पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४०९

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ग्रथ का। सुश्रवा' ७०२६ सुषिर' सुश्रवा'-सज्ञा स्त्री० [सं०] एक वैदर्भी का नाम जो जयत्सेन की सुषम--सज्ञा पु० शुभ वर्प (को०] । पत्नी थी। सुषमदुषमा--सज्ञा स्त्री० [स०] जैन मतानुसार कालचक्र के दो पारे । सुश्राव्य -वि० [स०] जो सुनने मे अच्छा जान पडे । सुषमन, सुषमना@-सज्ञा स्त्री० [स० सुपुम्ना] दे॰ 'सुषुम्ना' । सुश्री-वि० [स०] १ बहुत सुदर। शोभायुक्त । स्त्रियो के नाम के उ० --(क) इगला पिंगला सुपमना नारी। शून्य सहज में पूर्व आदरार्थ प्रयुक्त । सुशोभना स्त्री। (आधु० प्रयोग)। वसहि मुरारी।--सूर (शब्द०)। (ख) गधनाल द्विराह एक २ बहुत धनी । बडा अमीर । सम राखिए। चढो सुषमना यार अभी रस चाखिए ।-- सुश्रीक-सा पुं० [स०] सलई । शल्लकी। कबीर (शब्द०)। सुश्रीक'-- वि० दे० 'सुश्री'। सुषमनि--सज्ञा स्त्री० [स० सुषुम्ना] दे॰ 'सुपुम्ना' । उ०-इगला सुश्रीका-सज्ञा स्त्री॰ [स०] शल्लकी वृक्ष को०] । पिंगला सुपमनि नारी बक नाल के सुधि पावै ।---कबीर सुश्रुत' -सज्ञा पुं० [स०] १ आयुर्वेदीय चिकित्साशास्त्र के एक (शब्द०)। प्रसिद्ध आचार्य। सुषमा-सशा स्त्री० [स०] १ परम शोभा। अत्यत सुदरता । २ एक विशेष-इनका रचा हुआ 'सुश्रुतसहिता' नामक ग्रथ बहुत मान्य वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण मे दस अक्षर रहते जिनमे समझा जाता है । गरुड पुराण में लिखा है कि ये विश्वामिन तीसरा, चौथा, आठवां और नवाँ गुरु तथा अन्य अक्षर लघु के पुत्र थे और इन्होने काशी के राजा दिवोदास से, जो धन्वतरि होते है। ३ एक प्रकार का पौधा । ४ जैनो के अनुसार काल के अवतार थे, शिक्षा पाई थी। आयुर्वेद के प्राचार्यो मे इनका का एक नाम । ५ एक देवागना (को॰) । और इनके ग्रथ का भी वही स्थान है, जो चरक और उनके सुषमाशालो--वि० [स० सुषमाशालिन्] जिसमे बहुत अधिक शोभ' या सुदरता हो। २ सुश्रुत का रचा हुआ सुश्रुत सहितानामक ग्रथ । ३. गोष्ठी सुषमित--वि० [सं०] शोभायुक्त । सुषमायुक्त । श्राद्ध के अत मे ब्राह्मण से यह पूछना कि प्राप तृप्त हो गए न । सुषवी-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ करेला। कारवेल्ल । २ क्षुद्रका वेल्ल । सुश्रुत--वि० १ अच्छी तरह सुना हुआ। २ जिसे प्रसन्नतापूर्वक सुना करेली। ३ जीरा। जीरक । गया हो । ३ प्रसिद्ध । मशहूर । ४ वेद मे पारगत (को॰) । सुषा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] काला जीरा (को०] । सुश्रुतसहिता-सज्ञा स्त्री० [स०] आचार्य सुश्रुत का बनाया हुआ आयु- वेद का एक प्राचीन, प्रसिद्ध और सर्वमान्य ग्रथ । सुषाढ-सञ्ज्ञा पुं० [स० सुषाढ] शिव जी का एक नाम । सुश्रुम-सज्ञा पुं॰ [स०] पुराणानुसार धर्म के एक पुत्र का नाम । सुषानाg-त्रि० अ० [हिं० सूखना] दे॰ 'सुखाना' । उ०-स्यामघन सीचिए तुलसी सालि सफल सुषाति । - तुलसी (शब्द०) । सुश्रुखा-सज्ञा स्त्री० [स० शुश्रूपा] दे॰ 'शुश्रूषा' । सुश्रूषा-सज्ञा स्त्री० [स० सुश्रूपा दे० 'शुश्रूपा' । सुपाना--क्रि० स० शुष्क करना । सुखाना । सुश्रोणा--सज्ञा स्त्री० [स०] हरिवश के अनुसार एक नदी का नाम । सुषारा - वि० [हिं० सुख] [वि॰ स्त्री सुषारी] दे० 'सुखारा'। सुश्रोणि'--सञ्चा स्त्री० [स०] एक देवी का नाम । उ०-रावन वश सहित सहारा। सुनत सकल जग भएउ सुपारा ।- रामाश्वमेध (शब्द॰) । सुश्रोणि---वि० सु दर नितबवाली। सुश्लिष्ट-वि० [स०] १. अच्छे ढग से सयोजित । सुस्पष्ट । २ दृढता से सुषि-सज्ञा स्त्री० [स०] १ छिद्र । छेद । सूराख । विल । २ नलिका । नली (को०)। सलग्न या जुडा हुआ। सटा हुया। सुश्लेष-सज्ञा पुं० [स०] १ घनिष्ठ या प्रगाढ सवध । २ प्रगाढ आलि- सुपिक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] शीतलता । ठढक । गन [को०)। सुपिक'-वि० शीतल । ठढा । मुश्लोक-वि० [स०] १ पुण्यात्मा । पुण्यकीति । २ ख्यात । सुप्रसिद्ध। सूपिक्त-वि० [स०] सुसिक्त । मशहूर। सुपिमदि- 1-सज्ञा पुं॰ [म०] विष्णुपुराण के अनुसार एक राजा का सुषधि-भज्ञा पु० [स० सुपन्धि] १ रामायण के अनुसार माधाता के नाम। एक पुत्र का नाम । २ पुराणानुसार प्रसुश्रुत के एक पुत्र सुपिम-सञ्ज्ञा पुं०, वि० [स०] दे० 'सुषीम' [को०)। सुपिर'--राज्ञा पुं० [सं०] १. वांस । २ वेत । ३ अग्नि । आग। सुपर-ज्ञा पु० [स० सुख] दे० 'सुख' । ४ चूहा। ५ सगीत मे वह यत्र जो वायु के जोर से बजता सुपद्मा--सज्ञा पु० [स० सुषमन्] एक ऋपि का नाम । हो। ६ छेद । सूराख । ७ वायुमडल। ८ लोग। लवग। सुपम-वि० [स०] १ बहुत सुदर । शोभायुक्त । २ सम । समान । ६ काठ । लकडी। १० वशी श्रादि मुंह से फूंककर वजा ३. समझ मे पाने योग्य । बोधगम्य (को॰) । जानेवाली वाजो मे से निकलनेवाली ध्वनि । हिं० २०१०-५० का नाम।