पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१११

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सत्कार ४६२६ सत्तावन सत्तर-मज्ञा पुं० माठन दस अधिक की संख्या या प्रक जो इस प्रकार सकार--मज्ञा पु० [म०] १ पाए हुए के प्रति अच्छा व्यवहार । आदर । समान । खातिरदारी। २ प्रातिथ्य । मेहमानदारी। लिखा जाता है-७०। ३ पर्व। उत्सव । ४ देखभाल । ख्याल (को०)। ५ दावन । सत्तरवॉ-नि० [हि. सत्तर+वाँ (प्रत्य०)] [चौ० सतरवों ] जो भोज (को०)। क्रम मे सत्तर के स्थान पर हो । सत्कार्य'---वि० [म०] १ सत्कार करने योन्य । २ जिसका सत्कार सत्तरह' - वि० [स० सप्तदश, प्रा० सत्तरह] दम और सात । जो गिनती करना हो । ३ जिम (मृतक) का क्रिया कर्म करना हो। मे दम से सात अधिक हो । सकार्य-सञ्ज्ञा पु० १ उत्तम कार्य । अच्छा काम । २ कारण मे सत्तरह' २-पज्ञा पृ० १ दस मे मात की अधिक सख्यामा अक जो इस कार्य की स्थिति या मत्ता का होना (को०)। प्रकार लिखा जाता है-१७। २ पामे के खेल मे एक दाँव जिममे दो छक्के और एक पजा तीनो एक साथ पडते हैं। सत्कार्यवाद- या पुं० [स०] साब्य का यह दार्शनिक सिद्धात कि विना कारण के कार्य को उत्पत्ति नही हो मकतो, अर्थात् इस सत्तरहवॉ-पि० [हिं० सत्तरह + वॉ (प्रत्य॰)] ['ची० मत्तरहवी] जो जगत को उत्पत्ति शून्य से नहा हो सकती, किसो मून सता से क्रम मे मत्त रह के स्थान पर पडे । है । किसी कारण मे काय की सत्ता का सिद्धात । यह सिद्धात सत्तलिका–पञ्चा स्त्री० [म.] अास्तरण। दरी। बिछीना। कालीन । बौद्धो के शून्यवाद का विरोधी है। गलीचा [फो०] । सरिककु-सञ्ज्ञा पुं॰ [म०] लबाई को एक प्राचीन नाप जो सबा गज सत्ता- ज्ञा श्री० [सं०] १ होने का भाव । अस्तित्व । हस्तो। होना। के लगभग होतो थी। भाव । ५. शकिा , दम । ३ वास्तविकता। यथार्थना (को॰) । सत्कीति-मञ्च स्त्री० [म०] उत्तम कोति । यश । नेकनामी । ४ जाति का एक भेद (को०)। ५ उत्तमता। श्रेष्ठता (को०) । सत्कुल'-महा पु० [सं०] उतम कुल । अच्छा या बडा खानदान । ६ अधिकार । प्रनुत्व । हुकूमत । (मराठी मे गृहीत)। सत्कुल'-वि० अच्छे कुल का । खानदानी । मुह। -सत्ता चलाना = अधिकार जताना । हुकूमत करना। उ.-जो लोग असभ्य हे, जगनी हे उनपर सत्ता चलाने सत्कुलीन-वि० [म०] मत्कुल मे उत्पन्न । जो अच्छे कुन का हो। (हुकूमत करने) मे अनिवध शामन अच्छा होता है। -महावीर- खानदानी [को०] । -प्रसाद द्विवेदी (शब्द॰) । सत्कृत-वि० [स०] १ अच्छी तरह किया हुमा । २ जिसका प्रादर सत्ता-पज्ञा पुं० [म० सप्तक, या हि• सात] ताश या गजीफे का वह सत्कार किया गया हो । प्रादृत । ३ अलकृत । सजाया हुअा । पत्ता जिसम सात बूटियाँ हा । बनाया हुआ। सत्ताइस, सत्ताईस'- वि० [स० सप्तविंशति, प्रा० सत्ताईसा] सात सत्कृत'--पज्ञा पुं० १ सत्कार । समान । आदर । २ सत्कर्म । अच्छा और बीस । जो गिनतो मे बीस से सात अधिक हो। काम । पुण्य । ३ शिव (को०) । ४ प्रातिथ्य (को॰) । सत्कृति--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ आदर सत्कार । २. सद्गुण । सदाचार। सत्ताइस, सत्ताईस' --- ज्ञा पु० बीस से सात अधिक को सध्या या प्रक जो इस प्रकार लिखा जाना हे,-२७ । ३ पुण्य । अच्छा कर्म (को०] । सत्ताइसवॉ-वि० [हिं० सत्ताइम+वा (प्रत्य॰)] जो क्रन म सत्ताइस सत्क्रिय -वि॰ [म०] सत् कार्य करनेवाला [को०] । के स्थान पर पडता हो । सत्क्रिया-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ सत्कर्म । पुण्य । धर्म का काम । २ सत्कार । आदर । अच्छा व्यवहार । खातिरदारी। ३ प्रायो- सत्तावारो-सञ्ज्ञा ५० [५० सताधारिन्] अधिकारो। अफसर जन । तैयारी । सजावट । ४ शिष्टाचार । अभिवादन (को॰) । हाकिम । ५ शुद्धि सस्कार (को०)। ६ मृतक सस्कार । अत्येष्टि क्रिया सत्त। नवे' -वि॰ [सं० सप्तनवति, प्रा. सत्तानवइ] नब्बे और सात । जो (को०)। गिनती मे सौ मे तीन कम हो । सत्त'-पञ्चा पुं० [स० सत्व, प्रा० सत्त] १ किसी पदार्थ का सार सत्तानवे-पझा पृ० सी से तीन कम को सख्या या अक जो इस भाग । असली जुज । रस । जैसे,—गेहूँ का सत्त, मुलेठी का प्रकार लिखा जाता है,-1 सत्त । २ तत्व । काम की वस्तु । जैसे,—अव तो उसमे कुछ सत्तानवेवॉ-वि० [हि सत्तानवे+गाँ (प्रत्य॰)] जो क्रम मे सत्तानब भी सत्त वाकी नहीं रह गया । के स्थान पर पडता हो। सत्ता-मञा पुं० [स० सत्य, प्रा० मत] १ सत्य । सच बात। २ सत्तार -सज्ञा पु० [अ०] १ परदा डाननेवाला। दोप ढाँकनेवाला। सतीत्व । पातिव्रत्य । २ ईश्वर को०] । सत्तम -वि० [स०] १ अत्यत सु दर । सर्वोत्तम । २. सर्वश्रेष्ठ । सर्वजन सत्तावन'–वि० [40 सप्तपञ्चाशत, प्रा० सत्तावन्ना] पचास और पूज्य (को०] । सात । जो गिनती मे तीन कम नाउ हो। सत्तर'-वि० [म० सप्नति, प्रा० मतरि] साठ और दम । जो गिनती मे सत्तावन-सज्ञा पुं० तीन कम साठ को सख्या मा यक जो इस प्रकार साठ से दस अधिक हो। लिखा जाता है,-५७ 1