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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४१०

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1 का नाम। सुषिर' ७०३० सुसंगत सुषिर-वि०१ छिद्रयुक्त । छेदवाला। २ पोला। सावकाश। ३ विशेष-रामायण आदि के अनुसार यह वरुण का पुन, वाली का उच्चारण मे मद या विलवित (को०)। ससुर और सुग्रीव का वैद्य था। इसने राम रावण के युद्ध मे सुपिरच्छेद--सञ्ज्ञा पु० [स०] एक प्रकार की वशी। रामचद्र की विशेष सहायता की थी। १४ करोदा । करमर्दक । १५ बेत । वेतस् । सुषिरविवर--सज्ञा पुं० [स०] बिल, विशेषकर सांप का विल । सुषित-सशा स्त्री० [स०] १ कलिका । विद्रुम लता । २. नदी । सुपेणिका--संज्ञा स्त्री॰ [म.] काली निसोथ । कृष्ण विवृता । सुपेदी -सशा स्त्री॰ [स०] निसोथ । निवृता । सुषिलीका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्रकार की चिडिया। सुषीम'--सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार का सर्प । २ चद्रकात मणि। सुषोपति-मज्ञा स्त्री० [स० सुपुप्ति] दे० 'सुपुप्नि' । उ०--सूत्रातमा ३ शैत्य । शीतलता (को०)। प्रकाशित भोपति । तस्य अवस्था प्राहि सुपोपति ।-विश्राम (शब्द०)। सुषीम'--वि० १ शीतल । ठढा । २ मनोरम । मनोज्ञ । सुदर । सुषोति-सज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'सुपुप्ति' । उ----जागृत नारी सुषुपु-वि० [स० सुषुपुस्] सोने की इच्छा करनेवाला । निद्रातुर । सुपोप्ति तुरिया, भीर गोपा मे घर छावै ।-कवीर (शब्द॰) । सुषुप्त'-वि० [सं०] गहरी नीद मे सोया हुआ । घोर निद्रित । सुपोमा--सज्ञा स्त्री० [स०] भागवत के अनुसार एक नदी का नाम । सुषुप्त'- सज्ञा स्त्री० दे० 'सुपुप्ति' । सुषुप्ति-सज्ञा स्त्री० [स०] १ घोर निद्रा । गहरी नीद । २ अज्ञान । सुप्कत--सचा पु० [स० सुप्कन्त] पुराणानुसार धर्मनेन के एक पुत्र (वेदात) । ३ पातजलिदर्शन के अनुसार चित्त की एक वृत्ति या अनुभूति । सुप्ट-सज्ञा पुं० [सं० दुष्ट का अनु०, स० शिष्ट या सुप्ठ का विलोम] विशेष--कहते हैं, इस अवस्था मे जीव नित्य व्रहम की प्राप्ति अच्छा । भला। दुष्ट का उलटा : जैसे,-बादशाह अपनी सेना करता है परतु उसे इस बात का ज्ञान नही होता कि मैने लेकर सुप्ट अर्थात् तृणचर पशुप्रो की रक्षा के निमित्त दुष्ट अर्थात् मासाहारी जीवो के नाश करने को चढता था।- ब्रहम की प्राप्ति की है। शिवप्रसाद (शब्द०)। सुषुप्स-वि० [स० सुपुप्सु] सोने की इच्छा करनेवाला । निद्रातुर । सुषुप्सा-सज्ञा स्त्री० [स०] १ शयन की अभिलाषा । सोने की इच्छा । सुप्ठु-अव्य० [स०] १ अतिशय । अत्यत । २ भली भांति। अच्छी तरह । ३. यथायोग्य । ठीक ठीक । २ तद्रा । ऊँघ (को०)। सुष्ठु-सशा पु० १ प्रशसा । तारीफ। २ सत्य । सुषुप्सु-वि० [स०] दे० 'सुषुप्स' । सुप्ठुता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ मगल । कल्याण । भलाई । २ सौभाग्य। सुपुम्ण, सुषुम्न-सज्ञा पुं० [सं०] सूर्य की सप्तरश्मियो मे से एक ३ सुदरता। उ०-शब्दो की अनोखी सुष्ठुता द्वारा मन को का नाम । चमत्कृत करने की शक्ति है । -निवधमालादर्श (शब्द०)। सुषुम्या, सुषुम्ना-सज्ञा स्त्री० [स०] हठयोग और तन के अनुसार सुष्मत--सज्ञा पुं० [सं० सुष्मन्त] दे० 'सुप्कत'। शरीर के अतर्गत तीन प्रधान नाडियो में से एक । मुष्म--सज्ञा ॰ [स०] रस्सी । रज्जु । विशेष--दस नाडियो मे इडा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन प्रधान सुष्मना-मा स्त्री० [सं०सुपुम्ना] दे॰ 'सुपुम्ना' । उ०--चद सूरहिं नाडियाँ मानी गई हैं। कहते हैं, इडा और पिंगला नाडियो चद के मग सुप्मनागत दीश । प्राणरोधन को कर जेहि हेत सर्व के मध्य मे सुपुम्ना है, अर्थात् नासिका के वाम भाग मे इडा, ऋपीश ।-केशव (शब्द०)। दक्षिण भाग मे पिंगला और मध्य भाग (ब्रह्मरघ्र) मे सुपुम्ना सुसकट'--वि० [स० सुसङ्कट] १. दुर्बोध। जिसकी व्याख्या कठिन नाडी स्थित है । सुषुम्ना त्रिगुणमयी और चद्र, सूर्य तथा अग्नि- स्वरूपिणी है। हो । २ सुयत्रित । मजबूती से वद किया हुआ (को०] । ३ वैद्यक के अनुसार चौदह प्रधान नाडियो मे से एक जो नाभि सुसकट---सज्ञा पु० १ दुष्कर कार्य। कठिन काम । २. बाधा। कठिनता। के मध्य में स्थित है और जिससे अन्य सब नाडियां लिपटी सुसकुल--सज्ञा पुं० [म० सुसडकुल] महाभारत के अनुसार एक राजा सुपेण [-सज्ञा पुं० [स०] १ विष्णु का एक नाम । २ एक गधर्व का का नाम । नाम। ३ एक यक्ष का नाम । ४ एक नागासुर का नाम । सुमक्षेप-सज्ञा पु० [स०] शिव का एक नाम । ५ दूसरे मनु के एक पुत्र का नाम । ६ श्रीकृष्ण के एक पुत्र सुसग'---सज्ञा पुं० [सं० सु+हिं० सग] उत्तम सगति । सत्संग । का नाम । ७ शूरसेन के एक राजा का नाम । ८ परीक्षित अच्छी सोह्वत। के एक पुत्र का नाम। ६ धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । सुसग-वि० [स० सुसङग] जो अत्यत प्रिय हो । जिसके साथ बराबर १० वसुदेव के एक पुत्र का नाम। ११ विश्वगर्भ के एक पुत्र सलग्न रहा जाय। का नाम । १२. शबर के एक पुत्र का नाम । १३ एक वानर सुमगत-वि० [म० सुसडगत] उत्तम रूप से सगत । बहुत युक्तियुक्त । का नाम। वहुत उचित।