पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६०६० सुखदृश्य सुखमानी सुखदृश्य - वि० [स०] जिसे देखने को जी चाहे। सुदर [को०] । सुखप्रबोधक-वि० [सं०] सुवोध । मरलता से बोध होनेवाला। सुखदेनी - वि० [स० सुखदायिनी] दे० 'सुखदायिनी' । उ०-राजत सुखप्रविचार--वि० [म०] सरलता से ग्रहण कग्ने योग्य किो०] । रोमन की तन राजिव है रमवीज नदी मुखदेनी। आगे भई सुखप्रवेय--वि० [म०] जिमे प्रामानी मे कपित किया जा सके। प्रतिबिवित पाछे विलवित जो मृगनैनी कि वेनी।-सुदरी (वृक्ष आदि) जो प्रामानी से हिल सके । मर्वस्व (शब्द०)। सुखप्रश्न--मा पु० [सं०] कुशलक्षेम की जिनामा। कुशल समाचार सुखदैन - वि० [हिं० सुख + देना] दे० 'सुखदायी,' 'सुखदान' । पूछना [को०] । उ०-जियके मन मजु मनोरथ यानि कहै हनुमान जगे पै जगे। सुखप्रसव, सुखप्रमवन सग पुं० [स०] पिना कप्ट के होनवाला मुखदैन सरोज कली से भले उभरै ये उरोज लगे पै लगे।- प्रसव किो०] । सुदरीसर्वस्व (शब्द०)। सुखप्रसवा'-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] सुख मे प्रसव करनेवाली गौ, स्वी सुखदैनी-वि० [स० सुखदायिनी] सुख देनेवाली । आनद देनेवाली। आदि । पागम से जननेवाली स्त्री। सुखद । उ०-- भाल गुही गुन लाल लटै लपटी लर मोतिन की सुखप्रसवा-वि० स्त्री० सुखपूर्वक जनन करनेवाली (गाय, म्बी)। सुखदैनी। केशव सुखप्राप्त-वि० [सं०] १ जिसे मुख प्राप्त हो। २ जो मुग्न से लभ्य हो । मुखदोहा--सज्ञा स्त्री० [सं०] वह गाय जो मुखपूर्वक दूही जाय [को०] । सुखप्राप्य वि० [स०] सुख मे प्राप्त करने योग्य । सरलता से मिल मुखदोह्या--सज्ञा स्त्री० [स०] वह गाय जिसको दुहने मे किसी प्रकार जानेवाला (को०]। का कष्ट न हो। बहुत सहज मे दूही जा मकनेवाली गौ। सुखबधन-वि० [सं० सुखवन्धन] सुखो से अावद । विलामी [को०] । सुखधाम--सग पु० [म०] १ सुख का घर। अानदसदन । उ०-- सुखवद्ध-वि० [सं०] सुदर [को०] । सो सुखधाम राम अस नामा।--मानस, १। २ वह जो स्वय सुखबोध-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ आनद की अनुभूति । २ महज ज्ञान । सुखमय हो, या जो बहुत अधिक सुख देनेवाना हो। ३ सुगम ज्ञान (को०] 1 वैकुठ । स्वर्ग। सुखभज--सच्चा पु० [स० सुखभञ्ज] सफेद मिर्च । सुखन--सज्ञा पुं० [अ० सुखन] दे० 'मखुन'। (सुखन शब्द के मुहा० सुखभक्ष-सज्ञा पु० [स०] सफेद सहिजन । श्वेत शिनु । और यौ० के लिये दे० 'सखुन' शब्द के मुहा० और यौ०) । सुखभक्षिकाकार--मशा पु० [स०] कादविक । हलवाई [को०। सुखना--क्रि० अ० [हिं० सूखना] दे० सूखना' । सुखभाक्, सुखभाग वि० [स० सुखभागिन्] प्रसन्न (को०] । सुखनीय--वि० [सं०] मुखद । आनदप्रद [को॰] । सुखभागी--वि० [सं० सुख भागिन्] दे० 'सुखभाग्' । सुखपर--वि० [स०] १ मुखी । सुश । प्रमन्न । २ मुख चाहने वाला। सुखभुक - वि० [स० सुखभुज्] १ प्रसन्न । सुखी । हर्पित । २ मान्य- शाली [को०] । पारामतलब। सुखपाल-सञ्ज्ञा पुं० [स० सुख + पाल (को)] एक प्रकार की पालकी सखभेद्य-वि० [स०] जो सरलता से तोडा या भेदा जा सके । कोमल । जिसका ऊपरी भाग शिवाले के शिखर का सा होता है। भगुर [को०] । उ०--(क) सुखपाल और चडोलो पर और रथो पर जितनी सुखभोग-सञ्ज्ञा पुं० [०] सुख का उपभोग। आनदभोग (को॰) । रानियाँ और महारानी लक्ष्मीवास पीछे चली प्राती थी।-- सुखभोगी--वि० [स० सुखभोगिन्] सुख भोगनेवाला (को०] । शिवप्रसाद (शब्द॰) । (ख) घोडन के रथ दोइ दिए जरवाफ सुखभोग्य--सञ्ज्ञा पुं० [स०] जिसका भोग मुखपूवक हो सके [को०] । मढी सुखणल सुहाई।--रघुनाथ (शब्द॰) । (ग) हम सुख- सुखमद---वि० [सं०] जिसका मद सुखद हो किो०] । पाल लिए खडे हाजिर लगन कहार । पहुँचायो मन मजिल तक तुहिं ले प्रान अधार । --रतनहजारा (शब्द॰) । सुखमन-सज्ञा स्त्री॰ [स० सुपुम्ना] सुपुम्ना नाम की नाडी। मध्यनाडी। विशेप दे० 'सुपुम्ना'। उ०--कहाँ पिंगला सुख- सुखपूर्वक--क्रि० वि० [सं०] सुख से। आनद से। आगम के साय । मन नारी । सूनि समाधि लागि गइ तारी ।--जायसी मजे मे । जैसे,—आप यदि उनके यहाँ पहुँच जायेंगे तो बहुत (णन्द०)। मुखपूर्वक रहेगे। सुखमा--मज्ञा सी० [स० मुपमा] १ शोभा। छवि । उ०--तिय मुख सुखपेय-वि० [०] जिसके पीने मे सुख हो। जिसके पान करने से मुखमा सो दृगनि वाँध्यो प्रेम अधार । रही अलक ह लगी आनद मिले । मुपेय। मनु वटुरी पुतरी तार |--मुबारक (शब्द॰) । २ एक प्रकार सुखप्रपाद--वि० [स०] सुखद ध्वनि या नादवाना (को॰] । का वृत्त जिसमे एक तगण, एक यगण, एक मगण और एक सुखप्रतीक्ष-वि० [स०] सुख की प्रतीक्षा करने, राह देखने या प्राशा गुरु होता है । इसे वामा भी कहते है । करनेवाला [को०] । सुखमानी--वि० [स० सुखमानिन्] सुख माननेवाला । हर अवस्था मे सुखप्रद--वि० [सं०] सुख देनेवाला । सुखदायक । मुखद । सुखी रहनेवाला।