पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३२४

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सीतावल्लभ ६०४४ सीधा सादी 1 सीतावल्लभ-मजा पुं० [म०] मीतापनि । रामचद्र । जो टेढा न हो । जिसमे फेर या घुमाव न हो। अवक्र । सरल । सीतास्वयवर स पु० [म० सीतास्वयम्वर सीता जी का स्वयवर। ऋजु जैसे-सीधी लकडी, सीधा रास्ता। २ जो किसी ओर ठीक प्रवृत्त हो । जो ठीक लक्ष्य की ओर हो । धनुपपना सीताहरण -नज्ञा पु० [म०] रावण के द्वारा सीता जी का अपहरण । मुहा०--सीधा करना = लक्ष्य की ओर लगाना । निशाना साधना, मीताहरन--समा पु० [म० मीताहरण] दे० 'सीताहरण'। (वदूक आदि का)। सीधी राह = सुमार्ग । अच्छा आचरण । सीधी सुनाना = (१) साफ साफ कहना । खरा खरा कहना । सीताहार--नशा पुं० [स०] एक प्रकार का पौधा । लगी लिपटी न रखना। (२) भला बुरा कहना । दुर्वचन सीतं नक-लज्ञा पु० [सं०] १ मटर । २ दाल । कहना। गालियां देना। सीधा पाना = सामना करना । भिड सीतोलक सगा पु० [पु०] मटर । जाना। सीतोदा-तज्ञा स्त्री० [सं०] जैनो के अनुसार विदेह की एक नदी का ३ जो कुटिल या कपटी न हो। जो चालबाज न हो। सरल नाम । प्रकृति का । निष्कपट । भोला भाला। ४ शात और सुशील । सीत्कार-मा पु० [म०] वह शब्द जो अत्यत पीडा या आनद के शिष्ट । भला । जैसे-सीधा प्रादमी। ममय मुंह से साँस खीचने से निकलता है। सी सी शब्द । मुहा०-सीधी आँखो न देखना - (किसी का) सह न सकना । मिसकारी। (किसी का) अच्छा न लगना । (किसी की) उपस्थिति खट- सीत्कारवाहुल्य-सशा पु० [स०] वशी के छह दोपो मे से एक दोप । कना। उ०-पढकर पुस्तक न फाड डालनेवालो को भी विशेष - वणी के छह दोप ये है-मोकारवाहुल्य, स्तब्ध, विस्वर कदापि सीधी आँखो नहीं देख सकते !---प्रेमघन०, भा० २, खडित, लघु और अमधुर । पृ० २८६ । सोधी तरह = शिष्ट व्यवहार से । नरमी से। सी कृति-मज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'सीत्कार' । जैसे- (क) सीधी तरह बोलो। (ख) वह सीधी तरह न सीत्य-संशा पु० [स०] १ धान्य । धान । २ खेत। कृषिक्षेत्र । मानेगा। सीधो अँगुली घी न निकलना = विना कडाई के सीत्य'--दि० हन की फाल की रेखाम्रो से युक्न । कृष्ट । जोता हुअा। कार्य का न होना। सीथ--तशा पु० [म. सिक्थ, प्रा० सिथ्थ] पके हुए अन्न का दाना । ५ जो नटखट या उग्र न हो । जो वदमाश न हो। अनुकूल । शात मात का दाना । उ०-- लहि सतन की सीथ प्रसादी। आयो प्रकृति का । जैसे--सीधा जानवर, सीधा लडका। मुक्ति मुक्ति मरयादी ।-रघुराज (शब्द०) । यौ०--सीधा सादा = (१) भोला भाला। निष्कपट । (२) सीथि-सज्ञा पु० [स० सिक्थ] दे० 'सीथ' । जिसमे बनावट या तडक भडक न हो। सीदंतीय--सज्ञा पुं० [स० सीदन्तीय] एक साम गान । मुहा०-(किसी को) सीधा करना = दड देकर ठीक करना । सीद--मशा पुं० [मं०] व्याज पर रुपया देना। सूदखोरी। कुसोद । शासन करना । रास्ते पर लाना । शिक्षा देना। सीधा दिन - सीदना-कि० अ० [सं० सीदति दुख पाना । कष्ट झेलना । उ० अच्छा दिन । शुभ दिन या मुहूर्त । जैसे - सीधा दिन देखकर (क) जद्यपि नाय उचित न होत अस प्रभु सी करी ढिठाई। याना करना। तुलसिदास सीदत निसि दिन देखत तुम्हारि निठुराई।-तुलसी ६ जिसका करना कठिन न हो। सुकर । अासान । सहल । जैसे,- (शब्द०) । (ख) सीदत साधु साधुता सोचति, बिलसत खल, सीधा काम, सीधा सवाल, सीधा ढग । ७ जो दुर्बोध न हो। हुलसति सलई है। -तुलसी (शब्द०)। जो जल्दी समझ मे आवे । जैसे-सीधी मी बात नहीं समझ सीदी-सज्ञा पु० [देश॰] शक जाति का मनुष्य । मे आती। ८ दहिना । बायाँ का उलटा। जैसे,-सीधा हाथ । सीध-मज्ञा पु० [म०] पालम्य । काहिली । सुस्ती । सीधा-क्रि० वि० ठीक सामने की ओर । सम्मुख । सीद्यमान-वि० [20] दुखी। पीडित । उ०-~साधु सीद्यमान जानि मुहा०-सीधा तीर सा = एकदम सीध मे। रीति पाय दीन की।-तुलसी ग्र०, पृ० २४३ । सीधा-सञ्ज्ञा पु० [म० असिद्ध, सिद्ध] १ विना पका हुआ अन्न । जैसे,- सीध- स्त्री० [हि० मीधा] १ ठीक सामने की स्थिति। सन्मुख विस्तार या लबाई । वह लवाई जो विना कुछ भी इधर उधर दाल, चावल, आटा। २ वह विना पका हुआ अनाज जो ब्राह्मण या पुरोहित आदि को भोजनार्थ दिया जाता जैसे-- मुडे एक तार चली गई हो, जैमे-नाक की सीध मे चले एक सीधा इस ब्राह्मण को भी दे दो। जानो। २ हजुता । सरलता। ३. लक्ष्य । निशाना । मुहा०--धीध बांधना = (१) मडक, क्यारी आदि बनाने मे क्रि० प्र०-छूना ।--देना।--निकालना :-मनसना । पहले रेखा डालना। (२) निशाना साधना। लक्ष्य ठीक सीधापन-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० सीधा + पन (प्रत्य॰)] सीधा होने का करना। भाव । सिधाई । सरलता । भोलापन । सीवा-वि० [८० शुद्ध, बज० सूधा, सूधो] [वि० स्रो० सोधी] १ जो सीधा सादा--वि० [हिं०] भोला ,भाला। जैसे- वह बहुतसीधा बिना कुछ इधर उधर मुडे लगातार किसी ओर चला गया हो। सादा व्यक्ति है।