पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समीकृत ४६७८ समोहित' समीकृत--वि० [सं०] १ समान किया हुअा। वरावर किया हुआ । समीद-सचा पुं० [सं०] मंदा । गेहूँ का नहुन महीन पाटा [को०] । २ जोडा या योग किया हुशा (को०)। समीन-वि० [सं०] १ वापिक। मालाना। १ जो एक वर्ष के लिये समीकृति-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ समान या तुल्य करने की निया। भाडे पर लिया गया हो । ३ एक माल का (को०)। समीकरण । २ वजन करना । तौलना । समीनिका-सा [सं०] वह गी जो प्रति वर्प बच्चा देती हो । हर साल व्यानेवाली गाय । समीक्रिया--सज्ञा सी० [स० दे० 'ममीकरण' । समीप'-वि० [म०] दूर का उलटा । पास । निकट । नजदीक । समीक्ष-मज्ञा पुं० [सं०] १ अच्छी तरह देखने की क्रिया । २ दर्शन । समीप'-सया पु० सामीप्य । निकटता । ३ अन्वेपण । जाच पडताल । ४ विवेचन । ५ साख्य शास्त्र जिसके द्वारा प्रकृति और पुरुप का ठीक ठीक स्वरूप दिखाई समीपता-सहा रसी० [सं०] ममोप का भाव या धर्म । देता हे। ६ पूर्ण ज्ञान (को॰) । समीपवर्ती-वि० [मं० ममीपत्तिन्] ममीप का । पाम का । नजदीक । समोपसप्तमी-सरा पुं० [म.] ममीपता व्यजा यारा । सप्तमी समीक्षक--वि० [स०] १ समीक्षा करनेवाला। समालोचक । २ विभक्ति । निरीक्षक । अच्छी तरह देखनेवाला। समीपस्थ-वि० [स०] जो समीप मे हो । पाप का। समीक्षए--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ दर्गन । देखना। २ अनुसधान । समीभाव-सज्ञा पुं० [सं०1 सहज स्थिति । मम भाव मे होना ।को०] । अन्वेपण । जान पडताल । ३ पालोचना । सम य--वि० [सं०] १ तुल्य । समान । २ समान कारण होने त एक समीक्षा--मना सी० [म०] [वि० समीक्षित, समीक्ष्य] १ अच्छी तरह सा समझा जानेवाला । ३ जो एक ही मून का हो। ४ देखने की क्रिया । २ देखने की ग्राकाक्षा। दिदृना (को॰) । समान या तुल्य सवधी । मम मधी (को०] । ३ दृष्टि । चितवन । निगाह । नजर (को०)। ४ पालोचना । समीर-सज्ञा पुं० [सं०] १ वायु । हवा । २ वायु देवता (को०)। समालोचना। ५ प्रज्ञा । बुद्धि । मति । ६ यत्न । कोशिश । ३ शमी वृक्ष । ४ प्राणवायु जिसे योगी वश मे रखने ह । ७ विचार । ममति । राय (को०)। ८ अनुसधान। अन्वेपरण उ०- कछु न साधन सिधि जानी न निगम विधि नहिं जप तप (को०)। ६ अात्मविद्या । गात्मा सबबी ज्ञान (को०)। बस न समीर ।-तुलमी (शब्द०)। १० सत्य का अाधारभूत या मालिक रूप (को०)। ११ मूल- समीरण'-समा पु० [म०] १ वायु। हवा । २ गय तुलनी । भूत सिद्धात (को०)। १२ मीमामा शास्त्र । १३ साक्ष्य मे मस्या । ३ रास्ता चलनेवाना । पयिक । बटोही। ८.प्रेरणा। वतलाए हुए पुरुप, प्रकृति, बुद्धि, प्रहकार आदि तत्व । ५. श्वास । सास (को०)। ६ गरीरस्य प्राण, अपान, रामान, समीक्षित--वि० [स०] १ भली मॉति देखा परवा हुया । २ जिसकी उदान और व्यान नामक पाँच वायु (को०)। ७ पांच समीक्षा या समालोचना की गई हो। की संख्या (को०)। ८ वायु देवता (को०)। ६ जना। समीक्ष्य-वि० [स०] समीक्षा करने के योग्य । भली भांति देखने प्रेपण (को०)। समीरण-वि• गतिशील या प्रेरित करनेवाला । उद्दीप्त करनेवाला समीक्ष्यकारी--वि० [स० समीक्ष्यकारिन्] अच्छी तरह सोच समझ [को०]। कर काम करनेवाला को०)। समीरसूतु-सञ्ज्ञा पुं० [स०] वायुपुत्र । हनुमान । उ०-राम की रजाय समीक्ष्यवादी--पना पु० [स० ममीक्ष्यवादिन्] वह जो किमो विपय को ते रमायनी समीरसूनु उतरि पयोधि पार मोधि सखाक सो।- अच्छी तरह जॉच या समझ कर कोई बात कहता हो । तुलसी ग्र०, पृ० १७१। समीच-पञ्चा पु० [स०] १ जलनिधि । समुद्र । सागर । २ शशि । समीरित-वि० [सं०] १ क्षुब्ध । उत्प्रेरित । २ उच्चारित (शब्द चद्रमा [को०] । या स्वर)। समीचक-मझा पु० [म.] प्रसग । मैथुन । सभोग । समीसर-सम्रा पुं० [म० शनैश्चर, हिं० सनीचर] शनैश्चर । शनि । उ०--रा०३०, पृ० २७२। समीची-पन्ना श्री० [स०] १ स्तव । गुणगान । वदना । २ हरिणी । मृगी (को०)। समीहन'--सशा पु० [स०] विष्णु का एक नाम । समीचीन'--वि० [म०] १ यथार्य । ठीक । २ उचिन । वाजिव । ३ ममोहन'-वि० लालायित । ईर्ष्याल । उत्सुक ० । समोहा-सक्षा रखी० [स०] १ उद्योग। प्ररत्न । चेष्टा । कोशिश । न्यायसगत । ४ सत्य । सही (को०)। समीचीन -सज्ञा पु० १ सत्य । २ गरिमा [को०] । २. इच्छा। स्वाहिश । ३ अनुसवान। तलाश। जांच पडताल। समीचोनता-सहा श्री० [स०] समीचीन होने का भाव या धर्म । समोहित'-वि० [स०] अभिलपित। आकाक्षित । इच्छित । २. समाचीनत्व-सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'समीचीनता' । प्रारभ किया हुआ। शुरू किया हुआ। ३ जिसके लिये चेष्टा समोति, समीतो-मचा सी० [म० समिति] दे॰ 'समिति'। उ०-राग या प्रयत्न किया गया हो (को०] । रोप इरषा विमोह वस रची न साधु समीति ।-तुलसी समीहित-सचा पुं० अभिलाषा। आकाक्षा । स्पृहा । २. प्रयत्न । (शब्द०)। कोशिश । चेष्टा [को०] । के योग्य ।