पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३६७

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सुन्न' मर्यादा। सुनियम ६०८७ सुनियम-सज्ञा पुं० [सं०] अच्छी व्यवस्था । उत्तम नियम या विशेष-गिरगण मे लिखा है कि राजा उत्तानपाद की दो पत्नियां था सुनीति और सुरुचि । सुरुचि को राजा बहत चाहता था और मुनीति से बहुत घृणा करता था। सुनीति सुनियाना क्रि० अ० [हिं० सुन्न + इयाना (प्रत्य॰)] (फसल का) को 'ध्रुव' नामक एक पुत्र हुआ जिसने तप द्वारा भगवान् को रोग से मूख जाना या माग जाना (ग्हेलखड) । प्रसन्न कर राजसिंहासन प्राप्त किया। विशेप दे० 'ध्रुव' । सुनिरहन सज्ञा पुं० [स०] वैद्यक के अनुमार एक प्रकार का सुनीत २- सज्ञा पुं० १ शिव । २ विदूरथ का एक पुत्र । वस्तिकर्म । सुनिरूढ वि० [सं०] जिसे अोपधि से अच्छी तरह रेचन कराया गया सुनीत'-पि० अच्छ' नीतिज्ञ या नीतियुक्त किो]। हो [को० । सुनीथ' सज्ञा पुं॰ [• १ कृष्ण का एक पुत्र । २ सतति का पुन । सुनिरूहए-सज्ञा पु० [स०] उत्तम जुलाब या रेचन। दे० 'सुनि- ३ सुर्पण का एक पुत्र । ४ सुवल का एक पुत्र । ५ शिशुपाल का एक नाम । ६ एक दानव का नाम। ७ एक प्रकार का रुहन'। वृत्त । ८ ब्राह्मण (को०)। सुनिणिवत-वि० [म०] सम्यक् परिष्कार किया हुआ। अच्छी तरह सुनीथ' वि० न्यायपरायण । नीतिमान् । प्रमृष्ट [को०]। सुनीथा-सज्ञा स्त्री० [स०] मृत्यु की पुत्री और अग की पत्नी । सुनिर्याप-सज्ञा पुं० [म०] लिगिनी नामक वृक्ष । सुनीन:--सज्ञा पुं॰ [स०] १ अनार का पेड। दाडिम वृक्ष। २ सुनिर्यापा-सज्ञा स्त्री० [सं०] जिगिनी वृक्ष । विशेष दे० लामज्जक। लाल कमल । 'जिगिन' [को०] 1 सुनील' ---वि० अत्यत नील वर्ण बहुत नील रग । सुनिश्चय सज्ञा पुं॰ [स०] १ अच्छा निश्चय । २ दृढ निश्चय सुनीलक-सज्ञा पुं० [सं०] १ नील भ गराज । काला भंगग। २ सुनिश्चल'-सज्ञा पुं० [सं०] शिव का एक नाम किो०] । नीलकात मणि। नीलम। ३ पियासाल का वृक्ष । नीला- सुनिश्चल' वि० अचल। अटल [को॰] । सन (को०)। सुनिश्चित'- सज्ञा पुं॰ [स०] एक बुद्ध का नाम । सुनीला-सज्ञा स्त्री० [स०] १ चरिणका तृण। चनिका घास । २ सुनिश्चित-वि० दृढता से निश्चय किया हुआ। भली भांति निश्चित नीलापराजिता। नीली अपराजिता। नीली कोयल । अतसी। अलसी। तीसी। सुतु-सचा पु० [सं०] जल । सुनिश्चितपुर-सज्ञा पुं॰ [स०] काश्मीर का एक प्राचीन नगर । सुनिषएए-मज्ञा पुं० [स०] चौपतिया या सुसना नाम का साग । सुनेत्र' -----सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । २ तेरहवें मनु शिपियारी। उटगन। का एक पुत्र । ३ वौद्धो के अनुसार मार का एक पुत्र । ४ चक्रवाक | चकवा। विशेष-कहते है, यह साग खाने से अच्छी नीद आती है, सुनेत्र'-वि० [वि॰ स्त्री० सुनेत्रा] सु दर नेनोवाला। सुलोचन । इसी से इसका नाम सुनिषण्ण (जिससे अच्छी नीद आवे) सुनेत्रा'--सज्ञा स्त्री० [स०] साख्य के अनुसार नौ तुष्टियो मे से एक । पडा है। सुनेत्रा'-- वि० स्रो० सुदर नेत्रोवाली । मुलोचना। सुनिषण्एक - राज्ञा पुं० [स०] दे० 'सुनिपराण' । मुनया--वि० [हिं० सुनना + ऐया (प्रत्य॰)] १ सुननेवाला। जो सुनिष्टप्त-वि० [म०] १ जो खूब निष्टप्त किया गया हो। अच्छी सुने। उ०-द्रौपदी विचार रघुराज अाज जाति लाज सब हैं तरह तपाया या गलाया हुया । २ ख्व पकाया हुआ [को०] । घरैया पै न टेर को सुनया है।-रघुराज (शब्द०)। २ सुनिस्त्रिस-सज्ञा पुं॰ [स०) तेज धारवाली तलवार । सुनानेवाला। सुनीच - सज्ञा पुं० [०] ज्योतिष के अनुसार किमी ग्रह का किसी सुनोची-सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का घोडा। उ०—जरदा श्री राशि के किसी विशेष अश मे अवस्थान । जैसे,-रवि यदि जाग जिरही से जग जाहर, जवाहर हुकुम सी जवाहर झलक मेष और तुला राशि मे हो तो नीचस्थ कहलाता है, और इसी के। मगसी मुजनस सुनोची स्यामकर्न स्याह, सिरगा सजाए तुला राशि के किसी विशेष अश मे पहुँच जाने पर 'सुनीच' । जे न मदिर अलक के |-सूदन (शब्द॰) । सुनीत'. - सज्ञा पु० [सं०] १ वृद्धिमत्ता। समझदागे। २ नीतिमत्ता। सुनौ'-सशा श्री० [स०] अच्छी नौका या नाव । ३ शिष्टता । विनम्रता (को०)। ४ एक राजा का नाम जो सुनौ-सञ्ज्ञा पु० १ जल । २ वह जिमके पाम अच्छी नौका हो [को०] । सुबल का पुन था। सुनीत'-वि० भद्र। शिष्ट । विनम्र 'कोला । सुन्न'-वि० [सं० शून्य, प्रा० सुन्न निर्जीव । स्पदनहीन। निस्तब्ध । जडवत् । निश्चेष्ट । निश्चल । जैसे,-ठह के मारे उसके हाथ सुनीति'-मद्या स्त्री० [सं०] १ उत्तम नीति । २ राजा उत्तानपाद की पर सुन्न हो गए। उ०-(क) यह बात सुनकर भाग्यवती सुन्न पत्नी और ध्रुव की माता। सी हो गई।-श्रद्धाराम (शब्द०)। (ख) तहाँ लगी विरहागि किया हुआ।