पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२७०५ महोदर मुहा०-किसी बात वा काम में महेर डालना=(१) अपचन महला-संज्ञा स्त्री० [सं०] बड़ी इलायची। डालना । बखेड़ा खड़ा करना । (२) देर लगाना । महोक-संज्ञा पुं० दे. "महोखा"। संशा स्त्री० दे० "महेरी"। महाक्ष-संशा पुं० [सं०] बड़ा बैल । महरा-संशा पुं० [हिं० मह।+५:। (प्रत्य॰)] [ श्री. महेर, महेरी ] महोख-संशा पुं० दे० "महोवा"। (१) एक प्रकार का व्यंजन जो दही में चावल पकाकर महोखा-संज्ञा पुं० [सं० मधूक ] एक प्रकार का पक्षी जो काए के बनाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है-पलोना बराबर होता है और भारतवर्ष में, विशेष कर उत्तरी भारत और मीठा। सलोने में हलदी, राई आदि मसाले डाले में झारियों और धंयवाड़ियों में मिलता है। इसकी चोंच, जाते हैं और मीठे में गुड़ पड़ता है। महेला। महेरी। पैर, और पूंछ काली, आँखें लाल और सिर, गला और डैने महेर । (२) एक भोज्य-पदार्थ जो सेसारी के आटे को दही. खैरे रंग के या लाल होते है। यह आड़ियों के आम पास में उबालने से बनता है। रहता है और कीड़े मकोड़े खाता है। यह बहुत तेज दोष संज्ञा पुं० दे० "महेला"। सकता है, पर बहुत दूर तक नहीं उड़ सकता । इसकी बोली महरि-संशा स्त्री० [हिं० महेर वा गही। महेरा नामक ग्वाय धहुन तेज होता है और यह बहुत देर तक लगातार योलता पदार्थ । उ.--भोजन भयो भावती मोहन । तातोई जेहूँ है। उ०—(क) हारिल शन्द महोख सुहावा । काग कुराहर जाहु गो गोहन । स्वार खाइ खाँचरी सँवारी। मधुर महेरि करहिं सोभावा ।जायनी । (ख) कुजत पिक मानी गज को गोपन प्यारी ।--सूर। माते । ढेंक महोख ऊँट बिसराते ।-तुलापी। महेरी-संज्ञा स्त्री० [हिं० महेग ) उवाली हुई ज्वार जिम लोग : महंगनी-संज्ञा पुं० [अ०] भारत, मध्य अमेरिका और मेक्सिको नमक-मिर्च स खात है। आदि में होनेवाला एक प्रकार का बहुत बड़ा पेड़ जो वि० [हिं० महेर ] अपचन डालनेवाला । यखेडा खका सदा हरा रहता है। इसकी लकड़ी कुछ ललाई लिए भूरे करनेवाला। रंग की, बहुत ही हक और टिकाऊ होती है और उस पर महला-संज्ञा पुं० [हि माष ] पशुओं के खिलाने का एक पदार्थ । वार्निश बहुत खिलती है। यह लकड़ी बहुत महँगी बिकती यह चने, उर्द, मोठ आदि को उबालकर और उसमें गुष, है और प्रायः मेजें, कुर्सियाँ और सजावट के दूसरे सामान घी आदि डालकर बनाया जाता है। इसके खिलाने से बनाने के काम में आती है। घोड़े बैल आदि पुष्ट होते है और गोग भैसें आदि अधिक महोच्छव-संज्ञा पुं० [सं० महोत्सव, प्रा० महान्य ] बड़ा दूध देती है। उत्सव । महोत्सव । उ.-मरना भला विदेस का जह महेश-संशा पु० [सं० } (1) महादेव । शिव । (२) । ईश्वर । अपना नहिं कोय । जीव जंतु भोजन कर सहज महोच्छव महेशबंधु-संज्ञा पुं॰ [सं०] बैल । होय ।-कबीर । महेशान-संशा पुं० [सं०] [स्त्री. महेशानी ] शिव । महोछा-संज्ञा पुं० दे० "महोच्छव" । महेशानी-संशा ली । मं०] दुर्गा । महोटिका-संज्ञा स्त्री० [सं० ] बृहती । कट या। महेश्वर-संज्ञा पुं० [सं०] [स्रा० महेश्वर ] (1) महादेव । शिव। महाटी-संशा स्त्री० [सं०] बृहनी । कदया। (२) ईश्वर । परमेश्वर । (३) सफेद मदार । (४) सोना। महोती-संवा स्त्री॰ [हिं० महुआ ] महुए का फल । कुलदी। स्वर्ण। महोत्का-संज्ञा पुं० [सं०] महोल्का । बड़ी उल्का । महषुधि-वि० [सं० 1 बड़ा धनुर्धारी । महोत्संग-संज्ञा पुं० [सं०] सब से बड़ी संख्या। महेष्वस्-वि० [सं०] बड़ा धनुर्धारी। | महोत्सव-संशा पु० [सं०] बड़ा उत्सव । महेस*-संशा पुं० दे. "महेश"। महोदधि-संज्ञा पुं० [सं०] समुद्र । सागर । महसिया-संक्षा पुं० [हिं० महेश ] एक प्रकार का उसम अगहनी महोदय-संशा पुं० [सं०] [स्त्री० महोदया ] (१) आधिपत्य । (२) धान। स्वर्ग। (३) महाफूल। (४) स्वामी। (५) कान्यकुब्ज । (६) महकोहिय-संशा पुं० [सं० ] वह श्राद्ध, जो मरने के बाद पहले पदों के लिए एक आदरसूचक शब्द । महाशय । महानुभाव । पहल अशौच के अंत में मृत प्राणी के उद्देश्य से किया महोदया-संज्ञा स्त्री० [सं० ] नागबला । गैंगरन । गुलशकरी। जाता है। महोदर-संशा पुं० [सं०] (१) एक नाग का नाम । (२) एक महैतरेय-संज्ञा पुं० [सं० ] ऐतरेय उपनिषद् । राक्षस का नाम । (३) धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । (४) महरंड-संशा पुं० [सं०] एक प्रकार का बहारें जिसके बीज शिव। भी बड़े होते हैं। वि०-जिसका पेट बना हो । ६७७