पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४४८

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सेक्रेटेरियट ७०६८ सेजा सचिव । जमे, -फारेन सेक्रटरी। स्टेट सेक्रेटरी। २ वह पदा ४ ढलाई (धातु की)। ५ (नाव से) जल उलीचने का धिकारी जिसपर किसी सस्था के कार्यसपादन का भार हो। बरतन । लोहदो। ६ दे० 'सेक' (को॰) । जैसे, काग्रेस सेक्रेटरी । ३ वह व्यक्ति जो दूसरे की ओर से सेचनक-सज्ञा पुं० [म०] १ अभिषेक २ स्नान का फुहारा [को०] । उसके प्रादेशानुसार पत्रव्यवहार आदि करे। मुशी । जैसे,- सेचनघट-सञ्चा पु० [म०] वह वरतन जिमसे जल मीचा जाता है । महाराज के सेक्रेटरी। सेवनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] मीचने की छोटी बालटी [को०] । सेक्रेटेरियट-सज्ञा पुं० [अ०] किसी सरकार के सेक्रेटरियो का कार्यालय या दफ्तर । शासक या गवर्नर का दफ्तर । उ०--तरक्की करते सेचनीय--वि० [स०] सोचने योग्य । छिडकने योग्य । करते सेक्रेटेरियट की अंगनई मे दाखिल हो बैठे थे।-नई०, सेचिका-वि० सी० [सं०] दे॰ 'सेचक'। पृ०८। सेचित - वि० [स०] १ जो सीचा गया हो । तर किया हुआ । २ जिस- सेक्शन--सज्ञा पुं० [अ०] विभाग । जैसे,—इस दर्जे मे दो सेक्शन हैं । पर छोटे दिए गए हो। सेखर-सज्ञा पुं० [० शेप] १ शेपनाग। विशेप दे० 'शेप'-८ । सेच्य–वि० [स०] १ सीचने योग्य । जल छिडकने योग्य। २ जिमे उ०-महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेख । सीचना हो । जिमे तर करना हो। तुलसी (शब्द॰) । २ समाप्ति । अत । खातमा। उ०--पियत सेछागुन-सज्ञा पुं० [?] एक प्रकार का पक्षी । बात तन सेख कियो द्विज रात बिहरि वन । मिट वासना नाहिं सेज-सज्ञा (म० शय्या, प्रा. सज्जा, मिज्जा, मेज्ज, सेज्जा] शैया । बिना हरिपद रज के तन । -सुधाकर (शब्द॰) । पलग और बिछोना । उ०—(क) सेज रुचिर रुचि राम उठाए। सेख-सज्ञा पुं० [अ० शख] दे० 'शेख' । उ०--इनमे इते बलवान हैं । प्रेम समेत पलंग पौढाए ।—तुलसी (शब्द०)। (ख) चांदनी उत सेख मुगल पठान हैं । --मूदन (शब्द०)। महल फेल्यो चाँदनी फरस सेज, चांदनी विछाय छबि चांदनी सेखर-सज्ञा पुं० [स० शेखर] दे॰ 'शेखर'। उ०--मोर मुकुट की रित रही।-प्रतापसाहि (शब्द॰) । चद्रिकन यो राजत नँदनद। मनु ससिसेखर को अकस किय सेजदह--वि० [फा० सेज दह] त्रयोदश । तेरह (को॰] । सेखर सतचद।-विहारी (शब्द०)। सेजदहुम-वि० [फा० सेजदहुम] तेरहवां [को॰] । सेखवा --सञ्ज्ञा पुं० [अ० शैख, हिं० सेख + वा (प्रत्य॰)] दे० 'शेख'। सेजपाल--सक्षा पुं० [सं० शय्यापाल, हिं० सेज+पाल राजा को शैया उ०-ना हुवा ब्राह्मन सूद्र न सेखवा ।-कवीर श०, पृ० ४७ । या सेज पर पहरा देनेवाला। शयनगृह पर पहरा देनेवाला। सेखावत--सज्ञा पुं० [फा० शैख+ हिं० सेख+ यावत (प्रत्य०), अथवा शयनागार का रक्षक । शैयापाल । उ०-राजा उस समय शैया 'शेखावाटी' नाम का एक स्थान] राजपूतो की एक जाति या पर पोढे थे और सेजपाल लोग अस्न बाँधे पहरा दे रहे थे ।- शाखा। शेखावत । गदाधरसिंह (शब्द०)। विशेष--इनका स्थान राजपूताने का शेखावाटी नाम का कसबा सेजबद(--वि० [हिं० सेज+ फा० बद] दे० 'मेजबध' । ३०--खासा है। राजस्थान मे स्थान, जाति, वश और विशिष्ट व्यक्ति आदि पलँग सेजवद तकिया, तोमक फूल विछापा।--कवीर० श०, के आगे यह सबधवाचक प्रत्यय लगाते है। जैसे,-ऊदावत, भा०, पृ० २३॥ कूपावत आदि। सेजवधापी-नज्ञा पु० [हिं० सेज + बध] वह रस्सी जिससे विछौने सेखी-सज्ञा स्त्री० [फा० शेखी] दे० 'शेखी । की चादर को पायो मे बांधते है । उ०--सेजवध बांधि के पान सेगव-सज्ञा पु० [सं०] केकडे का बच्चा। को चाभते । --पलटू०, मा० २, पृ० ११ । सेगा-मक्षा पुं० [अ० सीगह | १ विभाग। महकमा। २ विषय । सेजरिया@t-सशा सी० [हिं० सेज] दे० 'सेज'। उ०--रस रंग पढाई या विद्या का कोई क्षेत्र । जैसे,—वह इम्तहान मे दो पगी है देखो लाल की सेजरिया ।--कबीर (शब्द०)। सेगो में फेल हो गया। सेजरी-सज्ञा स्त्री० [हिं० सेज+री (प्रत्य॰)] शय्या । दे० 'सेज' । सेगुना-सज्ञा पु० [देश॰] दे० 'सागोन'। सेजवार+--सहा पु० [सं० शय्यापाल, हिं० सेजपाल] दे० 'सेजपाल' । सेगोन, सेगौन--सञ्ज्ञा पु० [देश॰] मटमैले रग की लाल मिट्टी जो -वर्ण०, पृ०६। नालो के पास पाई जाती है। सेजार-सज्ञा पुं० [देश॰] एक प्रकार का पेड जो आसाम और बगाल सेच--सज्ञा पु० [स०] सेक । सिंचाई। छिडकाव [को०] । मे होता है और जिस पर टसर के कीडे पाले जाते हैं। सेवक'--वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० सेचिका] सीचनेवाला । छिडकनेवाला। सेजा-सशा स्त्री॰ [स० शय्या] दे० 'शय्या' । उ०-कुसुमे रचित सेजा तर करनेवाला। दीप रहल तेजा, परिमल अगर चाँदने ।-विद्यापति, पृ० २५२ । सेचक-सञ्ज्ञा पुं० मेघ । बादल । सेजा-सज्ञा पु० [स० सह्य, प्रा० सेझ, सेझ ( = सह्याद्रि पर्वत)] सेचन-सज्ञा पुं० [सं०] [वि० सेचनीय, सेचित, सेच्य] १ जलसिंचन । १ पर्वत । अदि । पहाड । २ सोता। प्रवाह । झरना। उ०- सिंचाई । २ माजन। छिडकाव। छोटे देना। ३. अभिपेक । वाँसुरी समान मेरी पांसुरी हरेक डोल, उठत असाध पीर मनो