पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२४४

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2 सचिारण' सार्धकृत्य साधारण'-वि० [म.] १ जिसमे कोई विशेपता न हो। साधिक-सज्ञा पुं० [स० साधक दे० 'साधक' । उ०-सिद्ध विना मामूली । सामान्य । जैसे-साधारण वात, साधारण न साधिक निपजै ज्यो घट होइ उज्याला-रामानद०, काम, साधारण उपाय । २ आसान । सरल । सहज । ३ पृ०१३॥ सार्वजनिक । ग्राम । ४ समान । सदृश । तुल्य । ५ मिश्रित । साधिका-वि० स्त्री० [स०] सिद्ध करनेवाली। जो सिद्ध करे । घुलामिला (को०)। ६ तर्कशास्त्र मे एकाधिक से सवद्ध । साविका-सझा स्रो० गहरी नीद । सपुप्ति । पक्षाभास (को०) । ७ मध्यवर्ती स्थान ग्रहण करनेवाला (को०) । साधित-वि० [स०] १ सिद्ध किया हुआ। जो सिद्ध किया गया हो। साधारण-सज्ञा पुं० [म.] भाव प्रकाश के अनुसार वह प्रदेश जहाँ जो साधा गया हो। २ जिसे किसी प्रकार का दड दिया जगल अधिक हो, पानी अधिक हो, रोग अधिक हो और जाडा गया हो। ३ शुद्ध किया हुअा। शोधित। ४ जिसका नाश तथा गरमी भी अधिक पडती हो। २ऐसे देश का जल । किया गया हो । ५ ऋण आदि जो चुकाया गया हो । ६ छोडा ३ सामान्य या सार्वजनिक नियम (को०)। ४ जातिगत या हुअा। प्रक्षिप्त। ७ विजित । पराभूत । ८ प्रयोग द्वारा वर्गीय गुण (को०) । ५ एक सवत्सर (को॰) । प्रमाणित या प्रदर्शित । ६ प्राप्त (को॰) । साधारणगाधार-सञ्ज्ञा पु० [म० साधारण गान्धार] एक प्रकार का साधिमा-सज्ञा पु० [सं० साधिमन्] अच्छापन । उत्तमता (को०] । विकृत स्वर जो वज्रिका नामक श्रुति से प्रारभ होता है । इसमे तीन प्रकार की श्रुतियाँ होती है । साधिवास वि० [सं०] सुगधित । सुगधयुक्त [को०] । साधिष्ठ-वि० [स०] १ अत्यत समीचीन या उत्तम । उत्कृष्टतम । साधारणत-प्रन्य० [स०] १ मामूली तौर पर। आम तौर पर। २ बहुत मजबूत । अडिग । कठोर [को०)। सामान्यत । २ वहुधा । प्राय । साधी-वि० [स० साधिन] साधने या सिद्ध करनेवाला (को०] । साधारणतया-अव्य० [म०] दे० 'साधारणत'। साधारणता-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] १ साधारण होने का भाव या धर्म । साधीय-वि० [स० साधीयस्] १ रत्कृष्टतर । २, बलवत्तर । अधिक बली। ३ औचित्यतर । सुदरतर [को०] 1 मामूलीपन । २ सर्वसामान्य या साधारण हित (को॰) । साधु-सझ पु० [स०] १ वह जिसका जन्म उत्तम कुल मे हुआ हो। साधारणत्व-सञ्ज्ञा पु० [म०] दे० 'साधारणता' । कुलीन। आर्य । २ वह धार्मिक, परोपकारी और सद्गुणी साधारए देश सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का देश । दे० 'साधारण' । पुरुप जो सत्योपदेश द्वारा दूसरो का उपकार करे। धार्मिक साधारएधन- सज्ञा पु० [स०] सयुक्त सपत्ति [को॰) । पुरुष । परमार्थी । महात्मा। मत। ३ वह जो शात, सुशील, साधारण धर्म-सशा पु० [स०] १ वह धर्म जो सबके लिये हो। सदाचारी, वीतराग और परोपकारी हो। भला- आदमी । सार्वजनिक धर्म। सज्जन। विशेष-मनु के अनुसार अहिंसा, सत्य अस्तेय, शौच, इद्रिय- निग्रह, दम, क्षमा, प्रार्जव, दान ये दस साधारण धर्म है। मुहा०-साधु साधु कहना= किसी के कोई अच्छा काम करने पर उसकी बहुत प्रशमा करना । २ वह धर्म जो साधारणत एक ही प्रकार के सव पदार्थो मे पाया ४ वह जिसकी साधना पूरी हो गई हो। ५ साधु धर्म का पालन जाय। ३ चारो वणों के कर्तव्य कर्म। प्रजनन । सतानोत्पादन । जनन (को०)। करनेवाला। जैन साधु । ६ दौना नामक पौधा । दमनक। ७ वरुण वृक्ष। ८ जिन। मुनि । १० वह जो सूद या साधारणपक्ष-सज्ञा पु० [स०] १ ऐसा दल जिसमे सभी प्रकार के व्याज से अपनी जीविका चलाता हो। ११ साध । इच्छा। लोग हो । २ वह जो मध्यवर्ती हो (को०] । १० गर्भ के सातवें महीने मे होनेवाला एक सस्कार। साधारणस्त्री-सज्ञा स्त्री॰ [स०] वेश्या । रडी। उ०-ए मैं अपुविस अपुविम साध पुजाऊँ। लज्जा राखू सावारणी-रज्ञा स्त्री० [स०] १ एक अप्सरा का नाम। उ०-ग्रहण ननद को।-पोद्दार अभि० ग्र०, पृ०६१६ । कियो नहिं तिन्हें सुरासुर साधारण जिय जानी । ताते साधारंणी साधु-वि०१ अच्छा । उत्तम । भला। ३ सच्चा। ३ प्रशसनीय । नाम तिन लह्यो जगत छविखानी।-रघुराज (शब्द॰) । ४ निपुण। होशियार । ५ योग्य । उपयुक्त । ६ उचित । २ सामान्या । साधारण स्त्री। वेश्या । ३ कुजी । चाभी। मुनासिब । ७ शुद्ध । सही। शास्त्रीय । ८ दयालु | कृपालु । ताली। ४ वाँस की कइन (को॰) । ६ रुचिकर । अनुकूल । २० योग्य । खानदानी । साधारणीकरण-सज्ञा पु० [स०] साहित्य के रसविधान मे विभावन साधुक-सज्ञा पु० [स०] १ कदम । कदव वृक्ष। २ वरुण वृक्ष । नामक व्यापार। दे० 'विभावन'।-२। साधुकारी -सञ्ज्ञा पु० [मं० साधुकारिन्] वह जो उत्तम कार्य करता साधारण्य-सञ्ज्ञा पु० [स०] साधारण होने का भाव या धर्म । हो । अच्छा काम करनेवाला । दक्ष या कुशल व्यक्ति । साधारणता। मामूलीपन। साधुकृत-वि० [स०] अच्छी तरह किया हुआ (को०] । साधारित-वि० [स०] जो अाधारप्राप्त हो या जिसे आधार प्रदान साधुकृत्य-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ हानि की पूर्ति होना । क्षतिपूर्ति । २ किया गया हो (को०। लाभ । प्राप्ति । प्रतिफल (को०] ।