पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/११२

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सत्तावना ४६३० सत्या सत्तावनवा--वि० [हिं० सतावन + वॉ (प्रत्य॰)] जो क्रम मे सत्तावन सत्पुत्र'---मचा पु० [स०] १ योग्य पुन्न । २ वह पुन जो पितरो का के स्थान पर पडा हो। विधिपूर्वक तर्पण आदि करे (को०] । सत्ताशास्त्र--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पाश्चात्य दर्शन को वह शाखा जिसमे सत्पुत्र'-वि० [म०] पुत्र वाला (को०] । मूल या पारमार्थिक सता का विवेचन हो । सत्पुरुप-महा पुं० म०] भला आदमी । सदाचारी पुरुप । सत्तासामान्यत्व-- हा पुं० [स०] अनेक रूपो के भीतर एक सामान्य सत्पुष्प-पंज्ञा पुं॰ [म० १ अच्छा पुष्प । उत्तम पुष्प। २ पूर्ण द्रव्य का अस्तित्व । जैसे,--कुडल, करुण आदि अनेक गहनो विकसित फूल [को०] । मे, 'सोना' नामक द्रव्य सामान्य रूप से पाया जाता है। सत्प्रतिग्रह-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] योग्य पान मे दान ग्रहण करना को०) । विशेष--इस तथ्य का उपयोग वेदातो या दार्शनिक अनेक नाम- सत्प्रतिपक्ष' -- वि० [म०] जिसका उचित खडन हो सके। जिनके रूपात्मक जगत् को तह मे किसी एक अनिर्वचनीय और विपक्ष मे बहुत कुछ कहा जा सके । अव्यक्त सता का प्रतिपादन करने में करते है। सत्प्रतिपक्ष'-सज्ञा पुं॰ [सं०] हेत्वाभाम के पाँच प्रकारो मे मे एक सत्तासी-व० [म० सप्नाशीति, प्रा० सत्तासी] अस्सी और सात । (यत्र साध्याभावसाधक हेत्वन्तर म प्रतिपक्ष ) वह हेतु जिसके जो तीन कम नब्बे हो। विपक्ष मे अन्य समकक्ष हेतु हो । जैसे शब्द नित्य है क्योकि सत्तासी-सज्ञा पु० तीन कम नब्बे की सख्या या अक जो इस प्रकार वह श्रव्य है, शब्द अनित्य है क्योकि वह उत्पन्न है। यहाँ शब्द लिखा जाता है,--८७। को नित्यता के हेतु 'श्रव्य' के समकक्ष उसको अनित्यता का हेतु सत्तासीवाँ-वि० [हिं० सत्तासी+ वाँ (प्रत्य॰)] जो क्रम मे तीन 'उत्पत्ति' है। कम नव्वे के स्थान पर हो । सत्प्रमुदिता-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] माख्य दर्शन के अनुसार पाठ सिद्धियो सत्ति'-तज्ञा स्त्री० [स० शक्ति] शक्ति । सामर्थ्य । मे से एक सिद्धि (को०] । सत्ति' -सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ बैठने को क्रिया । उपवेशन । २ प्रारभ । सत्कल -सज्ञा पुं० [म०] दाडिम । अनार । शुरुआत [को०)। सत्यकार -सज्ञा पुं० [स० मत्यटकार] १ वचन को सत्य करना । सत्तू-सञ्ज्ञा पुं॰ [८० सक्तुक, प्रा० सत्तुन] भुने हुए जौ और चने या २ वादा पूरा करना । २ वादा पूरा करने की जमानत के तौर और किसी अन्न का चूर्ण या आटा जो पानी में घोलकर खाया पर कुछ पेशगी देना। जाता है। सत्यभरा- स्त्री० [स० मत्यम्भरा] एक नदी का नाम यो०] । मुहा०-सत्तू वाँधकर पीछे पडना = (१) पूरी तैयारी के साथ सत्य'-वि० [सं०] १ जो बात जैमी है, उसके सबध मे वैमा ही किसी को तग करने मे लगना। सब काम धघा छोडकर (कथन)। यथार्थ । ठीक । वास्तविक । मही। यथातथ्य । जमे,- किसी के विरुद्ध प्रयत्न करना । (२) पूर्ण तैयारी के साथ सत्य वात, सत्य वचन । २ अमल। ३ ईमानदार । निष्कपट | किसी काम मे लगना । सब काम धधा छोडकर प्रवृत्त होना । विश्वस्त (को०)। ४ मद्गुणी। सच्चरित्न । ५ जो झूठा न सत्पति-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १ भले लोगो या वीरो का स्वामी । २ हो । सच्चा (को०)। इद्र । देवराज । शक [को०)। सत्य-कि० वि० सचमुच । ठीक ठीक । सत्पन-सञ्ज्ञा पु० [स०] कमल का नवीन पत्ता (को०] । सत्य-सचा पु० १ वास्तविक बात । ठीक बात । यथार्थ तत्व । सत्पथ-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ उत्तम मार्ग । २. सदाचार । अच्छी चाल । जैसे,--सत्य को कोई छिपा नहीं सकता। ३ उत्तम सप्रदाय या सिद्धात । अच्छा पथ । विशेप -बौद्ध धर्म मे चार ग्रार्य सत्य कहे गए है--दुख सत्य सत्पथीन-वि० [स०] सत्पथ या सुमार्ग पर चलने वाला [को०] । (ससार दुख रूप है यह सत्य वात), दुखसमुदय (दुख के सत्परिग्रह-सज्ञा पु० [स०] सत् या योग्य व्यक्ति से दान ग्रहण कारण), दुखनिरोध (दुख रोका जाता है) और मार्ग करना [को०] । (निर्वाण का मार्ग)। वौद्ध दार्शनिक दो प्रकार का सत्य मानते सत्पशु-सञ्ज्ञा पुं० [स०] देवताओ के बलि योग्य अच्छा पशु । वह पशु हैं--सवृत्ति सत्य (जो वहुमत से माना गया हो) और परमार्य जो देव बलि देने के योग्य हो। सत्य (जो स्वत सत्य हो)। २ उचित पक्ष । न्याय पक्ष । धर्म की वात । ईमान की वात । सत्पात्र-सचा पु० [स०] १ दान आदि देने के योग्य उत्तम व्यक्ति । २ श्रेष्ठ और सदाचारी व्यक्ति । योग्य मनुष्य । ३ कन्या देने जैसे,—हम सत्य पर दृढ रहेंगे। ३ पारमार्थिक सत्ता। वह के योग्य उत्तम पुरुष । अच्छा वर । वस्तु जो सदा ज्यो की त्यो रहे, जिसमे किसी प्रकार का विकार या परिवर्तन न हो (वेदात) । जैसे,—ब्रह्म सत्य हे और जगत् सत्पात्रवर्ष-सञ्चा पु० [स०] योग्य व्यक्ति के प्रति उदारता का व्यव- मिथ्या है। ४ ऊपर के सात लोको मे से सबसे ऊपर का लोक हार (को०] । जहाँ ब्रह्मा अवस्थान करते हैं। ५ नवे कल्प का नाम । ६ सत्पात्रवर्षी-वि० [स० सत्पात्रवपिन्] पात्रता का विचार करके दान अश्वत्थ वृक्ष । पीपल का पेड । ७ विष्ण का एक नाम । ५ आदि देनेवाला को०] । रामचन्द्र का एक नाम। ६. नादीमुख भाद्ध के अधिष्ठाता