पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/३९४

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उत्तम राज्य। सुराजीवी सुरारिहता सुराजीवी--संज्ञा पुं॰ [स० सुराजीविन्] शराव चुप्राने या वेचनेवाला। सुरापाना--सज्ञा पुं० [सं० सुरापाना] पूर्व देश के लोग । शौंडिक | कलवार। विशेष-सुरापान करने के कारण इस देश के लोगों का यह नाम सुराज्य'-सज्ञा पु० [स०] वह राज्य जिसमे प्रधानत शासितो के हित पर दृष्टि रखकर शासन कार्य किया जाता हो। वह राज्य शासन जिसमे सुख और शाति विराजती हो। बालाप्रया सुरापी-वि० [सं०] १ दे० 'सुराप' । २ जिसके यहाँ शराबी लोग रहते हो (को०)। सुरापीत-वि० [सं०] जिमने मदिरापान किया हो (को०) । सुराज्य-सज्ञा पुं० [स० स्वराज्य] दे० 'स्वराज्य' । सुरापीथ-सज्ञा पु० [सं०] सुरापान । मद्यपान । शराव पौना । सुराहत--सज्ञा पु० [सं०] वह स्थान जहाँ मद्य विकता हो। शराब- सुराप्रिय - वि० [स०] जिसे मदिरा प्रिय हो [को०)। खाना। कलवरिया। सुराबलि-वि० [स०] जिसे मदिरा अर्पण की जाय [को०] । सुरादति--सज्ञा स्त्री० [सं०] चमडे का वह पान या कुप्पा जिसमे मदिरा सुराबीज-सज्ञा पुं॰ [स०] मद्य बनाने में प्रयुक्त एक पदार्थ या रखी जाती है। तत्व । दे० 'सुरासार' [को०)। सुराथी-सश सी० [हिं० सु+ रेतना] लकडी का वह डडा या सुराब्धि-सज्ञा पुं० [स०] सुरा का ममुद्र । लवेदा जिससे अनाज के दाने निकालने के लिये वाल प्रादि पीटते हैं। विशेष--पुराणो के अनुसार यह सात समुद्रो मे से तीसरा है। मार्कंडेयपुराण मे लिखा है कि लवणसमुद्र से दूना इक्षुसमुद्र सुराद्रि--सज्ञा पुं० [स०] देवताओ का पर्वत, सुमेरु । और इक्षुममुद्र से दूना सुरासमुद्र है । सुराधम'--वि० [सं०] देवतागो मे निकृष्ट । सुराभाड-सज्ञा पुं० [सं० सुराभाण्ड] दे० 'सुरापान' [को॰] । सुराधम'-मज्ञा पु० निकृष्ट देवता। सुराभाग--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] शराव की मांड । सुराधर--सशा पुं० [.] एक राक्षस । सुराभाजन - सक्षा पुं० [सं०] दे० 'सुरापान' । सुराधा'--वि० [स० सुराधस्] १ उत्तम दान देनेवाला । वहुत यडा दाता । उदार । २ धनी । अमीर। सुरामड-सक्षा पुं० [सं० सुरामण्ड] शराव की मांड। सुराधा --सज्ञा पुं० एक ऋषि का नाम । सुरामत्त-वि० [सं०] शराब के नशे मे चूर । मदोन्मत्त । मतवाला। सुरामद-सज्ञा पुं॰ [स०] शराब का नशा किो०) 1 सुराधानी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] वह कुभी या छोटा घडा जिसमे मदिरा रखी जाती है। शराब रखने की गगरी । सुरामुख -सज्ञा पुं० [सं०] १ वह जिसके मुंह मे शराव हो । २ एक नागासुर का नाम। सुराधिप--सज्ञा पुं० [सं०] देवताओं के स्वामी, इद्र । सुरामूल्य-सञ्चा पु० [सं०] मदिरा का मूल्य । शराब का दाम (को॰] । सुराधीश-सज्ञा पु० [स०] दे० 'सुराधिप'। सुरामेह सज्ञा पुं॰ [स०] वैद्यक के अनुसार प्रमेह रोग का एक भेद । सुराव्यक्ष-सचा पुं० [स०] १ ब्रह्मा । २ श्रीकृष्ण । ३ शिव । विशेष--कहते हैं, इस रोग मे रोगी को शराब के रग का सुराध्वज-सज्ञा पु० [सं०] मद्यपान का वह चिह्न जो प्राचीनकाल मे पेशाव होता है । पेशाव शीशी मे रखने मे नीचे गाढा और ऊपर मद्यपान करनेवालो के मस्तक पर लोहे से दागकर किया पतला दिखलाई पडता है। पेशाब का रग मटमैला या लाली लिए होता है। विशेष-मनु ने मद्यणन की गणना चार महापातको मे की सुरामेही--वि० [सं० सुरामेहिन्] सुरामेह रोग से पीडित । जिसे है, और कहा है कि राजा को उचित है कि मद्यपान करनेवाले सुरामेह रोग हुआ हो । के मस्तक पर मद्यपान का चिह्न लोहे से दागकर अकित करा दे। यही चिह्न मुराध्वज कहलाता था। सुराय@---मञ्ज्ञा पु० [स० सु + हिं० राय ( = राजा)] श्रेष्ठ नृपति । अच्छा राजा । उ०-बहु भाँति पूजि सुराय । कर जोरि के सुरानक--सज्ञा पु० [स०] देवताओ का नगाडा । परिपाय | केशव (शब्द०)। सुरानीक--सज्ञा पुं० [स०] देवताओं की सेना। सुरायुध--सञ्ज्ञा पु० [स०] देवतानो का अस्त्र । सुरप--वि० [स०] १ सुरा या मद्यपान करनेवाला । मद्यप । शरावी। सुराणि-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] देवताओ की माता, अदिति । २ बुद्धिमान् । मनीपी । ३ आनदप्रद । सुखपूर्वक ग्राह्य (को०)। सुरारि--मज्ञा पुं० [स०] १ असुर। राक्षस । २ एक दैत्य का सुरापगा-सज्ञा स्त्री० [सं०] देवतागो को नदी । गगा। नाम । ३ झिल्ली की झनकार | टिड्डा या झीगुर का आह्ला- सुरापाण, सुरापान-सचा पुं॰ [स०] १ मद्यपान करने की क्रिया। दक स्वर को० । शराब पीना। २ मद्यपान करने के समय खाए जानेवाले सुरारिघ्न-सज्ञा पु० [सं०] असुरो का नाश करनेवाले, विष्ण। चटपटे पदार्थ । चाट । अवदश । सुरारिहता--सज्ञा पुं० [सं० सुरारिहन्तु] असुरो का नाश करनेवाले, सुरापात्र-सज्ञा पुं० [स०] मदिरा रखने या पीने का पात्र । जाता था। विष्ण।