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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/४७७

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सोनहार .७०६७ निसो हैं। उ०-डाइन डारे सोनहा डोरे सिंह रहे वन घेरे । पाँच कुटुब सोने की जांच कराना। परखवाना । सोने का कौर खिलाना- मिलि जूझन लागे बाजन वाज घनेरे ।--कवीर (शब्द॰) । अत्यधिक सुखी रखना। उ०--तुम रहते ही हो तो कौन २ शिकारी श्वान । कुत्ता। उ०--किए डोर सब मोनहा सोने का कौर खिला देते हो।--मान०, भा० ५, पृ० १६७। ताजी। भल भल गुरजी और सिराजी ।--चित्रा०, पृ० २३ । सोने का घर मिट्टी होना = लाख का खाक होना। सारा वैभव सोनहार--सज्ञा पुं॰ [देश० । एक प्रकार का समुद्री पक्षी। उ०- नष्ट होना। सोने का पानी = किसो धातु पर चढाया हुप्रा और सोनहार सोन के डाँडी । सारदूल रूपे के कांडी।--जायसी सोने का प्राव । मुलम्मा। सोने का महल उठाना = (१) अत्यत (शब्द०)। धनी होना । (२) किस कार्य मे अत्यधिक व्यय करना। सोने सोना-सज्ञा पुं० [सं० सुवर्ण, स्वर्ण, प्रा० सोण्ण (= सोण)] १ का होना = बहुमूल्य होना । गुणी होना । उ०-उनके यहां व्याह सुदर उज्वल पीले रंग की एक प्रसिद्ध बहुमूल्य धातु जिसके करने मे ही हमारी पत रहेगी, देवकीनदन सोने का भी हो तो, सिक्के और गहने आदि बनते हैं। हमारे काम का नही है। ठेठ०, पृ० ११ । सोने की चिडिया विशेष-यह खानो मे या स्लेट अथवा पहाडो की दरारो मे पाया वह जिससे सदा लाभ ही लाभ होता रहे। मालदार प्रादमी। जाता है। यह प्राय ककड के रूप में मिलता है। ककड उ०--अम्मा दस दिन मे झख मार के आप ही मिलेंगी। सोने को चूर कर और पानी का तरारा देकर धूल, मिट्टी आदि बहा की चिडिया को कोई छोडता है भला ।-सैर०, पृ० २८ । दी जाती है और सोना अलग कर लिया जाता है। कभी कभी सोने की चिडिया हाथ से उड जाना या निकल जाना= किसी सोना विशुद्ध अवस्था मे भी मिल जाता है। पर प्राय लोहे, मालदार प्रादमी का चगुल मे न आना। सोने की चिडिया हाथ तौवे तथा अन्य धातुमो मे मिली हुई अवस्था मे ही पाया जाता आना या लगना = (१) कोई ईप्सित वस्तु अकस्मात् प्राप्त होना। है। यह सीसे के समान नरम होता है पर चांदी, तांबे आदि उ०-सुव्हान अल्ला सुब्हान अल्ला | सोने की चिडिया हाथ के मेल से यह कडा हो जाता है। यह बहुत वजनी होता है। आई। कहा, हुजूर खुदा के लिये चिक उठवा दें।—फिसाना०, भारीपन मे प्लैटिनम और इरिडियम धातुरो के बाद इसी का भा० ३, पृ०६८ । (२) जिससे अत्यधिक लाभ हो उसका एका- स्थान है। यह पीटकर इतना पतला किया जा सकता है कि एक मिल जाना। सोने की तौल तोलना= साधारण वस्तु भी पारदर्शक हो जाता है। इस प्रकार का इसका बहुत पतला तार सोने की तरह तौलना कि बाल बरावर भी फर्क न रहे। सोने भी बनाया जा सकता है। सोने पर जग नही लगता । इसपर के मोल होना = प्रत्यधिक मूल्य का होना। बहुमूल्य होना। कोई खास तेजाव असर नही करता। हाँ, गधक और शोरे के सोने मे घुन लगना = असभव बात का होना। अनहोनी होना। तेजाव मे आँच देने से यह गल जाता है। हिंदुस्तान मे प्राय उ.-काहू चीटी लगे पाँख, काहू यम मारे काख, सुनो है न सभी प्रातो मे सोना पाया जाता है, पर मैसूर और हैदराबाद देख्यो घुन लागो है कनक को।-हनुमन्नाटक (शब्द०)। सोने की खानो मे अधिक मिलता है। पिछली शताब्दी मे कैलि- मे सुगध = किसी बहुत बढिया चीज मे और अधिक विशेषता फोनिया और आस्ट्रेलिया में भी इसकी बहुत बडी खाने होना । सोने मे सुहागा = रग मे निखार पाना पाना । और भी मिली है। उत्कृष्ट होना।' सोने से लदे रहना = (१) अत्यधिक स्वर्ण- भूषण पहनना। (२) ऐश्वय का उपभोग करना। सोना सब धातुप्रो मे श्रेष्ठ माना गया है। हिंदू इसे बहुत पवित्र और लक्ष्मी का रूप मानते है। कमर और पैर मे सोना पहनने क्रि० प्र०-गलना। -गलाना । तपना।-तपाना। का निषेध है। सोना कितनी ही रसौषधो मे भी पड़ता है। २ अत्यत बहुमूल्य वस्तु । बहुत महंगी चीज । ३ अत्यत सुदर वैद्यक मे यह त्रिदोषनाशक तथा बलवीर्य, स्मरण शक्ति और वस्तु । उज्वल या कातिमान् पदार्थ । जैसे,—शरीर सोना हो कातिवर्धक माना गया है। जाना । ४ एक प्रकार का हस । राजहस । पर्या० --स्वर्ण । कनक । काचन। हेम । गागेय । हिरण्य । तप- सोना--सबा पुं० मझोले कद का एक वृक्ष जो वरार और दारजिलिंग नीय । चापेय । शातकुभ । हाटक । जातरूप । रुक्म । महा की तराइयो मे होता है। कोलपार। रजत । भर्म । गैरिक । लोहवर । चामीकर। कार्तस्वर । विशेष-इस वृक्ष मे कलियाँ लगती है जिनका मुरव्वा बनता है। मनोहर । तेज । दीप्तक । कवूर । कच्चूंर । अग्निवीर्य । इसकी लकडी मजबूत होती है और इमारत तथा खेती के औजार मुख्यधातु । भद्रधातु । भद्र । उद्धसारुक । शातकोभ। भूरि । बनाने के काम में आती है। चीरने के समय लकडी का रंग कल्याण । स्पर्शमणि । प्रभव । अग्नि । अग्निशिख । भास्कर । अदर से गुलावी निकलता है, पर हवा लगने से वह काला हो मागल्य । श्राग्नेय । भरु। चद्र। उज्वल । भू गार । कलधौत । जाता है। पिंजान। जांबव । अग्निवीज। द्रविण। अग्निभ । दीप्त । सौमजक। जावुनद। जावूनद । निष्क । रुग्म । अष्टापद । सोना--सज्ञा स्त्री॰ प्रायः एक हाथ लवी एक प्रकार की मछली जो अपिजर। भारत और वरमा की नदियो में पाई जाती है। मुहा०-सोना कसना = परखने के लिये कसौटी पर सोने की सोना--क्रि० अ० [सं० शयन] १. उस अवस्था मे होना जिसमे चेतन लकीर खीचना। सोना कसवाना या कसाना - कसौटी पर क्रियाएं रुक जाती हैं और मन तथा मस्तिष्क दोनो विश्राम