पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/१६३

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(को०। & समुत्सेध ४९८१ समुद्धृत ममुत्तेध-सज्जा पु० [स०] १ ऊँचाई । उत्तु गता। २ मोटापा । सज्जित (को०)। ६ जो राजी या सहमत हो (को॰) । स्थूलता। ३ घनता । साद्रता [को०] । ७ प्रचलित (को०) । ८ जिसमे बात की गई हो (को०)। समुदत-व० [म० समुदन्त) १ कोर। तट या किनारे के ऊपर उठा समुदीरण -मज्ञा पु० [१०] १ बोलना । कहना । उच्चारण करना । २ जो उफनकर या उमडकर वहने की स्थिति मे हो। २ दहगना । बार बार करना । समुद'-वि० [म०] अानदयुक्न। हृप्ट । खुशी के साथ । प्रसन्नता युक्त। समुदोर्ण--वि० [म०] १ दीप्तिमान् । अत्यत चमकदार । २ उन्नत (को०)। समदर-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० समुद्र प्रा० समुदृ] समुद्र । समुद्ग-वि० [मं०] १ उगनेवाला । ऊपर चढनेवाला। २. पूर्णत समुदस्त-व० [म०] खोचकर ऊपर लाया या उठाया हुअा। जैसे,-- व्यापक । ३ अावरण या ढक्कन से युक्त । ४ फलियो से कूप से जल [को०]। युक्त [को०] । समुदय-पणा पुं० [म०] १ उठने या उदित होने की क्रिया । उदय । समुद्गः ----मचा पु० १ ढका हुअा सदूक । मजूपा। गोल पेटारी । २ दिन । ३ युद्ध। समर। लडाई। ४ ज्योतिप मे लग्न । २ कनी की नोक । ३ मदिर की गोल प्राकृति । ४ एक ५ सूर्य का उगना (को०)। ६ समुन्वय । ढेर (को॰) । प्रकार की चमक [को०] । ७ समिश्रण। मेल (को०)। ८ राजस्व (को०)। समुद्गक -मचा पुं० [स०] १ ढक्कनदार पेटारी। २ एक प्रकार प्रयत्न । चेष्टा (को०)। १० सेना का पिछला भाग (को०)। का छद (को०] । ११ वित्त। धन (को०)। १२ उत्पत्ति का हेतु (को०) । समुद्गत-वि० [स०] १ जो उदय हुअा हो । उदित । २ उत्पन्न । जात । १३ नक्षन्नोदय (को०)। समदय'--वि० ममस्त । मब । कुल । समुद्गम-सज्ञा पु० [स०१ उठान चढाई। २ उगना। निक- लना । ३ जन्म (को०)। समुदाइ, समुदाई --सक्षा पु० [स० समुदाय] ममूह । समुदाय । उ०-(क) राका पति पोडस उअहि तारागन समुदाइ । सकल समुद्गार- रक्षा पु० [स०] १ बहुत अधिक वमन होना। ज्यादा के गिरिन्ह दव लाइग्र विनु रवि राति न जाइ ।-मानस, ७७८ । होना।२ भाषण । कथन (को०)। ३ ऊपर खीचना। उठाना'को०)। (ख) काटत बढहि सीस समुदाई । —मानस, ६११०१ । समुगिरण-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ वमन करना । के करना । २ उगली समुदागम-सज्ञा पु० [सं० | पूर्ण ज्ञान [को०] । हुई वस्तु । ३ उठाना । ऊपर करना [को०] । समुदाचार-मचा पु० [सं०] १ शिष्टाचार । भलमनसहत समुद्गीत'--सज्ञा पुं॰ [सं०] उच्च स्वर से गाया जानेवाला गीत [को०] । व्यवहार । सदाचार । २ नमस्कार, प्रणाम प्रादि । अभिवादन। समुद्गीत'-वि० १. उच्च स्वर से या भली भांति गाया हुअा को॰] । ३ पाणय । अभिप्राय । मनलव । समुद्गीर्ण-वि० १ वमित । २ उक्त । कथित। ३ उठाया या ऊपर समुदानय--सचा पु० [म०] एक माथ लाना । साथ लाना [को०] । किया हुआ को। समुदाय -मना पुं० [म०] १ ममूह। ढेर । २ झड। गरोह। समद्दड-वि० [५० ममुद्दण्ड] १ ऊपर उठाया हुमा । जैसे,--हाथ । जैसे,—वद्वानो का समुदाय । ३ युद्ध। समर । लडाई। ४ २ ( लाक्ष०) खौफनाक । भयानक को०) । पोछे को प्रोर को सेना । ५ उदय । ६ उन्नति । तरक्की। समद्दे ण - सज्ञा पु० {स०। १ भलो भॉनि निर्देश करना। २. पूर्ण ७ सयोग (को०)। ८ शरीर के तत्वो का समाहार (को०)। विवरण ३ अभिप्राय । ४ सिद्धात (को०] । ६ एक नक्षत्र (को०)। समद्धत -'न[म०] १ ऊपर उठाया हुया । उन्नीत । २ उत्तेजित । समुदायवाचक-वि० [स०] वस्तुप्रो के सग्रह को प्रकट करनेवाला ३ घमडी। अभिमानी। ४ अशिष्ट । असभ्य । ढीठ । शब्द (को०]। धृष्ट । ५. तीव्र । उग्र। प्रखर को०] समुदायगव्द--पञ्चा पु० [स०] मग्रह की अभिव्यक्ति करनेवाला समुद्धरए-सञ्ज्ञा पुं० [स०]१ वह अन्न जो वमन करने पर पेट से शब्द किो। निकला हो। २ ऊपर की ओर उठाने, खीचने या बाहर समुदायि -सज्ञा पु० [स० समुदाय] झुड । समूह । गिरोह । निकालने की क्रिया । ३ उद्धार । ४ दूरीकरण। निवारण समुदाव--मज्ञा पुं० [५० समुदाय] दे॰ 'सम दाय'। उ०--रुची एक (को०)। ५ उच्छेद । उन्मूलन (को॰) । सब गुनिन को, वर विरचि सम दाव ।--केशव (शब्द॰) । समद्धर्ता-पशा पु० [म० समुद्धत्तु] १. वह जो ऊपर की ओर समुदाहरए--सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ घोपणा करना। २ निदर्शन । उठाता या निकालता हो। २ उद्धार करनेवाला। ३ ऋण उदाहरण देना [को०)। चुकानेवाला । कर्ज अदा करनेवाला । समुदाहार-सज्ञा पु० [स०] बातचीत । वार्तालाप [को०] । समुद्धार - सज्ञा पु० [स०] दे० 'समुद्धरण' । समुदित-वि० [स०] १ उठा हुआ। २ उन्नत। ३ उत्पन्न । समुद्धृत-वि० [सं०] १ ऊपर उठाया हुअा। २ बचाया हुआ। जात । ४ एकत्रित । सचित (को०)। ५ अन्वित । युक्न । मुक्त किया हुअा। ३. वमित । के किया हुआ। ४. अपसा- हि श० १०-१६