पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२२८

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सांसत ५०४९ सदि न बोलना । जैसे,--उनके सामने तो यह लडका सांम नही उ०-रेल रांड पर चढत होत सहजहिं परबस नर । मो मो लेता। साँस फूलना = बार बार साँस पाना और जाना। मांमत सहत तऊ नहिं सकत कछू कर ।-प्रेमघन०, मा० १, साँस चढना। साँस भरना = दे० 'ठढी सांस लेना'। सांस पृ०७। रहते = जीते जी। जीवन पर्यंत । साँस रकना = सांस के यो०- सांसतघर । आने और जाने मे बाधा । श्वास की क्रिया मे वावा सामतघर--सजा पुं० [हिं० सांसत + घर] कारागार में एक प्रकार की होना। जैसे,--यहाँ हवा की इतनी कमी है कि सांस रहती बहुत तग और यहुत अंधेरी कोठरी जिममे अपराधियो को है। सॉस लेना = (१) नाक के द्वारा वायु सोचकर अदर विशेष दड देने के लिये रखा जाता है। कालकोठरी। २ बहुत लेना और फिर उसे बाहर निकालना । (२) सुस्ताना । तग या छोटा मकान जिसमे हया या रोशनी न पाती हो। थोडी देर आराम करना । अतिम सांस लेना=प्राणात होना। सांसति--शा मी० [हिं०] दे० 'सांसत' । उ०--नव तात न मात मर जाना । अतिम सांसे गिनना = मरने के निकट होना। न स्वामी सखा मुत बधु बिसाल विपत्ति बटया। सांसति घोर आसन्न मृत्यु होना। उलटी सांस लेना = (१) दे० 'गहरी पुकारत भारत कौन सुने चहुँ ओर टटया।--तुलसी साँस भरना या लेना । (२) मरने के समय रोगी का बडे कष्ट (शब्द०)। से अतिम सॉस लेना। ऊपर को सांस चढना = मरणासन्न साँतना+-मि० स० [20 शासन] १ शामन करना। दड देना। होना । मृत्यु का निकट होना । सॉसो मे जी का होना = मरणा- २ टांटना । उपटना । ३ कष्ट देना । दृग्र देना । सन्न होना। मृत्य का निकट होना। गहरी साँम भरना या साँसल-सज्ञा पुं॰ [देश॰] १ एक प्रकार का कबल । २ बीज बोने लेना = बहुत अधिक दु ख ग्रादि के आवेग के कारण बहुत देर की क्रिया। तक अदर की ओर वायु खीचते रहना और उसे कुछ देर तक सामा--मज्ञा पुं० [म० श्वास, प्रा० सास] १ सांस । श्वास । जैसे,- रोक कर बाहर निकालना। ठढी या लवी माम लेना = दे० 'गहरी साँस भरना या लेना। जवतक मांसा, तबतक पासा। (कहा०)। २ जीवन । जिंदगी। ३ प्राण। २ अवकाश । फुरसत । विश्राम । साँसा-ना पु० [हिं० सांसत] १ घोर कप्ट । मारी पीडा। मुहा०-साँस लेना = थक जाने पर विधाम लेना । ठहर जाना । जैसे,—(क) घटो से काम कर रहे हो, जरा सांस ले लो। तकलीफ । २ चिंता । फित्र । तरहद । (ख) वह जबतक काम पूरा न कर लेगा तबतक साम न महा०-गांसा चटना = फिक्र होना। चिंता होना। लेगा। साँस लेने या मारो तक की फुरसत न होना साँमा-सज्ञा पुं० [स० मशय] १ सशय । सदेह । शक । २ डर । विल्कुल अवकाश न रहना । अत्यत व्यस्त होना । भय । दहशत । ३ गुजाइश । दम । जैसे,-अभी इस मामले मे बहुत कुछ साँस मुहा०--मांसा पडना = सशय होना । मदेह होना । है । ४ वह सधि या दरार जिसमे से होकर हवा जा या या आवण का सांसा पडई । जाणि होमालइ राजा गलिया हो सकती है। जाई। -बी० रासो, पृ० ४८ । मुहा०-(किसी पदार्थ का) साँस लेना = किमी पदार्थ मे सधि साँही+-मशा पुं० [स० स्वामी, प्रा० साई] फकीर । प्रौलिया । दे० या दरार पड जाना। (किसी पदार्थ का) बीच मे से फट जाना 'साई'। उ०--कही वत्त गोरी तिन सो मवांही। कहैं जेव या नीचे की ओर धंस जाना । जैसे,-(क) इस भूकंप मे कई जवाव पुच्छत सांही।--पृ० रा०, १९३३ । मकानो और दीवारो ने साँस ली है। (ख) इम भाथी मे कही सा---ग्रव्य० [स० सदृश्य, सह] १ समान । तुल्य । सदृश । बरावर। न कही साँस जरूर है, इसी मे पूरी हवा नही लगती । जैसे,—उनका रग तुम्ही सा है। २ एक प्रकार का मानमूचक ५ किसी अवकाश के अदर भरी हुई हवा। शब्द । जैसे,—बहुत सा, थोडा सा, जरा सा । मुहा०----साँस निकलना = (१) किसी चीज के अदर भरी हुई सा-सशा स्त्री० [स०] १ गौरी । पार्वती । २ लक्ष्मी [को०। हवा का वाहर निकल जाना । जैसे,--टायर को सांस निकलना, सा-सरा पुं० सगीत के सात स्वरो मे प्रथम स्वर । पड्ज का सक्षिप्न फुटवाल की साँस निकलना । (२) प्राणात होना। समाप्न रूप। हो जाना। साँस भरना = (१) किसी चीज के अदर हवा सात-सज्ञा स्री० [अ० साअत] दे० 'साइत-१'। भरना । (२) अत्यधिक थकान से जल्दी जल्दी और जोर की साअद-सज्ञा पुं० [अ० साइद] पारोहक ।-दक्खिनी०, पृ०६५। साँस आना। साइस-सज्ञा स्त्री० [अ० साइन्स] किसी विषय का विशेष ज्ञान-विज्ञान ६ वह रोग जिसमे मनुष्य बहुत जोगे से, पर वहुत कठिनता से शास्त्र । विशेप दे० 'विज्ञान'। २ रासायनिक और भौतिक साँस लेता है । दम फूलने का रोग । श्वास । दमा। क्रि० प्र०--फूलना। साइल-सज्ञा स्त्री॰ [फा० स्याही] दे० 'स्याही'। उ०-साइ सप्त साँसत-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० सांस+ त (प्रत्य॰)] १ दम घुटने का सा साइर करी, करी कलम बनराइ।-पोद्दार अभि० प्र०, कष्ट । २ बहुत अधिक कष्ट या पीड़ा। ३ झझट । बखेड़ा। पृ० ४३५। विज्ञान ।