पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३८२

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मलय २६७३ मलसा समासा मास मलमास कहलायेगा । पर यदि एक ही अयन में दो मलयज-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) चंदन । (२) राहु । मास मलमास लक्षणयुक्त हों, तो पहला मलमास और मलयद्रम-संशा पुं० [सं०] (1) चंदन । (२) मदन । मैना वा दूसरा भानुलंधित कहलावेगा। पर ऐसे दो मास उसी वर्ष मैनी नामक पेड़। में पड़ते हैं जिसमें क्षय मास भी पड़ता है। पर कार्तिक, भग- मलयभूमि-संशा स्त्री० [सं०] हिमालय के एक प्रदेश का नाम । हन और पूस के महीने में क्षय मास नहीं होता। विवाहादि मलयवासिनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा । शुभ कृत्य जिस प्रकार मलमास में वर्जित है, उसी प्रकार मलया-संज्ञा स्त्री० [सं०] (1) त्रिवृता! निसोय । (२) सोम. भानुलंधित और क्षय मास में भी घर्जित है। राजी। बावची । बकुची। पर्या-अधिक मास । पुरुषोसम । मलिम्लुच । अधिमास । 'मलयागिरि-संज्ञा पुं० दे. "मलयगिरि"। असंक्रांत मास । नपुंसक मास । मलयाचल-संज्ञा पुं० [ सं ] मलयगिरि । मलय पर्वत। मलय-संज्ञा पुं० [सं० मलय पर्वत ] (1) एक पर्वत का नाम । मलयानिल-संज्ञा पुं० [सं०] (1) मलय पर्वत की ओर से आने- यह पश्चिमी घाट का वह भाग है जो मैसूर राज्य के दक्षिण वाली वायु । दक्षिण की वायु । (२) सुगंधित वायु । (३) और टावकोर के पूर्व में है। यहाँ चंदन बहुत उत्पन होता वसंत काल की वायु । है। पुराणों में से सात कुलपर्वसों में गिनाया गया है। मलयालम संज्ञा पुं० [ता. मलय-पर्वत+अलम-उपत्यका ] दक्षिण पर्या--भाषाढ़ । दक्षिणाचल । चंदनादि। मलयाचल। के एक पहादी देश का नाम जो पश्चिमी घाट के किनारे विशेष--मलय शब्द पवन, समीर, वायु आदि शब्दों के . किनारे फैला हुआ है । इसे केरल भी कहते हैं। यहाँ की आदि में समस्त होकर (1) सुगंधित और (२) दक्षिणी भाषा भी मलयालम कहलाती है। यहाँ नायर नामक वायु का अर्थ देता है। हिदुओं और मोपला नामक मुसलमान जाति की (२) मलाबार देश । (३) मलाबार देश के रहनेवाले! आबादी है। मनुष्य । (४) एम उपद्वीप का नाम । (५) सफेद उंदन । मलयालि-संज्ञा पुं० [ता. मलयालम ] मलयालम में बसनेवाली (६) गरुड़ के एक पुत्र का नाम । (७) नंदन वन । (4) एक पहाड़ी जाति का नाम । इस जाति के लोग पशुपालन छप्पय के एक भेद का नाम । इसमें २५ गुरु, १०२ ला, और खेती करते हैं और तामिल भाषा बोलते हैं। कुल १२७ वर्ण या १५२ मात्राएँ वा २५ गुरु, ९८ लघु, कुल मलयाली-वि० [ ता. मलयालम ] (१) मलाबार देश का । मला- १२३ वर्ण या १४८ मात्राएँ होती हैं। (९) पहाव का एक बार देश संबंधी। (२) मलाबार देश में उत्पन्न । प्रदेश । शैलांग। (१०) ऋषभदेव के एक पुत्र का नाम । संशा स्त्री. मलाबार देश की भाषा। मलयगिरि-संज्ञा पुं० [सं०] (१) मलय नामक पर्वत जो दक्षिण | मलयोन्द्रव-संज्ञा पुं॰ [सं०] चवन । में है। यहाँ वंदन अधिक और उसम उत्पश्च होता है। यह मलरुचि-वि० [सं०] दूषित रुचि का। पापी। उ.-सेइय पश्चिमी घाट का वह भाग है जो मैसूर के दक्षिण और सहित सनेह वेह भरि कामदेव कलि कासी । समनि सोक द्रावकोर के पूर्व में है। पुराणों में इसे कुल पर्वतों में गिनाया संताप पाय रुज सकल सुमंगलरासी।....'दंपानि भैरव है। (२) मलयगिरि में उत्पन्न चंदन । उ०--बेधी जानि विषान मलरुचि खलगन भेदासी, लोल दिनेस त्रिलोचन मलयगिरि बासा । सीस चढ़ी लोटहि चहुँ पासा : लोचन करनचंट घंटा सी।-तुलसी। जायसी। (३) हिमालय पर्वत का वह देश जहाँ कामरुप मलरोधक-वि० [सं०] जो मल को रोके । जिसके खाने से कोष्ठ- और आसाम है। (४) दे. "मलयगिरी"। बड हो। कब्जियत करनेवाला । काबिज । मलयगिरी-संशा पुं० [हिं० मलयगिरि ] दारचीनी की जाति का मलरोधन-संज्ञा पुं० [सं०] विष्टभ । कोष्ठबद्ध । कब्जियत । एक प्रकार का बड़ा और बहुत ऊँचा वृक्ष जो कामरूप, मलवा-संशा पुं० [ बरमो ] हावर की जाति का एक पेड़ जो बरस आसाम और दारजिलिंग में उत्पन्न होता है। इसकी छाल में होता है। यह बहुत अधिक ऊँचा नहीं होता । इसकी दो अंगुल से चार पाँच अंगुल तक मोटी होती है और लकली चिकनी और नारंगी रंग की होती है और मेज, लकमी भारी, पीलापन लिये सफेद रंग की होती है। हाल भादि बनाने के काम में आती है। और लकड़ी दोनों सुगंधित होती है। लकड़ी बहुत मजबूत ! मलघाना-क्रि० स० [हिं० मलना] मलने का प्रेरणार्थक रूप ।मलने होती है और साफ करने पर धमकदार निकलती है जिसमें के लिए प्रेरणा करना । मलने का काम दूसरे से कराना । दीमक आदि कीड़े नहीं लगते । इससे मेज, कुरसी, संदूक | मलविनाशिनी-संशा सी० [सं०] (1)शरूपुष्पी । (२) शार। आदि बनते हैं और इमारत आदि में भी यह काम आती | मलवेग-संज्ञा स्त्री० [सं०] अतीसार। है। वसंत ऋतु में बीज बोने से यह पक्ष उगता है। | मलसा-संक्षा पुं० [सं० मशक ] श्री रखने का कुष्पा ।