पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३२१

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सीकार ६०४१ सीटना एक ढग। सीकार--सञ्ज्ञा पु० [म० सीत्कार] दे० 'सीत्कार'। उ०-चु वन यौ०--सीगेवार = व्योरेवार । करत कपोल मुखहि सीकार करावत । हृदय माँझ धेसि जात ५ एक प्रकार के वाक्य जो मुसलमानो के विवाह के समय कहे कुचन पर रोम वढावत ।-व्रज० ग्र०, पृ० १०३ । जाते हैं। सीकारी--सज्ञा पुं० [फा० शिकार] शिकारी। उ०-बडे बडे सीगा'--सज्ञा पुं० [अ० सिगार दे० 'मिगार'। सीकारी जोधा, आगे पग है डारा ।-धरम० श०, पृ० २७ । सीगा-वि० [हिं० मगा] अपना । निकटस्थ। जो पराया न हो । सीकी'--सज्ञा स्त्री० [हिं० सीका] छोटा सीका या छीका । छोटा सवधी. उ०---नेडा बेमा जाय नित, मौगो मिन्न समान । -- सिकहर। वाँकी० ग्र०, भा॰ २, पृ० ४५ । सीकी'--मज्ञा पुं॰ [देश॰] १ छेद । सूराख । २ मुह । मुहँडा। सीगारा'--संज्ञा पुं॰ [देश॰] मोटा कपडा । सीकुर-सज्ञा पु० [स० शू क] गेहूँ, जौ आदि की वाल के ऊपर सीगारा-मज्ञा पु० [अ० मिगार दे० 'सिगार'। निक्ले हुए वाल के से कडे सूत । शू क । उ०---गडत पाँइ जव सीच --सज्ञा स्त्री०।१] हाल । आइ, वडी विथा सीकुर करत । क्यो न पीर सरसाइ याके हिय सीचन-मज्ञा पुं॰ [देश॰] खारी पानी से मिट्टी निकालने का भूपति चुभ्यो। --गुमान (शब्द॰) । सीको-मज्ञा पुं० [स० शिक्य] दे० 'सीका'। सीचापू-सज्ञा स्त्री॰ [म०] यक्षिणी। सीक्रेट'--वि. [अं०] छिपा हुआ। गुप्त । पोशीदा। जैसे, सीक्रेट सौछन पु-मज्ञा पुं० [स० शिक्षण| दे० 'शिक्षण'। उ०-मीछन पुलिस । सीक्रेट कमिटी। काज वजीरन को कढे बोल यो एदिनमाहि ममा मा।--भूपण सीक्रेट'--मज्ञा पुं० गुप्त बात । जैसे,--गवर्नमेट सीक्रेट विल । ग्र०, पृ० १३५। सीख'--सज्ञा स्त्री० [स० शिक्षा, प्रा० सिक्खा) १ सिखाने की क्रिया या सीज'--मज्ञा स्त्री० [म० सिद्धि, प्रा० मिज्झि, हिं० सीझ] ६० 'मीझ' । भाव । शिक्षा । तालीम । २ वह बात जो सिखाई जाय । उ० सीज'---ज्ञा पु० [देश॰] थूहर । सेहुँड । (क) मोही मैं रहत रहै मोही सौं उदास सदा सीखत न सीख सीजना--त्रि० अ० [सं० मिद्ध, प्रा० मिज्झ, हिं० सीज + ना] ३० तन सीख निरधारी है।-ठाकुर० पृ० १२। ३ परामर्श । 'सीझना'। सलाह । मन्त्रणा । उपदेश । उ०--(क) याकी चीख सुन ब्रज सीझ--मज्ञा स्त्री० [म० सिद्धि, प्रा० सिज्झि] सीझने की क्रिया या भाव । को रे । —सूर (शब्द॰) । (ख) मोल्हन कहत सीख मेरी सोस गरमी से गलाब। धर रे।--हम्मीर०, पृ० २० । सीझना--क्रि० अ० [स० सिद्ध, प्रा० मिज्झ, हिं० मीज, मीझ+ना सीख'--सज्ञा स्त्री० [फा० सीख] १ लोहे की लवी पतली छड । (प्रत्य॰)] १ आँच या गरमी पाकर गलना पकना। चुरना । शलाका । तीलो। २ वह पतली छड जिसमे गोदकर माम जैसे,-दाल सीझना, रसोई मीझना। २ यांच या गरमी से मुला- भूनते है । ३ बडी सूई। सूत्रा। शकु। ४ लोहे की छड यम पडना। ताव खाकर नरम पडना । ३ मिद होना । उ०- जिससे जहाज के पेदे मे आया हुआ पानी नापते हैं । (लश०) । सबद बिंदी अवधू मवद विदी मबदे सौभत काया ।--गोरख०, सीखचा-सज्ञा पुं० [फा० सीखचह] १ लोहे की सीख जिसपर मास पृ० ४५ । ४ सूखे हुए चमडे का ममाले ग्रादि मे मोगकर लपेटकर भूनते हैं । २ लोहे की छड । ३ लोहेकी नुकीली छड । मुलायम होना। ५ ताप या कष्ट सहना। क्लेश झेलना । यो०--सीखचा कवाव = सीखचे पर गोद कर भूना हुआ ६ कायक्लेश सहना । तप करना। तपस्या करना । उ०- (क) एइ वहि लागि जनम भरि सीझा । चहै न आँहि, प्रोही सीखना-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० शिक्षण, प्रा० सिक्खण, हिं० सीखना] गेझा । —जायसी (शब्द०)। (ख) गनिका गीध अजामिल शिक्षा सीख। आदिक ले कामी प्रयाग कब सीझे । -तुलसी (गब्द०)।७ सीखना--क्रि० स० [स० शिक्षण, प्रा. सिक्खण] १ ज्ञान प्राप्त मरदी से गलना। बहुन ठढ खाना । ८ ऋण का निबटारा होना । ६ मिलने के योग्य होना। प्राप्तव्य होना । जैसे,- करना । जानकारी प्राप्त करना। किसी से कोई वात जानना । जैसे,—विद्या सीखना, कोई बात सीखना। २ किसी (क) बयाना हुअा और तुम्हारी दलाली मीझी। (ख) वह कार्य के करने की प्रणाली आदि समझना । काम करने का मकान रेहन रख लोगे तो १) सैकडे का व्याज नीझेगा। ढग यादि जानना । जैसे,-सितार सीखना, शतरज सीखना । सीट'--सा सी० [अ०] १ बैठने का स्थान । प्रासन । २ एक ३ अनुभव प्राप्त करना। आदमी के बैठने की जगह (को०)। ३ स्मिी ममा, ममिति सयो० क्रि०-जाना ।--लेना । मडल आदि के सदस्य की सरना (के)। सीगार-सज्ञा पु० [अ० सीगह] १ साँचा। ढाँचा । २ व्यापार। सीट'-सज्ञा सी० [हिं० सीटना] सीटने की स्थिा या भाव । जीट । पेशा । ३ पुरुष, काल आदि की दृष्टि से क्रिया का रूप (को०) । सीटना--क्रि० म० [अन० डीग मारना। शेती मारना। वट बढ ४ विभाग । महकमा। कर बातें करना। हिं० २०१०-३६ कबाव ।