पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४६१

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मिलिंदक मिश्रण जाने का भाव । (२) किसी अच्छी या बढ़िया चीज़ में संज्ञा स्त्री० [अ०] मजहब । संप्रदाय । पंथ । मत । जैसे,- कोई बुरी या घटिया चीन का मैल | खोट । जैसे,—यह हर मिल्लत के आदमी से वह अच्छा व्यवहार करता है। सोना हीक नहीं है। इसमें कुछ मिलावट है। मिशन-संज्ञा पुं० [अ० ] (1) यह व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का विशेष—इस शब्द का प्रयोग केवल वस्तुओं के मिश्रण के ! समूह जो किसी विशेष कार्य या उद्देश्य से कहीं भेजा लिए होता है, प्राणियों के संयोग के लिए नहीं। जाय । विशिष्ट कार्य के लिए भेजे हुए आदमी। (२) मिलिंदक-संशा पुं० [सं०] एक प्रकार का सौप। उद्देश्य । (३) वह संस्था, विशेषतः ईसाइयों की संस्था जो मिलिफ -संज्ञा स्त्री० [अ० मिल्क ] (1) जशीदार । मिल्कियत संगठित रूप से धर्म-प्रचार का उद्योग करती है। (४) (२) जागीर । उ०—मन का भूमि इंद्र तें मानों मदन ! ऐसी संस्था का केंद्र या कार्यालय आदि । (५) राजनीतिक मिलिक करि पाई।-सूर । उद्देश्य से भेजा हुआ दूत-मंडल । मिलित-वि० [सं०] मिला हुआ । युक्त। | मिशनरी-संज्ञा पुं० [अ० ] (१) यह ईसाई पादरी जो किसी मिलेठी-संज्ञा स्त्री० दे. "मुलेठी"। मिशन का सदस्य होता है और अनेक स्थानों में ईसाई मिलना-क्रि० स० [हिं० मिलाना ] (१) दे० "सिलाना"। धर्म का प्रचार करने के लिये जाता है। (२) ईसाइयों का (२) गौ का दूध दूहना। कोई धर्म-पुरोहित । पादरी। संहा पुं० एक प्रकार की बदिया जमीन जिसमें कुछ थालू मिशी- संत्री० [सं०] (१) उटामांसी। (२) मधुरिका । भी मिली होती है। सांआ। (३) सौंफ। (४) मेथी । (५) दाभ । बड़ी मिलौनी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मिलना+औनी (प्रत्य॰)] (8) मुर- बाभी। लमानों में विवाह की एक रस्म जिग्नमें बरातियों आदि को मिश्र-वि० [सं०] (1) मिला या मिलाया हुआ। मिश्रित । कुछ नकद या वस्तुएँ भेंट की जाती हैं। मिलाई । (२) संयुक्त । जैसे, मिश्र धातु। (२) श्रेष्ठ । बड़ा । (३) किसी अच्छी चीज़ में कोई खराब चीज मिलाना । (३) वे० जिसमें कई भिन्न भिन्न प्रकार की रकमों (जैसे, साया, "मिलाई"। (५) मिलने की क्रिया वा भाव । मिलावट । आना, पाई; मन, मेर, छटोंक ) को संख्या हो। जैसे, (५) मिलाने के बदले में मिला हुआ धन । मिश्र भाग, मिश्र गुणा । (गणित) मिल्क-संवा पुं० [अ०] (१) जमींदारी । (२) जागीर । मुआफी। संशा . [ सं० ] (१) हाथियों की चार जातियों में से एक (३) जमीन की एक प्रकार की मिलकियत या मालिकाना जाति । (२) सन्निपात । (३) रक्त । लहू । (४) मूली। हक । जिसे यह हक प्राप्त होता है, वह ज़मींदार को किसी (५) ज्योतिष के अनुसार उग्र आदि सात प्रकार के गणों प्रकार का लगान आदि नहीं देता। इस प्रकार की मिलकियत में से अंतिम या सातवाँ गण जो कृत्तिका और विशाखा ज़मींदारी और काश्तकारी के बीच की होती है और मुरादा नक्षत्र के योग में होता है। (६) सरयूपारीण, कान्यकुज बाद आदि कुछ पश्चिमी जिलों में ही पाई जाती है। (४) और सारस्वत आदि बाह्मणों के एक वर्ग की एक उपाधि । धन-संपत्ति। (५) अधिकार । मिल्कियत । मिश्रक-संज्ञा पुं० [सं०] (१) खारी नमक । (२) वैद्यक में एक मिल्कियत-संशा स्त्री० [अ० 1 (1) ज़मींदारी । (२) जागीर । प्रकार का बंग या राँगा जिसे बुरा राँगा भी कहते हैं। (३) माफी। (३) धन-संपत्ति । जायदाद। (४) वह पदार्थ या देवताओं का उद्यान | नंदन वन (1) एक तीर्थ का नाम । धन-संपति जिस पर नियमानुसार अपना स्वामित्व हो। (५) जस्ता । (६) मूरी। सकता हो या अधिकार पहुँच सकता हो। जिस पर वि० (१) मिलानेवाला । मिश्रण करनेवाला । (२) मूलक । मालिकों का सा हक हो । जैसे,—वह संघ तो हमारी | मिश्रकस्नेह-संशः पुं० [सं० Jएक प्रकार की औषध जो त्रिफला, मिल्कियत ठहरी; हम छोड़ कर दें? दशमूल और दंती की जड़ आदि से बनाई जाती है और मिल्की-संशा पु० [अ० ] (1) मिल्क का स्वामी या अधिकारी। जिसका व्यवहार गुल्म आदि रोगों में होता है। (वैद्यक) ज़मींदार । (२) जागीरदार । माफीदार। मिश्रकेशी-संशा स्त्री० [सं०] एक अप्सरा का नाम जो मेनका मिल्लत-संशा स्त्री० [हिं० मिलन+त (प्रत्य) (1) मेल-जोल की सखी थी। धनिष्टता । मिलाप । जैसे,—उन दोनों में बहुत मिल्लत मिश्रज-संशा पु० [सं०] (1) वह जो दो भिन्न जातियों के है। (२) मिलनसारी । जैसे,—उनमें मिल्लत बहुत है। मिश्रण से बना या उत्पन्न हुआ हो। (२) खच्चर । मुहा०-मिल्लत का जिसमें मिलनसारी हो । मिलनसार । मिश्रजाति-वि० [सं० ] जो दो जातियों के मिश्रण से उत्पन्न जैसे,--यह बहुत मिल्लत का आदमी है। हुआ हो । वर्णसंकर । दोगला । (३) समूह । मंडली । जस्था। (क०) मिश्रण-संज्ञा पुं० [सं०] [वि. मिश्रणीय, मिश्रित ] (1) हो या