पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/२६४

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- सारपत्र ५०८४ सारशून्य सारपत्र-वि० [स०] (वृक्ष) जिसकी पत्तियां मजबूत और कडी सारयोध-वि० [सं०] चुने हुए योद्धाग्रो से युक्त। अच्छे वीरो से हो [को०)। युक्त (को०] । सारपद-सज्ञा पु० [स०] १ एक प्रकार का पक्षी जो चरक के अनु साररूप---वि० [म०] १ निचोड । निष्कर्ष स्वरप । २ मर्वोत्तम । सार विष्किर जाति का है। २ वह पत्ता जिसमे सार अर्थात् प्रमुख । ३ अत्यत सु दर (को॰) । खाद हो। सारलोह-सज्ञा पु० [म०] लोहसार । इस्पात । लोहा । सारपर्णी--सज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'शालपर्णी' (को०] । विशेप-वैद्यक मे यह ग्रहणी, अतिमार, अगि, वात, परिणा- सारपाक-सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का विपैला फल जिसका मशूल, सर्दी, पीनस, पित्त और श्वास का नाराक बताया उल्लेख सुश्रुत ने किया है। गया है। सारपाढ-सज्ञा पु० [म.] धन्वग वृक्ष । धामिन । सारल्य-लज्ञा पुं० [सं०] १ सरल होने का भाव । मरलता । उ०- सारपादप--सज्ञा पु० [स०] धन्वग वृक्ष । धामिन । किंतु हा । यह कैसा मारय मानता है जो वनकर सारफल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] जैवीरी नीवू । शल्य ।- साकेत, पृ० ३५ । २ सत्यता। ईमानदारी। सचाई (को०)। सारवधका-सज्ञा खी० [सं० सारवन्धका] मेथी। सारवान--सज्ञा पु० [फा०] ऊँट पालनेवाला । ऊँटवाला (को०] । सारव-वि० [सं०] मरयू नदी से सबधित (को०] । सारभग-सज्ञा पु० [स० मारभडग] सार या शक्ति का अभाव (को०] । सारवती'-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ योग में एक प्रकार की समाधि । सारभाड--सज्ञा पु० [म० सार माण्ड] १ व्यापार की बहुमूल्य वस्तु । २ एक प्रकार का छद जिसमे तीन मगरण और एक गुरु २ खजाना। ३ प्राकृतिक पान । प्रकृतिनिर्मित पात्र । जैसे, होता है। मृगनाभि । कस्तूरी। ४ चोखा माल । असली माल । सारवती'-वि० सी० [स० मारवत्] दे० 'सारवान्' । सारभाटा--रज्ञा पु० [हिं० ज्वार का अनु० + भाटा] ज्वारभाटा का सारवत्ता-सज्ञा स्त्री० [सं०] सार गहण करने का भाव । सारग्राहिता। उलटा। समुद्र की वह वाढ जिसमे पानी पहले बढकर समुद्र सारवनाल-क्रि० स० [सं० साव करण] लवित करना । चुग्राना । तट से आगे निकल जाता है और फिर कुछ देर बाद पीछे ढालना । उ०-म्ह अगनि जीवन जर चेतन चितहि उजासो रे। लौटता है। सुमति कलाली मारवै कोइ पीवै विरला दासो रे ।-दादू०, सारभुक-सज्ञा पु० [म० सारभुज्] लोहे को खानेवाली, अग्नि । आग । पृ०४६३ । सारभूत--वि० [स०] १ सारस्वरूप । उ०-तामहिँ सारभूत द्वै सारवर्ग--संज्ञा पुं० [म०] वे वृक्ष या वनस्पतियां आदि जिनमे से साधं । सिद्धामन पद्मासन बाँधे।-स दर० ग्र०, भा०१, किसी प्रकार का दूध या सफेद तरल पदार्थ निकलता हो। पृ० १०६ । क्षीरवृक्ष। सारभूत-सशा पुं० प्रमुख तत्त्व या सर्वोत्तम वस्तु । सारवर्जित-वि० [स०] जिममे कुछ भी मार न हो। साररहित । सारभृत्--वि० [म०] सारग्रहण करनेवाला । सारग्राही। नि सार । रसहीन । सारमडूक--सज्ञा पु० [न० सारमण्डूक] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार सारवस्तु--सज्ञा स्त्री० [२०] सारवान् वस्तु । म हत्वपूर्ण चीज [को०] । का कीडा जो मेढक की तरह का होता है । सारवान् --दे० [म० साग्वत्] १ महत्वपूर्ण । मूल्यवान । २ सारमहत् -वि० [म०] अत्यत मूल्यवान् । बहुत कीमती। मजबूत । दृढ । ठोस । ३ पोषक । ४ सार अर्थान् द्रव, रस या सारमार्गए--मशा पु० [सं०] १ मज्जा या मेद ढूढना। २. सार निर्यासयुक्त । ५ सारयुक्त। धन । ससार। ६, उर्वर। तत्त्व या भश खोजना [को०] । उपजाऊ [को०] । सारमिति--सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] श्रुति । वेद । सारवाला--मशा पुं० [देश॰] एक प्रकार की जगली घास जो तर सारमूषिका--मज्ञा स्त्री॰ [२०] देवदाली । घघरवेल । वदाल । जगहो मे होती है। सारमेय -सशा पु० [सं०] [ली० सारमेयी] १ सरमा की सतान । विशेष--पह घास प्राय वारह वर्ष तक सुरक्षित रहती है । २ कुत्ता। ३ सुफलक के पुत्र और अक्रूर के एक भाई मुलायम होने पर यह पणुनो को खिलाई जाती है। का नाम । सारविद्--वि० [म०] किसी वस्तु के सार का ज्ञाता। किसी के तत्व, यौ०-सारमेयगणाधिप - कुबेर का एक नाम । सारमेय मूल्य, अथवा महत्व को जाननेवाला [को०] । चिकित्सा = कुत्ते की चिकित्सा करने की कला। सारवृक्ष--सज्ञा पु० [स०] धामिन । धन्वग वृक्ष । सारमेयादन--सज्ञा पु० [स०] १ कुत्ते का भोजन । २ भागवत के सारशन-सज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'सारसन' । अनुसार एक नरक का नाम । मारशल्य-सज्ञा पु० [स०] सफेद खैर का पेड । श्वेत खदिर। सारमेयी-सचा सी० [सं०] कुतिया । सारशून्य-वि० [स०] तत्वरहित । महत्वहीन । निरर्थक [को॰] । 1