पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/३८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मलाह २६७५ मलिया जिसमें कृमि-कीटों और पक्षियों की हत्या, मय के साथ एक मलिनमुख-संज्ञा पुं० [सं०] (1) अग्नि । आग। (२) बैल की पात्र में लाए हुए पदार्थों को खाना, फल, ईधन और फूल पूछ । (३) प्रेत । की चोरी और अधैर्य सम्मिलित है। वि. जिसका मुंह उदास हो । उदासीन बदन । (२) मलाह-संशा पुं० दे. "मलाह" | उ.-रूप कहर दरियाव में कर । (३) खल। तरिवो है न सलाह । नैनन समुशावत रहै निसि दिन ज्ञान मलिनाधु-संज्ञा पुं० [सं० ] मसी । स्याही । मलाह।---सनिधि । मलिना-संशा स्त्री० [सं०] (1) रजस्वला खी। (२) लाल खाद। मलिंग-संज्ञा पुं० [सं० मिलिंद ] भौरा । उ--(क) मल्लिकान I (३) छोटी भटकटैया। मंजुल मलिंद मतवारे मिले, मंद मंद मारत मुहीम मनसा मलिनाई-संज्ञा स्त्री० [हिं० मलिन+आई (प्रत्य॰)] मैलापन । की है।-पाकर । (ख) नेह सरीखी रज्जु नहि., कविवर मलिनता 1 उ.-(क) सुखी भए सुरसंत भूमिसुर खलगन कर विचार । वारिज घाँध्यो मलिंद लखि, दार बिदारन- . मन मलिनाई । सबै सुमन विकसत रवि निकसत कुमुद हार।-दीनदयाल । (ग) मंजुल मंजरी पै हो मलिंद . विपिन बिलखाई।-तुलसी । (ख) होम हुताशन धूमनगर विचारि के भार सम्हारि के दीजियो।--यंग्यार्थ।। ___ एकै मलिनाइय । केशव । मलिक-संज्ञा पुं० [अ०] [स्त्री० मालिका] (१)राजा । (२) अधी.. मलिनाना*-क्रि० अ० [हिं० मलिन ] मैला होना । उ०--भरे श्वर । (३) मुसल्मानों की एक जाति का नाम जो प्राय: : नेह सौह परे निपट रहे मलिनाय 1-2० स०। कृषिकर्म करती है। ये लोग मध्यम श्रेणी के माने जाते हैं। मलिनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] रजस्वला स्त्री। (५) किमरों और कथकों के एक वर्ग की उपाधि । मलिनीकरण-संशा पुं० [सं०] पापों की एक कोदि का नाम । मल्लावह । मलिका-संज्ञा स्त्री० [अ० ] (1) रानी । (२) अधीश्वरी । । मलिम्लुच-संशा पुं० [सं०] (१) मलमास । (२) अग्नि । (३) संज्ञा स्त्री० दे० "मलिका"। घोर । (४) वायु । (५)वच यश न करनेवाला पुरुष । मलिक्ष*-संज्ञा पुं०० "म्लेच्छ"। 30-तबही विवामित्र तह मलिया-संशा स्त्री० [सं० मल्लक वा मल्लिका, हिं० मरिया ] (9) मिट्टी विविध सुआयुध बाहि । व्याकुल कीन्ह मलिक्ष दल सब शक के एक बर्तन का नाम जिसका मुंह तंग होता है। इसमें यवन विदाहि।-पद्माकर । घी, दूध, दही आदि पदार्थ रखे जाते हैं। (२) गोटी के मलिच्छ*-संज्ञा पुं० दे० "म्लेच्छ"। रेल में वह त्रिकोण चक्र जो चौक के दोनों ओर बीच में मलित-संज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार की छोटी ची जिससे । बना रहता है। इस खेल को अठारह गोटी कहते है। यह सुनार नकाशी के गहनों को साफ़ करते हैं। • - - - - मलिया मलिन-वि० [सं०] [स्त्री० मलिना, मलिनी ] (1) मलयुक्त । मैला। गेंदला । स्वच्छ का उल्टा । उ०-चाहै न चंपकली की थली मलिनी नलिनी की दिशान सिधावै ।-केशव । (२) दूषित । खराव । (३) जिसका रंग खराब हो गया हो। मटमैला । धूमिल । बदरंग । उ०--मलिन भये रस माल सरोवर मुनिजन मानस हस ।-सूर । (४) पापात्मा । पापी। (५) धीमा । फीका । जैसे, ज्योति मलिन होना। (६) म्लान । विषण्ण । उदासीन । जैसे, मलिन मन, मलिन संशा पुं० (१) एक प्रकार के साधु जो मैला कुचैला कपड़ा । पहनते हैं। पाशुपत । (२) मट्ठा। (३) सोहागा । (४) काला अगर वा अगर चंदन । (५) गौ का ताजा दूध। (६) हंस । (७) दस्ता । मूठ 1 (6) पाप। दोष । (९) । रखों की चमक और रंग का फीका और धुंधला होना । रसों के लिए यह एक दोष समझा जाता है। मलिनता-संज्ञा स्त्री० [सं०] मलिन होने का भाव । मैलापन । भलिनत्य-संशा पुं० [सं०] मलिन होने का भाव । मलिनता।। मालिय। स्टेल दो आदमी खेलते हैं और प्रत्येक पक्ष में अठारह गोटियाँ होती है जिनमें से छ; गोटियाँ मलिया में और शेष