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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३३०

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सीसा ६०५० सुडा' प्रकार है,-वामुकि एक नाग कन्या को देखकर मोहित हुए थे। सुग राज्य पर कई बार चढाइयां की, पर वे हटा दिए गए। उन्ही के स्खलित वीर्य से इस धातु की उत्पत्ति हुई। यवनो का जो प्रसिद्ध आक्रमण साकेत (अयोध्या) पर हुआ था, पर्या०--सीस । सीसक । गहपदभव । सिंदूरकारण । वर्ध । स्वर्णादि। वह पुष्यमित्र के ही राजत्व काल मे। पुष्यमित्र के समय का यवनेष्ट । सुवर्णक । वध्रक । चिच्चट । जड । भुजगम । अग। उसी के किसी सामत या कर्मचारी का एक शिलालेख अभी कुरग । पिरपिष्टक । बहुमल । चीनपिष्ट । त्रपु। महावल । हाल मे अयोध्या मे मिला है जो अशोक लिपि मे होने पर भी मृदुकृष्णायस । पद्म । तारशुद्धिकर । शिरावृत्त । वयोवग । सस्कृत मे है। यह लेख नागरीप्रचारिणी पत्रिका में प्रकाशित सीमा-सज्ञा पुं॰ [फा० शीशह] दे॰ 'शीशा' । हो चुका है। इसी प्रकार के एक और पुराने लेख का पता सीसी-सज्ञा स्त्री० [अनु॰] १ पीडा या अत्यत आनद के समय मुँह मिला है, पर वह अभी प्राप्त नही हुआ है। इससे जान पडता से सांस खीचने से निकला हुअा शब्द । शीत्कार । सिसकारी। है कि पुष्यमित्न कभी कभी साकेत (अयोध्या) मे भी रहता था उ०-सीसी किए ते सुधा सीसी सी ढरकि जाति--(शब्द०)। और वह उस समय एक समृद्धिशाली नगर था। पुप्यमिन के पुत्र अग्निमित्र ने विदर्भ के राजा को परास्त करके कि० प्र०-करना। दक्षिण मे वरदा नदी तक अपने पिता के राज्य का विस्तार २ शीत के कष्ट के कारण निकला हुआ शब्द । बढाया। जैसा कालिदास के मालविकाग्निमिन्न नाटक से सीसी --सज्ञा स्त्री० [हिं० शीशा] दे० 'शीशी' । प्रकट है, अग्निमित्र ने विदिशा को अपनी राजधानी बनाया था सीसो, सीसो --सज्ञा पुं० [फा० शीशम] दे० 'शीशम' । जो वेत्रवती और विदिशा नदी के सगम पर एक अत्यत सुदर सीसोदिया-सज्ञा पु० [सिसोद (= स्थान)] दे॰ 'सिसोदिया' । पुरी थी। इस पुरी के खंडहर भिलसा (ग्वालियर गज्य मे) से सीसोपधातु-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सिंदूर । ईगुर । थोडी दूर पर दूर तक फले हुए है। चक्रवर्ती सम्राट् बनने की सीसौदिया--सज्ञा पु० [सिसोद स्थान] दे० 'सिसोदिया । कामना से पुष्यमित्र ने इसी समय बडी धूमधाम से अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया। इस यज्ञ के समय महाभाप्यकार सीस्तान--सज्ञा पुं० [फा०] अफगानिस्तान और फारस का मध्यवर्ती पतजलि जी विद्यमान थे। अश्वरक्षा का भार पुष्यमित्र के पौत्र प्रदेश । सीसताण। (अग्निमित्र के पुन ) वसुमित्र को सौंपा गया जिसने सिंधु नदी सीस्मोग्राफ-सज्ञा पुं० [अ०] एक