पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३७२

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सुपेशस् ६०६२ सुप्रतिष्ठ सुपेशस्-वि० [स०] सलोना । अत्यत सुदर [को०] । सुप्तस्थित-वि० [सं०] दे० 'मुप्नस्थ' । सुपैदा-सज्ञा पु० [फा० सुफैदह] दे० 'सफेदा' । सुप्ताग-सशा ५० [स० सुप्ताडग] वह अग जिममे चेप्टा न हो। सुपोष-वि० [सं०] जो सुगमता से पालने पोमने योग्य हो [फो०] । निश्चेप्ट अग। सुप्त'-वि० [सं०] १ सोया हुआ । निद्रित । गयित । २ सोने के सुप्तागता-सा स्रो० [स० मुप्ताहगता] मुप्नाग या भाव । अगो की निश्चेप्टता। लिये रोटा हुआ। ३ ठिठुरा हुआ। ४ बद । मंदा हुआ। मुद्रित । जैसे-फूल । ५ अकमण्य । बेकार । ६ मुस्त । ७ सुप्ति- -- सधा जी० [सं०] १ निद्रा। नीद । २ निदास । उँघाई। सुन्न । सज्ञा रहित (को०)। ८ अविकसित । जिमका विकास न श्रग की निश्चेष्टता। मुजागता । ८ प्रत्यय । विण्याम । एत- हुअा हो । जैसे, शक्ति (को०)। बार । ५ मपना। स्वप्न (को॰) । सुप्त-सञ्ज्ञा पु० गहरी नीद । गाडी निद्रा। सुप्तोत्थित-वि० [सं०] निद्रा में जागरित । जो अभी अभी मोकर उठा हो। सुप्तक-सज्ञा पु० [स०] निद्रा । नीद । सुप्रकाश-वि० [सं०] १ अत्यत प्रकाशित । २ अत्यत गोचर। प्रत्यक्ष। सुप्तघातक-वि० [स०] १ निद्रित अवस्था मे हनन या वध करने- ३ विख्यात । प्रसिद्ध किो०)। वाला । २ हिंस्र । खूखार। सुप्रकेत--वि० [सं०] १ ज्ञानवान् । बुद्धिमान । २ जो प्रत्यन माव- सुप्तधन'--सज्ञा पु० [स०] एक राक्षम का नाम । धान हो (को०)। सुप्तघ्न-वि० दे० 'सुप्तघातक' । सुप्रचार-वि० [सं०] १ उचित मार्ग पर चलनेवाना। २ मला सुप्तच्युत-वि० [स०] जो नीद के कारण नीचे गिर पडा हो (को० । दिखाई पडनेवाला फिो०। सुप्तजन- सज्ञा पु० [स०] १ अर्धरात्रि (इस समय प्राय लोग सोए सुप्रचेता--वि० [स० सुप्रचेतम्] बहुत बुद्धिमान् । बहुत मम मदार । रहते है) । २ सुप्त आदमी । सोया हुअा आदमी (को०) । सुप्रज वि० [स० दे० 'मुप्रजा' । सुप्तज्ञान- सज्ञा पुं० [म.] स्वप्न । सुप्रजा'-वि० [स० मुप्रजस्] उत्तम और बहुत मतान ने युक्त। विशेष-निद्वितावस्था मे जो स्वप्न दिखाई देता है वह जाग्रत उत्तम और अधिक मतानवाला। अवस्था के समान ही जान पडता है, इसी मे उमे मुप्तज्ञान सुप्रजा'--सा सी० १ उत्तम सतान। अच्छी प्रौलाद । २ उत्तम कहते है। प्रजा । अच्छी रियाया। सुप्तता-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ सुप्त होने का भाव । २ निद्रा। नीद । सुप्रजात-वि० [स०] बहुत सी मतानोवाला। जिसके बहुत मे बाल- सुप्तत्व-सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'सुप्तता' । बच्चे हो। सुप्तत्वक् -वि॰ [सं० सुप्तत्वच्] जिसके अग सुन्न हो । जिसे लकवा सुप्रज्ञ-वि० [सं०] बहुत बुद्धिमान् । मार गया हो [को०)। सुप्रज्ञान-वि० [स०] जिसका प्रज्ञान या बोध सरलता से हो म [को०] । सुप्तप्रवुद्ध-वि० [स०] जो अभी सोकर उठा हो। सुप्रतर-वि० [स०] सहज मे पार होने योग्य (नदी आदि)। सुप्तप्रलपित-सञ्ज्ञा पु० [स०] निद्रितावस्था में होनेवाला प्रलाप। सुप्रतर्क-सञ्ज्ञा पुं० [स०] युक्तियुक्त एव प्रौढ विचार [को०] । सोए सोए बकना या वर्राना। सुप्रतर्दन-सशा [स०] एक राजा । सप्तमास-वि० [स०] सज्ञाशून्य । चेतनाशून्य । मुन्न । निश्चेष्ट । सुप्रतार-वि० [स०] दे० 'सुप्रतर। सुप्तमाली-सञ्ज्ञा पुं० [स० सुप्तमालिन्] पुराणानुसार तेईसवें कल्प सुप्रतिकार-वि० [स०] जिमका सरलता से प्रतिकार हो सके (फो०] । सुप्रतिज्ञ-वि० [सं०] जो अपनी प्रतिज्ञा से न हटे । तज्ञ । सुप्तमीन--वि० [सं०] तालाब जिसमे मछलियाँ सोई हो [को०) । सुप्रतिपन्न-वि० [स०] मदाचारी । धार्मिक (को०] । सुप्तवाक्य-सञ्ज्ञा पु० [स०] निद्रित अवस्था मे कहे हुए शब्द सुप्रतिभ-वि० [स०] प्रतिभासपन्न । प्रखर प्रतिभावाला। सुप्रतिभा-सशा सी० [म०] १ मदिरा । मद्य । शराब । २ अच्छी या सुप्तविग्रह-वि० [स०] १ निद्रित । सोया हुया । २ जिसका विग्रह मुदर प्रतिभा (को०)। या शरीर निद्रा की तरह हो । कृष्ण के लिये प्रयुक्त विशे- सुप्रतिम-सशा पुं० [स०] एक राजा का नाम । पण (को०] । सुप्रतिष्ठ-वि० [स०] १ उत्तम प्रतिष्ठावाला। जिमकी लोग खूब प्रतिष्ठा या आदर समान करते हो। २ बहुत प्रसिद्ध । सुवि- सुप्तविज्ञान-सज्ञ' पु० [सं०] स्वप्न । सुपना । ख्वाव । ख्यात । मशहूर । ३ सुदर टांगो या परोवाला। ४ दृढता से सुप्तविनिद्रक-वि० [स०] निद्रा त्याग करनेवाला। जाग्रत होने स्थित रहनेवाला (को०)। वाला। जागनेवाला [को॰] । सुप्रतिष्ठ- सज्ञा पुं० १ सेना की एक प्रकार की व्यूहरचना। २. सुप्तस्थ-वि० [स०] निद्रित । सोया हुआ। एक प्रकार की समाधि । (बौद्ध)। का नाम। या वाक्य।