पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ५.pdf/४७७

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मुल्लिम २७६८ मुकरनी मुशलिम संज्ञा पुं० [अ०] इल्म सिखानेवाला । शिक्षा देनेवाला । कार आदि से सं. ध रखनेवाला कोई झगड़ा अथवा किसी शिक्षक। अपराध ( जुर्म ) का मामला जो निपटारे या विचार के मुश्रान-वि० दे० "माफ़"। लिए न्यायाय में जाय । व्यवहार या अभियोग । जैसे,- मुश्राफकत--संज्ञा स्त्री० [अ० ] (1) मुआफिक या अनुकूल होने वह वकील जो मुकदमा हाथ में लेता है, वही जीतता है। __ का भाव (२) पाथ । दोस्ती । मेलजोल । हेलमेल। क्रि० प्र०-उठाना ।-बड़ा करना । चलना :- यौ०--मेल गुआफत । चलाना।-जीतना । हारना । मुश्राफ्रिक-वि० [ भ० ] (१) जो विरुद्ध न हो। अनुकूल । (२) : मुहा०-मुकदमा लड़ना-मुकदमे में अपने पक्ष में प्रयत्न करना । सहश । समान । (३) ठीक टीक । न अधिक, न का। (२) धन का अधिकार आदि पाने के लिए अथवा किए हुए बराबर । (४) मनोनुकूल । इच्छानुसार । अपराध पर दंड दिलाने के लिए किसी के विरुद्ध न्यायालय मुश्राफिकत-संज्ञा स्त्री० [अ०] (1) अनुरूपता । (२) अनु. में कार्रवाई । दावा । नालिया। कुरता । (३) मित्रता । दोस्ती। क्रि० प्र०-दायर करना। यौ०--मेल मुआफिकत । यो०-मुक्कदमेबाजी। क्रि०प्र०—करना । --रखना । मुकदमेबाज-संज्ञा पुं० [अ० मुकदमा+फा० बाज (प्रत्य॰)] वह मुत्रानी-संज्ञा स्त्री० दे० "माफी"। जो प्राय: मुकदमे लड़ा करता हो। मुश्रामला-संशा पुं. दे. "मामला"। मुकदमेबाज़ी-संज्ञा स्त्री० [अ० मुकदमा+फा बाजी ] मुक्कदः। मुआयना-संश• [अ० ] देव भाल । जांच पड़ताल। लड़ने का काम । निरीक्षण । 'मुकदम-वि० [अ० ] (1) प्राचीन । पुराना । (२) सर्वश्रेष्ठ । मालिज-संशा पुं० [अ०हला करनेवाला । चिकित्सक । (३) जरूरी । आवश्यक। मुत्रालिजा-संशा पुं. [ अ.] इलाज । चिकित्सा। क्रि० प्र०-जानना।-समझना । यो०-इलाज मुआलिजा । संज्ञा पुं० (१) मुखिया । नेता । (२) रान का ऊपरी भाग भुश्रावज़ा-संश पुं० [अ० ] (१) बदला । पलटा । (२) वह धन जो कि कार्य अथवा हानि आदि के बदले में मिले। मुकदमा-संज्ञा पुं० दे० "मुकदमा"। (३) वह रकम जो जमींदार को उत्पज़मीन के बदले में मुकद्दर-संश। पुं० [अ० ] प्रारब्ध । भाग्य । तकदीर । रिलती है, जो किसी सार्वजनिक काम के लिए कानून की मुहा०—मुकदर आज़माना--भाग्य की परीक्षा करना ।मुकाएर महायता से ले ली जाती है। चमकना-भाग्योदय होना। क्रि० प्र०—दिलाना ।—देना ।-पाना ।--मिलना। मुकहस-वि० [अ० ] पवित्र । शुधि । पाक । मश्राहिदा-संज्ञा पुं० [अ०] पकी बातचीत । ८ निश्चय । करार। यौ०-मुकद्दस किताब-ऐमी धर्मपुस्तक ओ अपौरुषेय माना मुकंद-संज्ञा पुं० [सं०] (1) कुंदरू। (२) प्याज । (३) साठी जाती हो। धान । मुकना-संशा पुं० दे० "मकुना" मुकंदक-संज्ञा पुं० [सं० ] (1) प्याज । (२) एक प्रकार का ___*कि० अ० [सं० मुक्त ] (१) मुक्त होना । टूटना । साठी धान। (२) खतम होना । चुकना। मुकट-संज्ञा पुं० दे. "मुकुट"। | मुकम्मल-वि० [अ० ] पूरा किया हुआ। जिसमें कुछ भी करने मकटा-संशा पुं० [देश | एक प्रकार की रेशमी धोती जो प्रायः .. को बाकी न हो। सब तरह से तैयार । पूजन या भोजन आदि के समय पहनी जाती है। मुकरना-कि० अ० [सं० मा--नह+करना ] कोई बात कहकर मुक्ता -संज्ञा पुं० दे. "मुक्ता"। उससे फिर जाना । कही हुई बात से या किए हुए फाम से वि० [हिं० (प्रत्य॰) अ+मुकना समाप्त होना ] [स्त्री० मुकतः ।। इनकार करना। नटना । जैसे,—उनका तो यही काम है; जो जल्दी समाप्त न हो। बहुत अधिक । यथेष्ट । जैसे,-- सदा कहकर मुकर जाते हैं। उनके पास मुकते कपड़े है; कहाँ तक पहनेंगे। संयो० कि०-जाना । --बना। मुकत्ता-वि० [अ० मुकत्ता] (1) कार छाँटकर दुरुस्त किया संशा पुं० कहकर मुकर जानेवाला । वह जो कहे और फिर हुआ। ठीक तरह से घनाया हुआ। जैसे, मकसा दाही। मुकर जाय। (२) सभ्य । शिष्ट । जैसे, मुकत्ता सूरत । मुकरनी-संज्ञा स्त्री० [हिं० मुकरना ] मुकरी या कह-मुकरी नामक मुकदमा-संशा पुं० [अ०] (1) दो पक्षों के बीच का धन, अधि कविता । वि.दे. "मुकरी"।