प्रकार का यत्न जिससे भूकप होने का के किनारे यवनो को परास्त किया । पुष्यमित्र के समय मे वैदिक पता लगता है। या ब्राह्मण धर्म का फिर से उत्थान हुआ और बौद्ध धर्म दवने विशेष-इस यत्र से यह मालूम हो जाता है कि भूकप किस दिशा लगा । वौद्ध ग्रथो के अनुसार पुष्यमित्न ने बौद्धो पर बडा अत्या- मे, कितनी दूर पर हुआ है, और उसका वेग हल्का था या चार किया और वे राज्य छोडकर भागने लगे। ईसा से १४८ जोर का। वर्ष पहले पुष्यमित्र की मृत्यु हुई और उसका पुत्र अग्निमित्र सीह'--सञ्ज्ञा स्त्री० [स० सीधु (= मद्य)] महक । गध । सिंहासन पर बैठा । उसके पीछे पुष्यमित्र का भाई सुज्येष्ठ और फिर अग्निमित्र का पुत्र वसुमिन्न गद्दी पर बैठा । फिर धीरे धीरे सीहर--सज्ञा पुं० [देश०] साही नामक जतु । सेही । इस वश का प्रताप घटता गया और वसुदेव ने विश्वासघात सीह-सचा पु० [म० सिंह] दे० 'सिंह' । करके कण्व नामक ब्राह्मण राजवश की प्रतिष्ठा की। सीहगोस-मज्ञा पुं० [फा० सियहगोश] एक प्रकार का जतु जिसके कान सुघनी--सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० सूघना] तबाकू के पत्ते की खूब बारीक काले होते हैं । उ०-केसव सरभ सिंह सीहगोस रोस गति बुकनी जो सूंघी जाती है । हुलास । नस्य । मग्जरोशन । कूकरनि पास ससा सूकर गहाए हैं। केशव (शब्द॰) । कि० प्र०--सूंघना। सीहुड--सशा पुं० [स० सीहुण्ड] सेहुँड का पेड । स्नुही । थूहर । सुघाना--क्रि० स० [हिं० सूंघना का प्रेर० रूप] अाघ्राण कराना । सुन प्रत्य० [प्रा० सुन्तो] दे॰ 'सो' । संघने की क्रिया कराना। सु खड - सज्ञा पुं॰ [देश॰] साधुनो का एक सप्रदाय । सुठि-मज्ञा स्त्री॰ [स० शुण्ठि] दे० 'शुठि', 'सोठ' । सुगवश--सञ्ज्ञा पु० [स० मुडगवश मौर्य वश के अतिम सम्राट् बृहद्रथ के सुड-मञ्ज्ञा पुं॰ [स० शुण्ड] 'शुद्ध', 'सूड' । प्रधान सेनापति पुप्यमिन्न द्वारा प्रतिष्ठित एक प्राचीन राजवश । विशेष--ईसा से १८४ वर्ष पूर्व पुष्यमित्र सुगने बृहद्रथ को मारकर सुडदड-सज्ञा पुं॰ [सं० शुण्डदण्ड] दे० 'शुडादड' । मौर्य साम्राज्य पर अपना अधिकार जमाया। यह राजा वैदिक सुडभुसुड-सज्ञा पुं० [स० शुण्डभुशुण्डि ] हाथी जिमका अस्त्र सूड है। या ब्राह्मण धर्म का पक्का अनुयायी था। जिस समय पुष्यमित्र उ०--चढि चित्रित सुडभुसुड पै, सोभित कचन कुड पैं। नृप मगध के सिंहासन पर बैठा, उस समय साम्राज्य नर्मदा के किनारे सजेउ चलत जदु शुड पै, जिमि गज मृग सिर पुड पै।- तक था और उसके अंतर्गत अाधुनिक विहार, सयुक्त प्रदेश, गोपाल (शब्द०)। मध्य प्रदेश आदि थे। फलिंग के राजा खारवेल्ल तथा पजाब सु डस-सचा पु० [देश॰] लदुए गधे की पीठ पर रखने की गद्दी । और काबुल के यवन (यूनानी) राजा मिनाडर (बौद्ध मिलिंद)ने सुडा'-सज्ञा स्त्री० [हिं० सूड] सूड । शुद्ध । 1