पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३३१

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६०५१ मुधिया सुटा'--मशा पुं० [देश॰] लदुए गधे की पीठ पर रगने को गद्दी सुदरवती--मला नी[म० गुन्दरवती] एक नदी का नाम । या गद्दा। मु दरवन-सज्ञा पुं० [० सुन्दरवन] गगा के डेल्टा मे स्थित वन सुडाल-सज्ञा पुं० [म० शुण्डाल] हाथी। हस्ती। वह जो मूंडवाला जहाँ को भूमि दलदली है। हो। उ०--सुडाल चलत सुडनि उठाद। जिनकै जंजीर झन- सु दराई-मशा जी [हिं० सुदर + आई (प्रत्य०) ३० 'सुदरता' । झनत पाइ।--सूदन (शब्द॰) । मु दरापा- पुं० [सं० सुन्दर, हिं० सुदर + पापा (प्रत्य॰)] सुडाली-मज्ञा स्त्री० [ स० शुण्डाल (= सूंडवाला)] एक प्रकार की सुदरता। मछली। सु दरी'--वि० स्त्री० [स० सुन्दरी] रूपवती । खूबसूरत । सुडोवेंत-मज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का वेंत जो बगाल, आसाम और खसिया की पहाडी पर पाया जाता है। सुंदरी'-सज्ञा सी० १ मुदर स्त्री। २ हलदी। हरिद्रा । ३ एक प्रकार का बडा जगली पेड । सुद-मज्ञा पुं० [स० सुन्द] १ एक वानर का नाम। २ एक राक्षस विशेप--यह पेड सुदर वन मे बहुत होता है। इसकी लकडी का नाम। ३ विप्णु। ४ सह्राद का पुत्र । ५ एक असुर जो निसुद (निकुभ) का पुत्र और उपसु द का भाई था। बहुत मजबूत होती है और नाव, मदूक, मेज, कुरसी आदि सामान बनाने के काम मे पाती और इमारतो मे भी लगती विशेप-सुद और उपसुद दोनो बडे बलवान असुर थे। इन्होने है । यह पेड खारे पानी के पाम उग सकता है, मीठा पानी ब्रह्मा से यह वर प्राप्त किया था कि वे तब तक मर नही सकते पाने से सूख जाता है। जव तक दोनो भाई परस्पर एक दूसरे को न मारे | इस तरह ४ त्रिपुरसुदरी देवी । ५ एक योगिनी का नाम। ६ सवैया नामक इन्हें कोई हरा नही सकता था । इद्र द्वारा भेजी गई तिलोत्तमा छद का एक भेद जिसमे आठ सगरण और एक गुरु होता है। नाम की अप्सरा के लिये अतत दोनो आपस मे ही लडकर उ०-सव सो गाह पानि मिले रघुनदन भेटि कियो सबको मर गए थे। सुखभागी। यहि औसर की हर सुदरि मूरति राखि जपं हिय सुदरमन्य--सशा पु० [स० सुन्दरम्मन्य] जो अपने को सुदर मानता मे अनुरागी।-छद ०, पृ० २४७ । ७ बारह अक्षरों का एक या समझता हो। वर्णवृत्त जिसमे एक नगण, दो भगण और एक रगण होता है । सु दर-वि० [स० सुन्दर] [वि० स्त्री० सुदरी] १ जो देखने में अच्छा द्रुतविलवित । ८, तेईस अक्षरो की एक वर्णवृत्ति जिसमे कमश लगे। प्रियदर्शन । रूपवान। शोभन । रुचिर। खूबसूरत । दो सगरण, एक मगरण, एक सगण, एक नगण, दो जगण और मनोहर । मनोज्ञ । २ अच्छा । भला। वढिया। श्रेष्ठ । शुभ । एक लघु तथा एक एक गुरु होता है। छदप्रभाकर मे इगे जैसे,—सुदर मूहूर्त । 'सुदर' कहा है। उ०-सस भा स तजो जो लगि सवि। सुदर-सज्ञा पु० १ एक प्रकार का पेड । २ कामदेव । ३ एक नाग ढूढी कुजगली विधुरी हरि सों'।-छद ०, पृ० २३७ । ६ का नाम । ४ लका का एक पर्वत । ५ एक छद । एक प्रकार की मछली। १०. माल्यवान राक्षस की पत्नी सु दरई--सञ्ज्ञा सी० [हिं० सुदर+ ई (प्रत्य॰)] सौदर्य । सुदरता । जो नर्मदा नामक गधी की कन्या थी। ११ श्वफरक की कन्या उ०--रोझे स्याम देखि वा मुख पर छवि मुख सुदरई।- का नाम (को०) । १२ वैश्वानर को एक दुहिता (को॰) । सूर० (राधा०), १९७६ । सु दरी'-शा स्त्री० [?] सितार, इसराज आदि मे लगे वे लोहे या सु दरक--सञ्ज्ञा पु० [सं० सुन्दरक] १ एक तीर्थ का नाम । २ एक पीतल के परदे जो विभिन्न स्वरो के स्थान होते है। हद का नाम। सु दरीमदिर-सज्ञा पुं॰ [सं० सुन्दरीमन्दिर] प्रत पुर । जनानयाना [को०। सु दरकाड--सशा पुं० [स० सुन्दरकाण्ड] १ रामायण के पांचवें काड सु दरेश्वर-सज्ञा पुं० [० सुन्दरेश्वर शिव जी की एक मूर्ति । का नाम जो लका के सुदर पर्वत के नाम पर रखा गया है। सु दोपमुद -सा पुं० [सं० सुन्दोपसुन्द] निसुद (निकुभ) नामक २ सुदर सुडील काड या पर्व (को०)। दैत्य के दोनो पुत्र सुद पार उपसुद । विशेप ८० 'मुद' । सुदरता-संज्ञा सा॰ [स० सुन्दरता] सुदर होने का भाव । सौदर्य । खूबसूरती। रूपलावण्य । -उ०-सुदरता कहु सुदर करई। यौ०-सुदोपसुद न्याय = एक न्याय । दे० 'न्याय' शब्द के अतर्गत १०५ वा न्याय । छविगृह दीपसिखा जनु वरई।-मानस, १२३० । सु दरोदन--सरा ० [सं० सुन्दर + प्रोदन] अच्छा भात । अन्छी तरह सुदरताईए-नशा सी० [सं० सुन्दरता] दे० 'सुदरता' । उ०—(क) पका हुआ चावल। हम मरि जन्म सुनहु सब भाई । दखी नहि असि सुदरताई।- राम०, पृ० ३६३ । (ख) अग विलाकि त्रिलोक मे ऐसी को सुधाई - जा रही० [हिं० सोधा + पाई (प्रत्य)] ३० 'सुंधावट । नारि निहारिन नार नवाई। मूरतिवत शृगार समीप शृगार सुंबापट-मा सी० [स० गुगन्ध, हि० सोपा + प्रावट (प्रत्य॰)] फिए जानो सुदरताई। कशव (शब्द॰) । माधे हाने का माय । माधापन । माधी महक । सुदरत्य- पुं० [सं० सुन्दरत्व] सुदरता। सौदर्य । सँघिया-सजा सा० [हि नाधा+इया (प्रत्य॰)] १ एक प्रकार को