पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२६२

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सार ५०८२ सारण वस्तुग्रो का उत्कर्ष या अपकर्ष वरिणत होता है। इसे 'उदार' भी सारगव-मचा पु० [म० सारगन्ध] चदन । सदल । कहते हैं। उ०--(क)-सव मम प्रिय सब मम उपजाए । सारगधि-सज्ञा पु० [स० सारगन्धि] चदन । सव ते अधिक मनुज मोहिं भाए। तिन महं द्विज, द्विज महँ सारग-वि० [स०] १ शक्तिशाली । सवल । २ सारगर्भित को०। श्रुतिधारी। तिन महँ निगम नीति अनुसारी । तिन महँ पुनि विरक्त पुनि ज्ञानी। ज्ञानिहु ते प्रति प्रिय विज्ञानी । तिनत सारगराहील-वि० [स० सारग्राही] दे० 'सारग्राही' । उ०-ौगुन छाँडै गुन गहै, सारगराही लच्छ ।-कवीर सा०, पृ० ६० । मोहि अति प्रिय निज दासा। जेहि गति मोरि न दूसरी प्रासा। (ख) हे करतार विन सुनो 'दास' की लोकनि को सारगर्भ-वि० [स०] २० 'सारगभित' । अवतार कग्यो जनि । लोकनि को अवतार करयो तो मनुष्यन सारगभित-वि० [म०] जिसमे तत्व भरा हो। सारयुक्त । तत्वपूर्ण । को तो सदार करयो जनि । मानुप २ को सँवार करयो जैसे,—सारगर्भित पुस्तक, सारगर्भित व्याय्यान । तो तिन्हें विच प्रेम पसार करयो जनि । प्रेम पसार करयो सारगान-वि० [म.] सारयुक्त या शक्तिशाली अगो वाला । पुष्टाग । तो दयानिधि कहूँ वियोग विचार करयो जनि । ४० वस्त्र । वलवान [को०] । कपडा। उ०--वगरे वार झीने सार मैं झलकति अधर नई सारगुए-सञ्ज्ञा पु० [स०] प्रधान या प्रमुख गुण । प्रधान धर्म (को०] । अरनई सरसानि ।--घनानद, पृ० ५०६ । ४१ गमन । क्रमण। सारगुरु-वि० [स०] जो वजन मे भारी हो । तौल मे भारी । गति (को०) । ४२ मवाद । पस (को०)। ४३ गोबर । गोमय सारग्राहिणी - वि० सी० [अ०] दे० 'सारग्राही' । उ०-रिपुदमन- (को०)। ४४ प्रसार । फैलाव । विस्तृति (को०) । ४५ दृढता। और वो बुद्धि कैसी अच्छी होती है । रणधीर-सारग्राहिणी। मजबूती। वैर्य । वीरता। -श्रीनिवास ग्र०, पृ०६२। सार-वि० १ उत्तम । श्रेष्ठ । २ ठोस । दृढ । मजबूत । ३ न्याय्य। सारनाही-वि० [स० सारग्राहिन्] [वि॰ स्त्री० सारग्राहिणी] सार तत्व ४ आवश्यक । अनिवार्य (को०)। ५ सही । वास्तविक (को॰) । को ग्रहण करनेवाला। किसी वस्तु का मुख्य अश ले लेने- ६ अनेक प्रकार का । रग विरगा। चितकबरा (को०) । ७ वाला (को०)। भगानेवाला । दूर करनेवाला । सारग्रीव-सज्ञा पु० [स०] शिव [को०] । सार--सशा पु० [म० सारिका] सारिका । मैना। उ०-गहवर सारघ-सज्ञा पु० [स०] वह मधु जो मधुमक्खी तरह तरह के फूलो हिय शुक सो कहँ सारो।—तुलसी (शब्द०)। से सग्रह करती है। सार'-सा पु० [हिं० सारना] १ पालन । पोषण । रक्षा । उ०- जड पच मिल जिहिं देह करी करनी लषु धौ धरनीधर की। विशेष वैद्यक मे यह लघु, रुक्ष, शीतल, कमल और अर्श रोग जनु को कहु क्यो करिहें न सँभार जो सार कर सचराचर की। का नाशक, दीपन, बलकारक, अतिसार, नेत्र रोग तथा घाव मे हितकर कहा गया है। --तुलसी (शब्द०)। २ शय्या । पलग। उ०--रची सार दोनो इक पामा। होय जुग जुग आवहिं कैलासा ।-जायसी सारजट-सज्ञा पु० [अ० सारजेट] पुलिस के सिपाही का जमादार, (शब्द०)। ३ खबरदारी । सभाल । हिफाजत । उ०--भरत विशेपत गोरा या युरेशियन जमादार । सौगुनी सारकरत है अति प्रिय जानि तिहारे ।--तुलसी सारज--सज्ञा पु० [स०] नवनीत । मक्खन । (शब्द०)। ४ सुववुध । अवसान । होश हवास । ५ खोजखबर । सारजासव-ज्ञा पु० [सं०] एक प्रकार का आसव जो धान, फल, सार-सशा पु० [म० श्याल, हिं० साला] पत्नी का भाई । साला । फूल, मूल, सार, टह्नी, पत्ते, छाल और चीनी इन नौ चीजो से विशेष--इस शब्द का प्रयोग प्राय गाली के रूप में भी किया बनता है। जाता है। विशेष-वैद्यक ये यह आसव मन, शरीर और अग्नि को बल देने- सार-मशा पु० [फा०] १ उष्ट्र। ऊँट । २ एक चिडिया (को०) । वाला, अनिद्रा, शोक और अरुचि का नाश करनेवाला तथा सार---प्रत्य० पदात मे प्रयुक्त होकर यह फारसी प्रत्यय निम्नाकित आनदवर्धक बतलाया गया है । अर्थ देता है -१ बाला। जैसे,-शर्मसार। २ बहुतायत । सारटिफिकट-मज्ञा पु० [अ० सर्टिफिकेट] १ प्रशसापत । २ सनद । जैसे,--कोहसार । ३. मानिंद । तुल्य । समान । जैसे,-देव प्रमाणपन्न। सार (को०)। सारए-मशा पुं० [स०] १ एक प्रकार का गध द्रव्य । २ आम्रातक सारी-सज्ञा स्त्री॰ [स० शाला] पशुओ को वाँधने का स्थान । पशुशाला। वृक्ष । अमडा । ३, अतिसार । दस्त की बीमारी । ४ भद्रबला । जैसे, गो सार। ५ पारा आदि रसो का सस्कार। दोपशुद्धि । ६ रावण के सारक'-वि० [सं०] रेचक । दस्तावर (को०] । एक मत्री का नाम जो रामचद्र की सेना मे उनका भेद लेने गया सारक-संज्ञा पुं० जमालगोटा (को०] । था। ७. आँवला। ८ गधप्रसारिणी। नवनीत । मक्खन । १० गध । महक। सारखदिर-यज्ञा पु० [स०] दुर्गध खदिर । वबुरी । ११ घर की ओर ले चलना (को॰) । १२ शरद् ऋतु की वायु (को०) । १३ तक । मट्ठा (को॰) । सारखा --वि० [स० सदृश, हिं० सरीखा] सदृश । समान । तुल्य। सारण--वि० १ रेचक । प्रवाहित करने या वहानेवाला । २ चिटका उ०-ता घर मरहट सारखे भूत वसहि तिन माहि ।-कवीर हुमा । फटा हुआ। ३ जिसके सिर पर वालो के पांच गुच्छे हो प्र०पू० २५५। [को०)।