। प्रियादाम । है और अनेक पशुओं तथा मनुष्य की बोली बोल सकती भीरा-संज्ञः पं० देश० ] एक प्रकार का वृक्ष जो मध्य भारत तथा है। इसकी स्वाभाविक बोली भी बहुत सुन्दर होती है। दक्षिण भारत में होना है। इसकी लकड़ियों में शहनीर यह अपना घोंसला खुले हुए स्थानों में बनाती है। इसके बनने हैं और इसमें से गोंद, रंग और तेल निकलता है। अंडों पर लाल वा गुलाबी धबे होते हैं। संशात्री० दे० "भीर" या "भीड़"। भीमरिका-संशा स्त्री० [सं०] पुराणानुसार सत्यभामा के गर्भ में वि० [सं० भारु ] डरपोक । कायर । उत्पन्न श्रीकृष्ण की एक कन्या । मीरी-संज्ञः मी० [देश० ] अरहर का टाल । भीमसेन-संशा पुं० [सं०] युधिष्ठिर के छोटे भाई भीम । वि. भोरु-वि० [सं०] डरपोक । कायर । कादर । बुज़दिल । संज्ञा स्त्री० [सं०] (१) शतावरी । (२) कंटकारी । भट- भीमसेनी-संशा पुं० [हिं० भीमसेन+ई (प्रत्य॰) । भीमसेनी कपूर । कटया। (३) बकरी । (५) छाया। बरास । वि० दे० "कपूर"। संज्ञा पु० [सं०] (१) शृगाल । पियार । गीदद । (२) वि. भीमसेन संबंधी । भीमसेन का। जैसे, भीमसेनी व्याघ्र । वाघ । (३) ऊख की एक जाति । एकादशी। भीरुक-संगा पुं० [सं०] (१) बन । जंगल । (२) उल्लू । (३) भीमसेनी एकादशी-संशा स्त्री० [हिं० भीमसेनो+एकादशी ] (1) एक प्रकार की ईख । (४) चाँदी। ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी । निर्जला एकादशी । (२) माघ शुक्ला वि० डरपोक । कायर । एकादशी। भीरता-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) डरपोकरन । कायरता । बुज़दिली । भीमसेनी कपूर-संक्षा पुं० दे. "कपूर" । (२) दर । भय । भीमा-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) रोचन नाम का गंध द्रव्य । (२)। भीरुताई *-संशा सी० दे० "भीरता"। कोदा। चाबुक । (३) दक्षिण भारत की एक नदी जो भीरुपत्री-संजाली [सं०] शतमूली।