पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४२३

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जाते थे। सूचिकामुख ७०४३ सूचीवक्त' देते है। सांप के काटने पर भी इसका प्रयोग किया जाता है। और उनके भेदो मे आदि अत लघु या आदि अत गुरु की सय्यः कहते है, इन सब प्रयोगो के कारण रोगी के शरीर मे जानी जाती है । ६ सुश्रुत के अनुसार सूई के प्राकार का एक वहुत अधिक गरमी आने लगती है, इसीलिये इनके उपरात प्रकार का यन्न जिमके द्वारा शरीर के क्षतो मे टाँके लगाए अनेक प्रकार के शीतल उपचार किए जाते है। सूचिकामुख-सज्ञा पुं॰ [सं०] शख । सूची--वि० [म० सूचिन्] १ रहस्य खोज निकालनेवाला। भेद लेनेवाला। २ गुप्त बात, रहस्य या भेद बतानेवाला। ३ सूचिगृहक-सना पु० [स०] सूई रखने का डब्बा या खोली [को०] । भेदन या छेदन करनेवाला। ४ बतानेवाला। जतानेवाला। सूचित-वि० [स०] १ जिसकी सूचना दी गई हो। जताया हुआ। व्यक्त या प्रकट करनेवाला । उ०-प्रधान सनिक के अासन को वताया हुया । कहा हुआ। ज्ञापित । प्रकाशित । २ वहुत उप- छीन स्वय विजय सूची चिह्नो को लगा ।-प्रेमधन०, युक्त या योग्य । ३ जिसकी हिंसा की गई हो। ४ सकेतित भा० २, पृ० २७० । (को०)। ५ वेधन किया हुआ । छिद्रित (को०)। सूचीक-सज्ञा पु० [स०] मच्छर आदि ऐसे जतु जिनके डक सूई के सूचितव्य-वि० [स०] सूचना के योग्य । सूच्य किो०] । समान होते है। सूचिनी-सज्ञा स्त्री० [स०] १ सूई । सूचिका । २ रात्रि । रात [को०)। सूचीकटाहन्याय-सज्ञा पुं० [स०] सहज काम पूरा करके कठिन काम सूचिपन-संघा पु० [स०] १ एक प्रकार का ऊख । २ शिरियारी । करने का दृष्टात । विशेप दे० 'न्याय' (१०४) । चौपतिया । सिनिवार शाक । ३ दे० 'सूचीपत्र' । सूचीकर्म-मश पु० [स० सूचीकर्मन्] सिलाई या सूई का काम जो सूचिपत्रक-सज्ञा पु० [स०] दे० 'सूचिपन' । ६४ कलाप्रो मे से एक है। सूचिपुष्प--सज्ञा ५० [स०] केवडा का फूल या केतकी वृक्ष । सूचीतुड--सञ्चा पु० [स० सूचीतुण्ड] मशक । मच्छर [को०] । सूचिभिन्न-वि० [स०] फूलो की कली जो सूई जैसी नुकीली और सूचीदल-सज्ञा पु० [स०] सितावर या सुनिपप्णक नामक शाक। शिरियारी। ऊपर की ओर विभक्त हो [को०] । सूचिभेद्य-वि० [स०] १ सूई से भेदने योग्य । २ वहुत धना । जैसे,- सूचीपत्र--सज्ञा पुं० [स०] १ वह पत्र या पुस्तिका आदि जिसमे एक ही -~-सूचिभेद्य अधकार । प्रकार की बहुत सी चीजो अथवा उनके अगो की नामावली हो। तालिका। २ व्यवसायियो का वह पत्र या पुस्तक आदि सूचिमल्लिका-सा [स०] नेवारी । नवमल्लिका । जिसमे उनके यहां मिलनेवाली सब चीजो के नाम, दाम और सूचिमुख-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'सूचीमुख' [को०] । विवरण आदि दिए रहते है। तालिका। फेहरिस्त । ३ सूचिरदन-सज्ञा पु० [स०] नेवला । दे० 'सूचिपन'। सूचिरोमा- सज्ञा पु० [म० सूचिरोमन्] सूअर । वराह । सूचीपत्रक-सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'सूचीपत्र' । सूचिवत्-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ गरुड । २ सूई की तरह नोकदार कोई सूचीपत्रा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] गाँडर दूव । गड दूर्वा । वस्तु । नुकीली चीज (को०)। सूचीपद्म-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सेना का एक प्रकार का व्यूह । सूचिवदन-सज्ञा पु० [स०] १ नेवला । नकुल । २ मच्छर । मशक। सूचीपाश-सज्ञा पु० [स०] सूई का छेद या नाका जिसमे धागा पिरोया सूचिशालि-सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार का महीन चावल । सूक्ष्म जाता है। शालिधान्य । सोरो। सूचीपुष्प--सज्ञा पुं॰ [स०] दे॰ 'सृचिपुप्प' । सूचिशिखा-सज्ञा सी० [स०] सूई की नोक । सूचोभेद्य--वि० [स०] दे॰ 'सूचिभेद्य' । उ०--सूचीभेद्य अधकार मे सूचिसूत्र-सञ्ज्ञा पुं० [स०] सूई मे पिरोने या सीने का धागा । छिपनेवाली रहस्यमयी का-प्रज्वलित कठोर नियति का-नील सूची- सज्ञा पुं० [स० सूचिन्] १ चर । भेदिया। २. पिशुन । चुगुल आवरण उठाकर झाँकनेवाला ।-स्कद०, पृ० २५। खोर । ३ खल । दुष्ट। सूचीमुख-सज्ञा पु० [स०] १ सूई का नोक या छेद जिममे धागा सूची- सज्ञा स्त्री० १ कपडा सीने की सूई । २ दृष्टि । नजर। ३. पिरोया जाता है । २ एक नरक का नाम । उ०--सूचीमुख केतकी। केवडा। ४ सेना का एक प्रकार का व्यूह, जिसमे नरकहि कर नाऊँ। ते तहें जाड वसावै गाँऊ ।--कवीर सा०, सैनिक सूई के आकार मे रखे जाते है । दे० 'सूचि' । ५ सफेद भा०४, पृ० ४६५ । ३ हीरक। हीरा। ४ श्वेत कुश । ५ कुश। ६ एक ही प्रकार की बहुत सी चीजो या उनके अगो, हाथ की एक मुद्रा (को०)। ६ मशक । मच्छर (को०)। ७. विपयो आदि की नामावली । तालिका । फेहरिस्त । पक्षी । चिडिया। (को०)। यौ०-सूचीपन्न । सूचोरोमा--सञ्ज्ञा पुं० [स०] दे० 'सूचिरोमा'। ७ साक्षी के पाँच भेदो मे से एक भेद । वह साक्षी जो विना बुलाए सूचीवक्त्र'-सज्ञा पुं० [स०] १ स्कद के एक अनुचर का नाम। २. स्वय पाकर किसी विषय मे साक्ष्य दे । स्वयमुक्ति। ८ पिंगल के एक असुर का नाम। अनुसार एक रीति जिसके मात्रिक छदो की संख्या की शुद्धता सूचीवक्त्र'--वि० १ सूई की तरह मुखवाला। २ अत्यत संकरा [को॰] । 1