पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३७३

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सुप्रतिठा ६०६३ सुप्रमत्र गुप्रतिष्ठा- सी० [स०] १ एक वृत्त जिमके प्रत्येक चरण मे पांच सुप्रभा'-संशरसी [म०] १ पानी। मामाजी। • अनि की वण होते है। इनमे मे तीसरा और पांचवां गुरु तथा पहला, मात जिहाना में एक की माता नाम । दूमरा और चौथा वर्ण लघु होता है। २ मदिर या प्रतिमा ४ मात मरस्यनिया में से एक ।” मुकर प्रमाग । यादि की स्थापना। ३ स्कद की एक मातृका का नाम। ४ मुप्रभा-सा पुं० एक वप का नाम जिनो देवना सुप्रभ माने अभिषेक । ५ उत्तम स्थिति । ६ सुनाम । प्रसिद्धि । शोहरत । जाते है। ७ उत्तम प्रतिष्ठा । स्थापना। सुप्रभात-TI पुं० [म०] १ सदर प्रभान पा प्रत मान । २ मगन- गुप्रतिष्ठित'-वि० [म.] १ उत्तम रूप मे प्रतिष्ठित । २ दृढतापूर्वक स्चक प्रभात । ३ प्रात पाल पढा जानेवानाम्नोत्र । स्थित या स्थापित (को०)। मनर गोवाला। ३ अभिपिक्त सुप्रभाता--मजा झी [म.] १ पुगग्गानमार एक नदी TT नाम । (को०)। ८ विख्यात । प्रसिद्ध (को०)। २ वह गत जिमका प्रभान मुदर हो । मुप्रतिष्ठित'-सामा पु० १ गूलर । उदुपर। २ एक प्रकार की समाधि । सुप्रभाव- पुं० [३०] १ जिसमे नव प्रकार की क्तियाँ हो । ३ ए देवपुत्र (को०)। सर्वशक्तिमान् । २ मवमाम- । अनतशक्तियुक्त हाना । नव- शस्तिता (को०)। गुप्रतिष्ठितचरण-मज्ञा पु० [म०] एक प्रकार की समाधि । गुप्रति- प्ठित समाधि। सप्रमय-वि० [सं०] जो राग्लता मे मापा जा सके । जो मरलतापूर्वक मापने योग्य हो। सुप्रतिष्ठितचरित्र-मज्ञा पुं० [२०] एक बोधिसत्व का नाम । सुप्रमाण-वि० [म०] वडे ग्राकार का। विशान [को०)। सुप्रतिष्टिता-मजा नी[स०] एक अप्सरा का नाम । सुप्रयुक्त-वि० [म०] १ सुपठिन । २ सुदर ढग से चनाया हुगा । सुप्रतिष्टितासन-सरा पुं० [सं०] ममाधि का एक भेद । मुचालित । ३ सुविचारित योजनावाला ( पठ्यत्र प्रादि)। सुप्रतिप्पात-वि० [सं०] १ मिमी विषय का अच्छा जानकार या ४ जो सुव्यवस्थित हो। ५ भली प्रकार नवद (को०] । पटित । निष्णात । २ जिसकी यूब ऊहापोह की गई हो । सुप्रयुक्तशर-मज्ञा पुं० [स०] वह जो वारण चलाने मे सिद्धहम्न हो। पालोचित। सुनिश्चित । ३ सुस्नात। भली प्रकार शुद्ध अच्छा धनुधर। किया हुया। सुप्रयोग'-सा पुं० [म.] १ सदर प्रबध । उत्तम व्यवस्था । २ सुप्रतीक'- सा पुं० [सं०] १ शिव । २ कामदेव । ३ ईशान कोण का उत्तम उपयोग करना। अच्छे ढग मे काम में लाना। ३ निपट दिग्गज । ४ विश्वमनीय व्यक्ति (को०)। ५ एक यक्ष (को०)। सपर्क । ४ दक्षता । निपुणता । पाटव (को०)। सुप्रतीक'-पि० १ सुरुप । सुदर । खूबसूरत । २ साधु । सज्जन। सुप्रयोग'-वि० १ जिसका प्रयोग या अभिनय अच्छे ढग से हो । ३ सुदर स्कधवाला (को०)। २ जो ठीक ढग से प्रयुक्त किया गया हो। सुप्रतीकिनी-सशा नी० [स०] सुप्रतीक नामक दिग्गज की स्त्री। सुप्रयोगविशिख-ससा पुं० [म०] २० 'मुप्रयुक्नगर' । सुप्रददि-वि॰ [म०] बहुत उदार । वडा दानी । दाता । सुप्रयोगा-सजा रनो० [०] वायु पुराण के अनुसार दाक्षिणात्य को एक नदी का नाम । सुप्रदर्श-वि० [सं०] जो देगने मे सुदर हो। प्रियदर्शन । खूबसूरत । सुप्रलभ-वि० [म० सुप्रलम्भ] १ जा अनायास प्राप्त किया जा सके। सुप्रदोहा-वि० [स०] महज मे दही जानेवाली (गाय) । जिस (गाय) सहज मे मिल गकनेवाला। गुलभ । २ जा मरलता से धोये में को दूहने में कठिनाई न हो। या जाय । जिने मरलतापूर्वक वनिन किया जा सके (को०)। सुप्रप्य-वि० [सं०] जो महज मे अभिभून या पराजित किया जा सुप्रलाप-मरा पुं० [सं०] १ मूवचन । २ वाग्मिता । मुदर भाषण । सके। ग्रामानी से जीता जानेवाला। सुप्रवेदित-वि० [म०] भली भाति उद्घोषित । पूणन प्रकटित किो०] । सुप्रबुद्ध' - सम्रा पुं० [सं०] शाक्य बुद्ध सुप्रशन्त-वि० [सं०] १ खूब प्रशमित । २ गुप्रसिद्ध गो०] । सुप्रबुद्ध-वि० जिने यषेप्ट बोध या ज्ञान हो । अत्यत बोधयुक्त । सुप्रश्न-समा पुं० [म० | कुशनप्रश्न । कुशलक्षेम सबधी जिनामा यिो०] । सुपा--मश पुं० [स०] १ ॥ दानव का नाम । २ जैनियो के नौ मुप्रसन्न'-सरा पुं० [म०] युबेर का एक नाम । यतो (जिनो) म ने एक । ३ पुराणानुमार शाल्मली द्वीप के मुप्रसन्न--वि० १ अत्यत प्रफुल्ल । २ अत्यत निमंन । ३ इपित । घतगत एक वर्ष। बहुत प्रसन्न । ८ जो प्रनित न हो । अापून (यो०)। मुनम --वि० १ सुदर प्रभा या प्रकाशयका । २ मुदर । नुरुप । सुप्रसन्नक-सझा पुं० [सं०] जगती बरी । वन वगिा। प्णार्जक। गृपमूरन। सुप्रमरा-सा ग्वी० [०] प्रमारिणी लता । गधप्रमारियो। पनरन। सुप्रभदेव--पक्षा पुं० [२०] पिपानवध महाकाव्य फे प्रणेता महाकयि सुप्रसव-राग ० [म०] राहन प्रसव। यह प्रमा जो बिना फष्ट माप के पितामह का नाम । फा हो। 1 !