पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३३९

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सुखच्छाय ६०५६ सुखदुख सुखदाइन-वि० [म० सुखदायिनी] दे० 'सुखदायिनी' । उ०- मुखच्छाय-वि० [स०] शीतल छाया देनेवाला। सुखद छायावाला । पाइ हती अन्हवावन नाइनि, सोधो लिए कर सूधे सुभाइनि । सुखच्छेद्य-वि० [स०] सरलता से छेदने या काटने योग्य । कचुकि छोरि उतै उपटैबै को ईगुर से अंग की सुखदाइनि।- सुखजनक-वि० [स०] सुखदायक । आनददायक । सुखद । दे० (शब्द॰) । मुखजननिल, सुखजननी-वि० [म.] सुख उपजानेवाली। सुख देने- सुखदाई-वि० [स० सुखदायिन्] दे॰ 'सुखदायी'। वाली। उ०--मदन जीविका सुखजननि मनमोहनी विलास । सुखदात -वि॰ [स० सुखदातृ] दे० 'सुखदाता' । उ०-जो सब निपट कृपाणी कपट की रति शोभा मुखवास । -केशव देव को देव अहै, द्विजभक्ति मे जाकी धनी निपुणाई । दासन (शब्द०)। को सिगरो सुखदात प्रशात स्वरूप मनोहरताई।-रघुराज सुखजात--वि० [म०] १ सुखी। प्रसन्न २. जो सुख से जात या (शब्द०)। उत्पन्न हो। मुखदाता--वि० [स० सुखदातृ] सुख देनेवाला। आनद देनेवाला। सुखज्ञ--वि० [स० सुख+ज्ञ] सुख का जाननेवाला । सुख का ज्ञाता। आराम देनेवाला। सुखद । उ०--सुखदाता मातापिता सेवक उ०-जागरत भाखि सुप्त सुखमाभिलाख जे सुखज्ञ सुखभापी सरन सधार। उपवन बैठे चद जहँ द्वै पचास पधार ।-पृ० हूँ तुरीयमय माने हैं। गुणत्रय भेद के अवस्था त्रय खेदहू के रा०,६३२। लच्छन के लच्छ ते बिलच्छन बखाने है।--चरणचद्रिका सुखदान-वि० [स० सुख + देना] [स्त्री० सुखदानी] सुख देनेवाला । (शब्द०)। आनद देनेवाला । उ०-(क) खेलति है गुडियान को खेल लए सुखडैना--तज्ञा पु० [हिं० सूखना + डैना (प्रत्य॰)] वैलो का एक सँग मै सजनी सुखदान री।-सुदरीसर्वस्व (शब्द॰) । (ख) प्रकार का रोग जो उनका तालू खुल या फूट जाने से होता है। जब तुम फूलन के दिवस आवत है सुखदान । फूली अग समाति इसमे बैल खाना पीना छोड देता है जिससे वह बहुत दुवला नहिं उत्सव करति महान । -लक्ष्मणसिंह (शब्द०)। हो जाता है। सुखदानो' -वि॰ स्त्री० [हिं० सुखदान] सुख देनेवाली । पानद देनेवाली। सुखढरन-वि० [स० सुख + हिं० ढलना] सुख देनेवाला। सुख- सुखदानो--सज्ञा स्त्री० एक प्रकार का वृत्त जिसके प्रत्येक चरण मे ८ सगण और १ गुरु होता है। इसे सुदरी, मल्ली और चद्रकला दायक। उ---सज्जन सुखढरन भक्तजन कठाभरन ।-सर- स्वती (शब्द०)। भी कहते है। सुखतला, सुखतल्ला-सज्ञा पु० [हिं० सुखतला] चमडे का वह टुकडाजो सुखदाय -वि० [स० सुखदायक दे० 'सुखदायक'। जूते के भीतर चिपकाया जाता है जिससे तलवे को पाराम मिले। सुखदायक'-वि० [सं०] सुख देनेवाला। आराम देनेवाला। सुखद । सुखता--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] सुख का भाव या धर्म । सुखत्व । सुखदायक'-सज्ञा पु० एक प्रकार का छद । सुखत्व-सज्ञा पु० [सं०] दे॰ 'सुखता' । सुखदायिनी'--वि० स्त्री० [सं०] सुख देनेवाली । सुखदा। सुखथर-सझा पु० [स० सुख + स्थल] सुख का स्थल । सुख देने- सुखदायिनी--सज्ञा स्त्रो० मासरोहिणी नाम को लता। रोहिणी । वाला स्थान । उ.--निपट भिन्न वा सव सो जो पहले हो सुखदायी-वि० [स० सुखदायिन्] [वि० सा० सुखदायिनी] सुख देने- सुखथर । विविध नास सो पूरित हे वे भूमि भयकर ।--श्रीधर वाला । मानद देनेवाला । सुखद । पाठक (शब्द०)। सुखदायो-वि॰ [स० सुखदायक] दे॰ 'सुखदायी'। उ०--देखि सुखद-वि० [स०][वि० सी० सुखदा] सुख देनेवाला । आनद देनेवाला। श्याम मन हरष वढाया। तेंसिय शरद चादिनी निर्मल तैसोइ रास रग उपजायो। तसिय कनकवरन सब सुदरि यह साभा सुखदायो । बारामदेह । पर मन ललचायो। तैसो हससुता पवित्न तट तैसोइ कल्पवृक्ष सुखद'--सञ्ज्ञा पु० १ विष्णु का स्यान । विष्णु का आसन। २ विष्णु । ३ सगीत में एक प्रकार का ताल । सुखदायो।-सूर (शब्द॰) । सुखदगीत--वि० [५० सुखद + गात] [वि० सो० सुखदगीता] जिसकी सखदावा-- दे० [स० सुखदायक] दे० 'सुखदायो'। उ० -जल दल चदन चक्रदर घट शिला हरि ताव । अष्ट वस्तु मिलि होत है बहुत अाधक प्रशसा हा । प्रशसनाय । उ०--जनक सुखदगाता पुत्रिका पाय साता ।-केशव (शब्द॰) । चरणामृत सुखदाव । -विश्राम (शब्द॰) । सुखदनियों पी-वि० [स० सुखदानो] दे॰ 'सुखदायी' । उ०—सुदर सुखदास-सञ्ज्ञा पु० [देश॰] एक प्रकार का धान जो अगहन महीने मे तैयार होता है और जिसका चावल वरसो तक रह सकता स्याम सरोजवरन तन सब अँग सुभग सकल सुखदनियाँ।- तुलसी (शब्द॰) । सुखदुःख --सञ्ज्ञा पु० [स०] आराम और कष्ट। सुख और दुख का जोडा। द्वद । २ भले और बुरे समय का क्रम । भाग्य सुखदा'--वि० स्त्री० [०] सुख देनेवाली। आनद प्रदान करनेवाली । और अभाग्य। सुखदायिनी। सुखदा'- ज्ञा स्त्री० १ गगा का एक नाम । २ अप्सरा। ३ शमी मुहा०-सुखदु ख का साथी = भले और बुरे मे बरावर साथ देनेवाला। वृक्ष । ४ एक प्रकार का छद ।